मालदीव में भारत के कितने सैनिक हैं, करते क्या हैं वो वहां, क्या देश वापस लौटना पड़ेगा?
मालदीव सरकार ने अपने देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने का अल्टिमेटम दे दिया. फिलहाल भारत सरकार की तरफ से इसपर अभीतक कोई जवाब नहीं आया है.
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India-Maldives dispute: भारत और मालदीव के बीच के कूटनीतिक रिश्ते हाल के दिनों में कुछ ठीक नजर नहीं आ रहे. इसी की बानगी पिछले दिनों देखने को मिली जब मालदीव सरकार ने अपने देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने का अल्टिमेटम दे दिया. फिलहाल भारत सरकार की तरफ से इसपर अभीतक कोई जवाब नहीं आया है. दोनों देशों के बीच हाल में पर्यटन को लेकर भी विवाद देखने को मिला. अब यह विवाद अब सामरिक और रक्षा के मामलों तक पहुंचता नजर आ रहा है. मालदीव, भारत के लिए सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्व रखता है. अब देखना ये होगा कि, भारत का मालदीव सरकार के इस फैसले पर क्या रिएक्शन होता है. वैसे दोनों देशों के बीच पिछले दिनों एक हाई लेवल बैठक हुई थी. इसमें संबंधों को ठीक करने पर चर्चा हुई थी. आइए आपको बताते हैं इस पूरे विवाद के बारे में और यह भी भारत के लिए क्या है मालदीव की अहमियत?
मोहम्मद मुइज्जू जब से राष्ट्रपति बने हैं, तभी से भारत के साथ मालदीव के संबंधों में तनाव बना हुआ है. सत्ता में आते ही उन्होंने ‘इंडिया आउट’ अभियान का मुद्दा उठा दिया था. उनका कहना है कि, वे अपने देश में किसी दूसरे देश की मौजूदगी नहीं चाहते. मुइज्जू को चीन समर्थक भी माना जाता है.
पहले पूरा मामला जानिए
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों देश के तटीय राज्य लक्षद्वीप की यात्रा की थी. पीएम ने अपनी यात्रा के कुछ फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया और ये लिखा कि एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों को एक बार लक्षद्वीप जरूर जाना चाहिए . पीएम के इस ट्वीट के बाद मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक बातें पोस्ट की. इसके बाद लक्षद्वीप और मालदीव में बेहतर कौन इसे साबित करने की होड़ सोशल मीडिया पर देखी गई. भारत से भी इसपर खूब प्रतिक्रिया हुई और सोशल मीडिया पर Boycott Maldives ट्रेंड करने लगा.
विवाद इतना बढ़ा कि देश के जानी-मानी हस्तियां जैसे- अक्षय कुमार, अमिताभ बच्चन और रणवीर सिंह जैसे एक्टरों ने इसे लेकर ट्वीट किया. भारत में इस विरोध को देखते हुए मालदीव सरकार ने अपने कुछ मंत्रियों को पद से बर्खास्त कर दिया था. अब विवाद में नया मोड़ ये आ गया है कि, मालदीव सरकार ने अपने देश से भारतीय सैनिकों को वापस लौटने का अल्टिमेटम दे दिया है. जानकारी के मुताबिक मालदीव के राष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा बलों को 15 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहा है.
कितने भारतीय सैनिक हैं मालदीव में और वे क्या करते है?
मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के मुताबिक, वर्तमान में भारत के 77 सैनिक मालदीव में हैं. ये सैनिक करीब एक दशक पहले भारत सरकार के मालदीव की क्षमता विकास के लिए दिए गए ‘ध्रुव हेलीकॉप्टर’ और ‘डोर्नियर विमान’ की सुरक्षा और देखभाल करते हैं. भारतीय रक्षा बल मालदीव के लोगों को इसके लिए प्रशिक्षण भी देते हैं. हालांकि रक्षा सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि, भारतीय सेना द्वीपीय राष्ट्र मालदीव को खाली करने के मुद्दे पर सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रही है.
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भारत-मालदीव के अच्छे रिश्तों का फायदा किसे?
पर्यटन मालदीव का प्रमुख व्यापार है. मालदीव की जीडीपी में इसका योगदान लगभग 25 फीसदी का है. भारतीयों के लिए भी मालदीव एक प्रमुख पर्यटन डेस्टिनेशन है. जानकारी के मुताबिक भारत से हर साल दो लाख से ज्यादा लोग मालदीव जाते हैं. मालदीव में मौजूद भारतीय उच्चायोग के आंकड़ों की मानें, तो साल 2022 में 2 लाख 41 हजार और 2023 में करीब 2 लाख लोगों ने मालदीव की यात्रा की है. ऐसे में अगर लक्षद्वीप जैसे भारतीय द्वीपों को बढ़ावा दिया जाएगा तो जाहिर है कि, भारत से मालदीव जाने वाले लोगों की संख्या में कमी होगी, जिसका मालदीव के पर्यटन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
भारत के लिए मालदीव की क्या है अहमियत?
भारत का पड़ोसी देश मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में है. हिंद महासागर भारत की सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. सामरिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से मालदीव भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. भारत हिन्द महासागर में अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है. वहीं चीन, मालदीव के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी दखल बढ़ाने के फिराक में है. यही वजह है कि भारत सरकार की ओर से इस मामले पर संतुलित रुख बरकरार रखा गया है, जबकि मालदीव की ओर से लगातार नई-नई बातें कही जा रही हैं.
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मालदीव के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही चीन के बहुत करीब दिखे हैं मुइज्जू
पिछले साल नवंबर में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से ही मालदीव के भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में असहजता देखी गई है. हाल ही में मुइज्जू ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के निमंत्रण पर बीजिंग की हाई-प्रोफाइल राजकीय यात्रा की. यात्रा के बाद बीते शनिवार को वे मालदीव लौटे. अपने देश लौटते ही मुइजू ने कहा कि, चीन ने साल 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद से मालदीव के विकास में सहायता प्रदान की है.
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उन्होंने आगे कहा कि, चीन ऐसा देश नहीं है जो मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा, यही कारण है कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध हैं. मुइज्जू ने चीन के साथ अपने देश के रणनीतिक संबंधों की प्रशंसा करते हुए कहा कि, दोनों देश एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और चीन हिंद महासागर द्वीप की संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है.
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