बिहार के लोकसभा चुनाव में NDA और INDIA में से कौन है भारी, एक्सपर्ट और चुनावी जानकार से समझिए
यशवंत देशमुख ने एक प्रमुख बात ये कही कि, जेडीयू के सिंबल पर चुनाव लड़ने की अपेक्षा बीजेपी के कमाल निशान पर चुनाव लड़ने पर स्ट्राइक रेट यानी जीतने की संभावना ज्यादा होगी.
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Lok Sabha Election Bihar: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर जबरदस्त माहौल है. वर्तमान में सीट बटवारें से लेकर नामांकन का दौर चल रहा है. इन्हीं सब के बीच इस बार की साप्ताहिक सभा में चर्चा बिहार के लोकसभा चुनाव की. चुनाव से पहले ओपिनियन पोल की माने तो ये वही राज्य है जहां बीजेपी और उसका गठबंधन NDA पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार के चुनाव में थोड़ी कमजोर स्थिति में नजर आ रहा है. बिहार में बीजेपी के कमजोरी की मुख्य वजह विपक्षी दलों के बनाए गए गठबंधन INDIA अलायंस है. वैसे आपको बता दें कि, बिहार में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एकसाथ मैदान में है. आइए C-Voter के फाउंडर यशवंत देशमुख और TAK चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर से समझते हैं क्या है बिहार का चुनावी गणित.
बिहार में विपक्षी गठबंधन INDIA और NDA दोनों खेमों में सीटों का बंटवारा फाइनल हो गया है. INDIA में 29-9-5 तो वहीं NDA में 17-16-5-1-1 के फॉर्मूले पर सहमति बनी है. दोनों खेमे पूरे दमखम से चुनाव लड़ने के मूड में नजर आ रहे है. सीटों के बंटवारें के इस समीकरण पर क्या है आपका नजरियां?
यशवंत देशमुख इसका जवाब देते हुए कहते हैं कि, बिहार में हुए विपक्षी गठबंधन के सीटों के बंटवारें की बात करें तो मुझे लगता है कि, आरजेडी 26 सीटों पर और लेफ्ट पार्टी(माले) पांच सीटों पर बीजेपी को कड़ी चुनौती देंगी. हालांकि लोकसभा के चुनाव में माले के जीतने की संभावना मुझे थोड़ी कम लगती है. उन्होंने बताया कि, आरजेडी के उन सीटों पर कड़ा मुकाबला देने और जीतने की संभावना ज्यादा है जहां उसका मुकाबला जेडीयू से होगा.
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यशवंत देशमुख ने एक प्रमुख बात ये कही कि, जेडीयू को भले ही 16 सीटें मिल गई है लेकिन इस बात की संभावना भी है कि, जेडीयू के कई उम्मीदवार उसके सिंबल पर चुनाव लड़ने की बजे बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ें. क्योंकि जेडीयू के सिंबल पर चुनाव लड़ने की अपेक्षा बीजेपी के कमाल निशान पर चुनाव लड़ने पर स्ट्राइक रेट यानी जीतने की संभावना ज्यादा होगी. ऐसे उन्होंने बताया कि, आरजेडी के टिकट पर जीतने की संभावना कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों की अपेक्षा ज्यादा है.
सीट बंटवारें में लालू यादव का चला है सिक्का
सीटों के बंटवारें पर मिलिंद खांडेकर कहते हैं कि, जहां तक मेरी जानकारी है बिहार में सीट शेयरिंग में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का बोलबाला रहा है. जो भी उन्होंने कहा है वो करवा लिया है. इसका उदाहरण बेगूसराय और पूर्णिया की सीट है. पिछली बार के चुनाव में बेगूसराय से जहां लेफ्ट के टिकट पर कन्हैया कुमार चुनाव लड़े थे इस बार वो सीट लेफ्ट को दे दी गई है लेकिन वो कांग्रेस में है. कन्हैया कुमार को तेजस्वी यादव एक चैलेंजर के तौर पर देखा जा रहा था लकीं इस बार उन्हें वो सीट नहीं मिली है.
वैसे ही पप्पू यादव जिन्होंने हाल ही में अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया वो पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे लेकिन आरजेडी ने गठबंधन के सीट बंटवारें की घोषणा से पहले ही बीमा भारती को टिकट देने की घोषणा कर दी. इससे भी ये साफ समझ आता है कि, लालू यादव का सिक्का चला है.
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