यूपी को बांटने के किस पुराने फॉर्मूले पर फिर लौटती दिख रहीं मायावती?

शुभम गुप्ता

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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मायावती भी चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने 14 अप्रैल को सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से चुनावी जनसभा की शुरुआत की. उनकी इस सभा की काफी चर्चा हो रही है. दरअसल मायावती ने जनसभा मे एक बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने अपने संबोधन के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की बात कही.

मायावती ने क्या कहा?

मायावती ने अपनी चुनावी सभा में संबोधन के दौरान कहा कि 'पश्चिमी यूपी में हमने कभी भी किसी भी प्रकार का कोई दंगा नहीं होने दिया, खासकर मुजफ्फरनगर जिले में. मायावती ने कहा, सपा सरकार में जाट-मुस्लिम भाईचारे को तोड़ा गया. हमने जाट समाज की उपेक्षा नहीं की. उन्होंने इसपर आगे बात करते हुए कहा कि अगर वे केंद्र में आती हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे, जिससे की यहां के लोगों का विकास हो सके. इसके अलावा मायावती ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच स्थापित करने का भी वादा किया है.' 

मायावती के एजेंडे में शामिल रहा है प्रदेश विभाजन

मायावती हमेशा खुले मंच से समय-समय पर प्रदेश के विभाजन की मांग उठाती रही हैं. चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में दो मांगों पर हमेशा जोर देते देखा गया है और वो है 'जाट लैंड' को अलग राज्य की मान्यता और दूसरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग से हाईकोर्ट की बेंच मिले. मेरठ और आगरा को लेकर ये चर्चा रही है. दरअसल, उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला राज्य है. पूर्व यूपी से पश्चिम यूपी तक पूरे प्रदेश में काफी विविधता है. ऐसे में हाईकोर्ट इलाहाबाद में होने से कानूनी मामलों में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

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2011 में भी मायावती ने रखा था प्रस्ताव

चुनाव में मायावती के प्रदेश विभाजन प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है. साल 2011 में मुख्यमंत्री रहते मायावती ने उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने का प्रस्ताव रखा था. इस दौरान उन्होंने अपने प्रस्ताव में आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्‍य यूपी को 4 अलग-अलग राज्‍य में बांटने की बात कही थी. प्रस्ताव मंजूर होता तो जो राज्‍य बनते उनके नाम हरित प्रदेश, अवध प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल होता.

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