राहुल गांधी की इस बात से प्रभावित होकर पॉलिटिक्स में आईं महुआ मोइत्रा, पहले क्या करती थीं?

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सदन में पैसे लेकर सवाल पूंछने के मामले में महुआ को निष्कासित कर दिया गया है. महुआ राहुल गांधी से प्रभावित होकर राजनीति में आईं थीं.
सदन में पैसे लेकर सवाल पूंछने के मामले में महुआ को निष्कासित कर दिया गया है. महुआ राहुल गांधी से प्रभावित होकर राजनीति में आईं थीं.
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Mahua Moitra Expulsion from Loksabha: तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा चर्चा में हैं. कैश फॉर क्वेरी यानी पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में उन्हें लोकसभा से निष्कासित किया जा चुका है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर गौतम अडानी के खिलाफ संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. लोकसभा में एथिक्स कमेटी ने महुआ को ‘अनैतिक और अशोभनीय आचरण’ के लिए जिम्मेदार ठहराया. इस आधार पर महुआ की सांसद सदस्यता चली गई. पर इस बीच महुआ को लेकर विपक्षी दलों के इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस(INDIA) ने जो एकजुटता दिखाई है, उससे BJP को जरूर टेंशन हुई होगी. उधर,

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी महुआ के साथ मजबूती से खड़ी नजर आ रही हैं. उन्होंने यह भी संकेत दे दिया है कि महुआ अगला लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगी और फिर सदन में आकर अपनी लड़ाई जारी रखेंगी.

महुआ मोइत्रा का अबतक का सियासी करियर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. हाल के वर्षों में महुआ ने अपनी पहचान मोदी सरकार की सख्त आलोचकों के रूप में बनाई है. सदन के अंदर और बाहर, उनके तीखे भाषण अक्सर सुर्खियां बंटोरते रहे हैं. इनकी राजनीति कांग्रेस से शुरू हुई थी और इसके पीछे राहुल गांधी से जुड़ा एक एंगल भी है. आइए आज आपको महुआ मोइत्रा की सियासी यात्रा की पूरी कहानी बताते हैं.

असम में हुआ महुआ मोइत्रा का जन्म

महुआ मोइत्रा 2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंची थीं. महुआ भले ही पश्चिम बंगाल की सियासत करती हों, लेकिन उनका जन्म असम में हुआ है. महुआ मोइत्रा का जन्म 1974 में असम के कछार जिले में हुआ. उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता के गोखले मेमोरियल स्कूल से हुई. इसके बाद महुआ ने अमेरिका के मैसाचुसेट्स के माउंट होलोके कॉलेज से अर्थशास्त्र और गणित में ग्रैजुएशन किया.

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इंवेस्टमेंट बैंकर रही हैं महुआ

महुआ ने पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना करियर इंवेस्टमेंट बैंकर के रूप में शुरू किया. वह न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज में इंवेस्टमेंट बैंकर रहीं. 2009 में भारतीय राजनीति में कदम रखने के लिए उन्होंने लंदन में जेपी मॉर्गन चेज के वाइस प्रेसिडेंट का पद छोड़ दिया.

राहुल गांधी की इस पहले से प्रभवित होकर राजनीति में आईं

न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक महुआ मोइत्रा ने राहुल गांधी की ‘‘आम आदमी का सिपाही’’ पहल से प्रेरित हो कर राजनीति का रुख किया. 2009 में भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हो गईं. यहां महुआ मोइत्रा राहुल गांधी की भरोसेमंदों में से एक रहीं. महुआ मोइत्रा की तैनाती कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई में की गई. इस बीच महुआ ने पश्चिम बंगाल में सियासी बदलाव की बयार को महसूस कर लिया. यह बयार तत्कालीन वामपंथी मोर्चा की सरकार के खिलाफ और तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में थी. तब महुआ कोलकाता नगर निगम चुनाव से ठीक पहले 2010 में टीएमसी में शामिल हो गईं.

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महुआ को पहली बार 2016 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के करीमपुर से टिकट मिला. वह चुनाव जीतकर विधायक बनीं. फिर 2019 के चुनाव में मोइत्रा को कृष्णानगर लोकसभा सीट से टिकट मिला और वह जीतकर लोकसभा पहुंचीं.

वैसे तो महुआ मोइत्रा अपनी लोकसभा सदस्यता का यह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं, लेकिन उनके निष्कासन ने इंडिया गठबंधन के दलों को एकजुट करने का काम जरूर किया है. महुआ शुक्रवार को जब संसद से बाहर निकलीं तो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा तमाम बड़े विपक्षी नेता उनके साथ मजबूती से खड़े नजर आए.

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