महुआ मोइत्रा का मामला लोक सभा की एथिक्स कमेटी में गया, क्या होती है ये?
ये कमेटी लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर किसी भी सदस्य के अनैतिक आचरण से जुड़ी शिकायतों की जांच करती है. यह कमेटी अध्यक्ष को रिपोर्ट करती है.
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तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर BJP सांसद निशिकांत दुबे ने एक कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए सवाल पूछने के आरोप लगाए. एक वकील से मिले सबूतों के आधार पर आरोप लगा निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से जांच की मांग की. अब स्पीकर ने मामले की जांच लोकसभा की आचरण कमेटी यानी एथिक्स कमेटी को सौंप दिया है. आइए आपको इस समिति के बारे में बताते हैं…
लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार एथिक्स समिति में 15 सदस्य होते हैं. सदस्यों की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष करते हैं. इस समिति का टर्म 1 साल का होता है. ये कमेटी लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर किसी भी सदस्य के अनैतिक आचरण से जुड़ी शिकायतों की जांच करती है. यह कमेटी अध्यक्ष को रिपोर्ट करती है. कमेटी समय-समय पर सदन की आचार संहिता और नियमों में संसोधन का सुझाव भी देती है.
कौन-कौन हैं इस कमेटी में शामिल?
वर्तमान में इस कमेटी के अध्यक्ष बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर हैं. वहीं अन्य सदस्य हेमंत तुकाराम गोडसे, कुंवर दानिश अली, बालाशोवरी वल्लभभानेनी, डॉ. सुभाष रामराव भामरे, सुनीता दुग्गल, उत्तम कुमार नालामदा रेड्डी, पी.आर. नटराजन, वैथीलिंगम, डॉ. राजदीप रॉय, सुमेधानंद सरस्वती, प्रनीत कौर, विष्णु दत्त शर्मा और गिरिधारी यादव हैं. कमेटी में 6 सदस्य भाजपा के, 4 कांग्रेस के और एक-एक सदस्य शिवसेना, आरजेडी, सीपीएम, YSR कांग्रेस और बसपा के हैं.
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2005 के ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में भी इस कमेटी ने जांच की थी. तब आरोप सही पाए जाने पर 10 सांसदों की सदस्यता चली गई थी. आप यहां क्लिक कर ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले को विस्तार से जान सकते हैं. अब एथिक्स कमेटी TMC सांसद महुआ मोइत्रा की जांच करेगी. देखना ये होगा की क्या महुआ पर आरोप सिद्ध हो पाते हैं या वे जांच में बेदाग साबित होकर अपनी सदस्यता बरकरार रखती हैं.
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