मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से नही मिली जमानत, अदालत ने कहा- पैसे के लेनदेन की कड़ियां साफ

अभिषेक

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News Tak: आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को अभी जेल में ही रहना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्हें बेल देने से इनकार कर दिया हैं. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के इस कथित आबकारी घोटाले के आरोप पर कहा कि इसमें रुपए और धन के लेनदेन की कड़ियां साफ हैं. कोर्ट ने ट्रायल पूरा करने के लिए विशेष अदालत को छह से आठ महीने का समय दिया है.

अगले तीन महीने तक सिसोदिया की जमानत के रास्ते बंद!

सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया के लिए यह झटका बड़ा माना जा रहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सर्वोच्च अदालत की एक टिप्पणी ने साफ कर दिया है कि अगले तीन महीने तक उनके लिए बेल के रास्ते बंद रहेंगे. कोर्ट ने कहा है कि अगर तीन महीनों में ट्रायल की रफ्तार धीमी रही, तो सिसोदिया फिर से जमानत की अर्जी लगा सकते हैं.

26 फरवरी को हिरासत में लिए गए थे मनीष सिसोदिया

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने दिल्ली के आबकारी घोटाले में सिसोदिया की कथित भूमिका को लेकर उन्हें 26 फरवरी को अरेस्ट किया था. सिसोदिया तभी से हिरासत में हैं. सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 9 मार्च को तिहाड़ जेल में सिसोदिया से पूछताछ की. इसके बाद ईडी ने भी सिसोदिया को अरेस्ट कर लिया. यानी सिसोदिया को दो अलग-अलग मामलों में जमानत चाहिए थी, जो अब उन्हें नहीं मिली है.

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हाई कोर्ट ने कहा था, प्रभावशाली व्यक्ति हैं सिसोदिया, गवाहों को कर सकते हैं प्रभावित

सिसोदिया ने जमानत के लिए पहले दिल्ली हाई कोर्ट मे याचिका लगाई थी. हाई कोर्ट ने 30 मई को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री के पद पर रहने के नाते, वह एक ‘प्रभावशाली’ व्यक्ति हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. फिर हाई कोर्ट ने ईडी के मामले में आरोपों को बेहद गंभीर बनाते हुए जमानत नहीं दी. तब सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली है.

किस मामले में फंसे हैं मनीष सिसोदिया?

8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में तत्कालीन डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से आबकारी (शराब) नीति तैयार करने का आरोप लगाया गया. दावा किया गया कि कोविड के बहाने मनमाने तरीके से 144 करोड़ रुपये से अधिक की लाइसेंस फीस माफ की गई. एयरपोर्ट जोन के आबकारी लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ रुपये वापस करने के आरोप लगे. रिपोर्ट में कहा गया कि इस पैसे को जब्त करना था, क्योंकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने शराब दुकान खोलने की अनुमति ही नहीं दी थी. इसके अलावा भी तमाम आरोप थे.

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एलजी ने इस रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज किया. सिसोदिया के अलावा तीन पूर्व अफसरों और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया. पैसों की लेन-देन और हेरफेर के आरोप होने की वजह से ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया. पहले इस मामले में मनीष सिसोदिया अरेस्ट हुए. बाद में इसी महीने 8 अक्टूबर को ईडी ने AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल स्थिति यह है कि दिल्ली सीएम केजरीवाल को छोड़कर AAP के दो सबसे बड़े नेता जेल में हैं. बीजेपी इस मामले में केजरीवाल के भी शामिल होने का आरोप लगाती है.

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