12 CM बन चुके इस समुदाय से! मराठों में कौन आता है पिछड़े वर्ग में, अभी कितना है आरक्षण?
कुणबी समुदाय राज्य की एक बड़ी आबादी में गिने जाते हैं. कुणबी भी मराठा ही हैं. लेकिन, मराठाओं और कुणबी समुदाय के बीच रोटी-बेटी का संबंध नहीं है.
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Maratha Reservation: महाराष्ट्र में इन दिनों मराठा आरक्षण को लेकर बवाल है. मराठा आरक्षण की मांग करने वालों का कहना है कि सभी मराठों का कुणबी माना जाए. कुणबी मराठा की ही एक उपजाति है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आती है. आरक्षण की मांग करने वालों का तर्क है कि इससे सारे मराठों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
पारंपरिक तौर पर मराठा सशक्त और प्रभावशाली रहे हैं. उनके पास बड़ी जोत और भूमि रही हैं. अगर हम कृषि के विकास को देखें तो भूमि का विभाजन हो चुका है. छोटी जोतें हो चुकी हैं. इसलिए उनकी जो पारंपरिक आय का श्रोत था वह खत्म हो चुका है. वर्तमान में मराठा समुदाय अलग-अलग कैटेगरी में बंटा हुआ है. कई मराठा काफी संपन्न हैं जो राज्य की राजनीति से लेकर बड़े दायित्वों पर अपनी प्रभुत्व जमाए हैं. फिर आते हैं जमींदार और वह किसान जिनके पास बड़ी जोत है. उनके बाद छोटी जोत वाले किसान हैं जिनके पास जीवन निर्वाह योग्य भूमि भी नहीं है. आखिर में भूमिहीन और मजदूर वर्ग है.
राजनैतिक तौर पर कहां हैं मराठा
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बात तो साफ है कि मराठों का राजनीति में वर्चस्व है. 32 फीसदी मराठा, विधानसभा में 40-50 फीसदी भागीदारी रखते हैं. 1960 में राज्य के गठन के बाद से यहां 20 मुख्यमंत्री हुए हैं, उनमें से 12 मराठा समुदाय से आते हैं. मराठा मुख्यतः पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा क्षेत्रों में बसे हैं.
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कुणबी मराठाओं का पहले ही मिल चुका है ओबीसी दर्जा
कुणबी समुदाय राज्य की एक बड़ी आबादी में गिने जाते हैं. कुणबी भी मराठा ही हैं. लेकिन, मराठाओं और कुणबी समुदाय के बीच रोटी-बेटी का संबंध नहीं है. 32 फीसदी मराठा समुदाय में से 10 फीसदी कुणबी समुदाय है. कुणबी मराठाओं में एक गरीब तबका माना जाता है जिसे साल 2000 में मंडल कमीशन के तहत आरक्षण मिल गया है. ज्यादातर कुणबी समुदाय विदर्भ रीजन में रहता है.
फिलहाल महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण 19 फीसदी है. अगर सभी मराठों को कुनबी सर्टिफिकेट मिल जाए तो उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलेगा. ओबीसी से जुड़े संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ इसका विरोध कर रही है. ओबीसी संगठनों का तर्क है कि अगर सारे मराठे कुणबी में शामिल हुए, तो ओबीसी आरक्षण बंट जाएगा.
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