'NEET री-एग्जाम या...', सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेस मार्क्स पाने वाले छात्रों को दिए ये 2 ऑप्शन
Re-NEET for Grace Marks Students: Supreme Court ने NTA को आदेश देते हुए कहा है कि जिन भी छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं उन्हें रद्द किया जाए और उन बच्चों के लिए फिर से नीट एग्जाम आयोजित किया जाए.
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Re-NEET for Grace Marks Students: नीट यूजी धांधली मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. मामले में छात्रों की बड़ी जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को आदेश देते हुए कहा है कि जिन भी छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं उन्हें रद्द किया जाए और उन बच्चों के लिए फिर से नीट एग्जाम आयोजित किया जाए. ऐसे 1563 बच्चे हैं. 23 जून को एग्जाम कराया जाएगा और 30 जून तक रिजल्ट घोषित हो सकता है. न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने इस मामले में आदेश दिया है.
SC ग्रेस मार्क्स रद्द करने का दिया फैसला
NEET 2024 एग्जाम में 67 बच्चों को 720 में से 720 अंक हासिल हुए थे. जब इसको लेकर एनटीए से सवाल किया गया तो एनटीए ने इसकी पीछे की वजह ग्रेस मार्क्स बताया. एनटीए ने अपनी सफाई में कहा था कि कुछ एग्जाम सेंटर पर देर से परीक्षा शुरू होने के कारण 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए थे जिसकी वजह से 44 छात्रों के 720 अंक हुए थे. हालांकि सुप्रीम अदालत ने आज के फैसले से छात्रों को मिले ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए हैं.
1563 छात्रों को मिलेगा रिएग्जाम का ऑप्शन
13 जून यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेस मार्क्स को रद्द करने का फैसला सुनाया है. एनटीए की तरफ से कुल 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिले थे. SC ने कहा कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों का ही रिएग्जाम होगा.रिएग्जाम 23 जून को आयोजित होगा. SC ने काउंसलिंग रोकने से इनकार कर दिया है. NTA ने कहा कि छात्रों का डर दूर करने के लिए ये फैसला लिया जा रहा है.
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NTA ने ग्रेस मार्क्स पाने वाले छात्रों के दिए दो ऑप्शन
एनटीए की ओर से ग्रेस मार्क्स पाने वाले छात्रों को दो ऑप्शन दिए गए हैं. छात्र रिएग्जाम में दे सकते हैं या फिर पुराने मार्क्स के साथ काउंसलिंग का हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन उनको मिले ग्रेस मार्क्स उनके अंकों में से घटा दिये जाएंगे. अब बच्चों के पास ये फैसला लेने की छूट है कि वे दोबारा परीक्षा देंगे या फिर काउंसलिंग से साथ आगे बढ़ेंगे.
कितने मिले ग्रेस मार्क्स?
NTA की ओर से 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. यह ग्रेस मार्क्स 10,12 या 30 नहीं बल्कि 100-150 अंक के थे जिसको लेकर असली बवाल शुरू हुआ. छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिलने से ऐसे बच्चे मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए जो मेरिट लिस्ट का हिस्सा थे और उनके लिए गवर्नमेंट कॉलेज पाना मुश्किल हो गया.