सरकार ने नहीं निभाया पेंशन वाला वादा, महाराष्ट्र में फिर गरमाएगा OPS आंदोलन

रूपक प्रियदर्शी

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Maharashtra Old Pension Scheme Protest
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हिमाचल चुनाव से कांग्रेस ने कहना शुरू किया था कि हम सरकार में आते ही ओल्ड पेंशन स्कीम(OPS) लागू कर देंगे. फिर कर्नाटक में भी कहा. अब जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं वहां-वहां कांग्रेस ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा कर रही है. कहीं गारंटी में जिक्र है, कहीं भाषणों में.

ओल्ड पेंशन के लिए हल्ला वहां मचना शुरू हुआ है जहां सरकार बीजेपी की है और जहां पेंशन नहीं मिल रही है. नई डिमांड शुरू हुई है महाराष्ट्र से, जहां बीजेपी-शिंदे-अजित पवार की मिलीजुली सरकार है. महाराष्ट्र के 17 लाख सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों ने अल्टीमेटम दे दिया है कि, ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करिए. नहीं तो फैमिली के साथ 8 नवंबर से सभी जिलों और तहसील में आंदोलन शुरू होगा. नारे लगेंगे-मेरा परिवार, मेरी पेंशन. 219 कर्मचारी यूनियनों ने मिलकर एक समन्वय समिति बनाई है, जिसके संयोजक विश्वास काटकर हैं. काटकर की चेतावनी है कि 8 नवंबर के आंदोलन से भी सरकार नहीं जागी तो 14 दिसंबर से ओपीएस के लिए अनिश्चितकाल हड़ताल होगी.

मराठा आरक्षण को लेकर सरकार पर पहले से है प्रेशर

महाराष्ट्र में शिंदे-बीजेपी की सरकार के सुख चैन में पहले से खलल पड़ी हुई है. मराठा आरक्षण वाले आंदोलन ने जोर पकड़ा हुआ है. अब ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए आंदोलन होगा. मतलब लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले अलग-अलग मुद्दों पर सरकार के खिलाफ लाखों लोग सड़क पर होंगे. विपक्ष चढ़ाई करेगा और बीजेपी बैकफुट पर होगी.

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इसी साल मार्च में भी ओपीएस(OPS) का मुद्दा गरम हुआ था. तब महाराष्ट्र सरकार ने एनपीएस में ओपीएस के कुछ फीचर शामिल करने का वादा करके आंदोलन ठंडा कर दिया था. वादा किया था कि एनसीपी में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14 परसेंट से 20 परसेंट कर देंगे. पूर्व आईएएस सुबोध कुमार की एक कमेटी भी बनाई लेकिन आंदोलन ठंडा पड़ते ही शिंदे सरकार वादा भूल गई लेकिन कर्मचारी नहीं भूल रहे हैं ओल्ड पेंशन को.

केंद्र की अटल सरकार ने लागू किया था न्यू पेंशन स्कीम

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 2004 में जाते-जाते सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद करके न्यू पेंशन स्कीम (NPS) लागू की थी. जिनकी सरकारी नौकरी 2004 के बाद लगी उनको पेंशन नहीं मिलती. उनके लिए अब एनपीएस है. ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 परसेंट तक फिक्स पेंशन मिलती है. महंगाई भत्ता अलग से बढ़ता रहता है. पेंशन मतलब रिटायरमेंट के बाद भी ‘फिक्स्ड गारंटीड इनकम’. रिटायर्ड कर्मचारी के निधन के बाद भी आश्रित को आधी पेंशन मिलती रहती है. इसके लिए सैलरी से कोई पैसा कटवाना भी नहीं पड़ता. केंद्र सरकार और राज्यों के जो सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम में नहीं है उनके लिए एनपीएस है. जिसमें अपने पैसे कटवाने पड़ते हैं पेंशन पाने के लिए. उसमें भी फिक्स्ड रिटर्न की कोई गारंटी नहीं हैं. एनपीएस में कर्मचारी अपनी सैलरी का दस प्रतिशत पेंशन स्कीम में जमा करता है. सरकार अपनी तरफ से 14 प्रतिशत देती है. ये पैसे नेशनल पेंशन स्कीम में जमा होते हैं. एनपीएस में जमा पैसे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड में लगते हैं. जिससे रिटर्न मिलता है.

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कर्मचारी संगठनों के आंदोलन ने बढ़ाई सरगर्मी

ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग जंगल में आग की तरह फैल रही है. सरकारी कर्मचारी संगठनों ने इसी महीने एक अक्टूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘पेंशन शंखनाद रैली’ करके हल्ला मचाया था. विपक्ष की कई पॉलिटिकल पार्टियों ने रामलीला मैदान आकर आंदोलन को समर्थन और सरकार को संदेश दिया कि ओल्ड पेंशन का मुद्दा ठंडा नहीं पड़ने दिया जाएगा.

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Karmchari Union Protest

BJP को रास नहीं है OPS

बीजेपी ओल्ड पेंशन स्कीम वापस लाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम से कांग्रेस को मिले चुनावी फायदे से परेशान भी है. बीजेपी अभी तक ऐसा कोई तोड़ नहीं निकाल पाई है जिससे ओल्ड पेंशन की उठती आवाज और कांग्रेस को मिलने वाला फायदा बंद हो जाए. सरकार पहले से नौकरी, रोजगार को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. मोदी सरकार ने नई पुरानी पेंशन स्कीम को रिव्यू करने के लिए एक कमेटी बनाई है जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है.

चूंकि कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम का हल्ला मचाना शुरू किया इसलिए सरकार प्रेशर में आकर एकदम से पेंशन लागू कर देगी, इसकी संभावना कम है. आंध्र प्रदेश में CM जगन मोहन रेड्डी ने ओपीसी के लिए तोड़ निकालकर नया फॉर्मूला बनाया है कि, सरकार रिटायरमेंट पर 33 परसेंट पेंशन की गारंटी देगी. बीजेपी सरकार भी शायद ऐसे ही किसी फॉर्मूले की तलाश में हो.

राजस्थान की गहलोत सरकार ने सबसे पहले लागू की OPS

राजस्थान में सबसे पहले अशोक गहलोत ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की थी. राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम-देश के ऐसे 6 राज्य जहां गैर बीजेपी पार्टियों की सरकार है. वहां ओल्ड पेंशन स्कीम लागू हो चुकी है. तमिलनाडु, बंगाल दो ऐसे राज्य हैं जहां पेंशन खत्म नहीं की गई थी. इस तरह 8 राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है.

कांग्रेस ने बनाया चुनावी मुद्दा

ओल्ड पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को फायदा है और इससे चुनाव जीता सकता है, ये कांग्रेस ने साबित किया, ये पॉलिटिक्स है. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने से सरकार को घाटा होगा, ये इकोनॉमिक्स है. एनपीएस स्कीम से सरकार फायदे में है लेकिन कर्मचारी घाटे में. अगर केंद्र सरकार 100 रुपये कमा रही है तो 9 रुपये पेंशन में खर्च कर रही है. बिहार, केरल, उत्तर प्रदेश,पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कमाई के 100 रुपये में से 25 से ज़्यादा रुपये पेंशन पर खर्च कर रहे है. सभी राज्यों का एवरेज निकालने पर 100 रुपये की कमाई पर 13 रुपये खर्च हो रहे हैं.

एनपीएस में भी सरकार को कंट्रीब्यूशन देना पडता है. रिजर्व बैंक का लॉजिक है कि पुरानी पेंशन लागू हो जाए तो अगले कुछ साल खर्च कम होगा क्योंकि सरकार को नई पेंशन के लिए अपने हिस्से का कंट्रीब्यूशन नहीं देना होगा लेकिन करीब 15 साल बाद खर्च साढ़े चार पांच गुना बढ़ जाएगा.

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