हिसाब-किताब: म्यूचुअल फंड में धुंआधार पैसे लगा रहे लोग पर क्या ये सही हैं, कितने सेफ हैं?

अभिषेक

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Mutual funds: म्यूचुअल फंड की बाजार में हिस्सेदारी 50 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है. 10 साल पहले तक यह आंकड़ा 10 लाख करोड़ रुपये था. म्यूचुअल फंड के इन बढ़ते आंकड़ों का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर होगा. इंडिया टुडे ग्रुप के Tak क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने अपने कॉलम ‘हिसाब किताब’ में म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी सवालों के जवाब देने और इसके भविष्य को समझाने की कोशिश की है. आज के हिसाब-किताब में चर्चा इस बड़े बदलाव की.

म्यूचुअल फंड की बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा?

मिलिंद खांडेकर: पिछले हफ्ते म्यूचुअल फंड ने 50 लाख करोड़ का माइलस्टोन हासिल किया है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में इसमें पांच गुना बढ़ोतरी हुई है. अगर हम म्यूचुअल फंड के बाजार में इस हिस्सेदारी की शेयर बाजार के संदर्भ में बात करें, तो मैं एक ही वाक्य में ये कहना चाहूंगा कि, जैसे देश आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ रहा है, उसी तरह म्यूचुअल फंड में इतने पैसे आने की वजह से भारतीय शेयर बाजार भी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है.

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शेयर बाजार को हमें कुछ इस तरह समझना चाहिए. शेयर बाजार में मुख्य रूप से तीन तरह से पैसे लगाए जाते हैं. जैसे विदेशी निवेशक होते हैं जिन्हें विदेशी संस्थागत निवेशक(FII) कहते हैं, दूसरा डोमेस्टिक संस्थागत निवेशक(DII) जिसमें म्यूचुअल फंड और इन्श्योरेन्स कंपनियां आदि हो गईं और इसमें तीसरे रीटेल इन्वेस्टर होते हैं जैसे हम और आपके जैसे लोग. हां लेकिन जो शेयर बाजार को ड्राइव करते हैं यानी चलाते हैं वो मुख्यातया FII और DII ही होते हैं.

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आज से लगभग 30 साल पहले FII को भारतीय बाजारों में पैसा लगाने की अनुमति मिली थी. तभी से एक तरह से उनका बोलबाला ही रहा है. उन्होंने मार्केट को अपने हिसाब से चलाया है. साल 2015 के बाद से इसमें बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है. 2015 में FII और DII के बीच शेयरों का अंतर 50 फीसदी से ज्यादा था. अब सितंबर 2023 में आए नए आंकड़ों के मुताबिक FII और DII के शेयरों का अंतर मात्र 13 फीसदी रह गया है. अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में म्यूचुअल फंड से आने वाले पैसे को वजह से DII, FII से आगे निकल जाएगा. इससे बाजार की विदेशी निवेश पर निर्भरता कम होगी. तब भारतीय निवेशक ड्राइविंग सीट पर होंगे.

 

क्या होता है म्यूचुअल फंड?

मिलिंद खांडेकर: शेयर बाजार में आप दो तरह से निवेश कर सकते हैं. एक ये कि आप डायरेक्ट किसी कंपनी का शेयर खरीद लेते हैं. हालांकि इसमें बहुत उतार-चढ़ाव होता है, जो सबके बस की बात नहीं है. इसी के विकल्प के तौर पर म्यूचुअल फंड हैं. म्यूचुअल फंड में आपके पैसे लगाने का काम फंड मैनेजर करता है. वो देखता है कि पैसे किस सेक्टर और किन-किन कंपनियों में लगाना है. शेयर बाजार से सीधे निवेश और म्यूचुअल फंड में यही बड़ा फर्क होता है. वर्तमान में म्यूचुअल फंड को ऐसे दिखाया जा रहा है कि ये सबका फंड है, जो इसके लिए फायदेमंद साबित हो रहा है.

वर्तमान में लोगों का म्यूचुअल फंड में इतना रुझान क्यों देखा जा रहा है?

मिलिंद खांडेकर: ये सही बात है कि वर्तमान में म्यूचुअल फंड के प्रति रुझान ज्यादा है. इस समय शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तरों पर है, लोगों को लगता है कि हम पैसा लगा देंगे तो बढ़ जाएगा. शेयर बाजार बहुत ही वोलेटाइल होता है, तो कई लोग पैसा लगाने का इससे इतर कोई और माध्यम चाहते हैं. हाल के वर्षों में इसके लिए म्यूचुअल फंड बहुत ही सटीक विकल्प बन कर उभरा है. Grow, Upstocks और Zerodha जैसे ऐप ने म्यूचुअल फंड में निवेश को बहुत ही आसान बना दिया है, जिससे आज सभी लोग बहुत ही आसानी से इनमें निवेश कर पा रहे हैं.

म्यूचुअल फंड में अगर आपने पैसे लगाने शुरू नहीं किए हैं, तो SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के रास्ते सोच सकते हैं. हालांकि इस म्यूचुअल फंड में भी निवेश जोखिम भरा है. आपका मूल धन लौटने की भी गारंटी नहीं है. वैसे निवेश का नियम भी यही है कि, जितना ज्यादा रिस्क उतना ज्यादा रिटर्न. आप अपनी रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार कोई भी फंड चुन सकते हैं.

(‘हिसाब-किताब’ इंडिया टुडे ग्रुप के Tak क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर का साप्ताहिक कॉलम है. इसमें इकनॉमी और बिजनेस को समझने-समझाने की कोशिश की जाती है.)

इसका पूरा वीडियो आप यहां देख सकते है-

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