प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा की किताब ने मचाया बवाल, राहुल गांधी पर इन दावों की खूब चर्चा
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. जिसमें उन्होंने गांधी परिवार से लेकर नरेंद्र मोदी तक के किस्सों पर रोशनी डाली है.
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PRANAB, MY FATHER: A Daughter Remembers: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. जिसमें उन्होंने गांधी परिवार से लेकर नरेंद्र मोदी तक के किस्सों पर रोशनी डाली है. आइए हम बताते हैं कि क्या है इस किताब में जिसकी हो रही है खूब चर्चा.
शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब ‘प्रणब, माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स’ को रूपा पब्लिकेशन्स इंडिया ने प्रकाशित किया है. यह किताब प्रणब मुखर्जी की डायरी, उनके साथ उनकी बेटी शर्मिष्ठा की बातचीत और उनके स्वयं के शोध पर आधारित है. किताब का विमोचन 11 दिसंबर को प्रणब मुखर्जी की जयंती पर होगा.
प्रणब की बेटी ने क्या दावे किए जिससे मचा है बवाल?
किताब का दावा: प्रणब मुखर्जी का मानना था कि राहुल गांधी को राजनीतिक रूप से अभी परिपक्व होना बाकी है. राहुल के बारे में प्रणब ने लिखा था कि उनके पास राजनीतिक कौशल के अलावा अपने गांधी-नेहरू वंश का सारा अहंकार है. किताब के मुताबिक सोनिया ने प्रणब से कहा था कि गांधी परिवार एक-दूसरे के अलावा (अपने और उनके बच्चे) के अलावा किसी पर भी पूरा भरोसा नहीं करते हैं.
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राहुल पीएमओ चलाने की आशा कैसे रख सकते हैं?
‘प्रणब, माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में शर्मिष्ठा ने प्रणब मुखर्जी और राहुल गांधी का एक किस्से को लिखती हैं. इसके मुताबिक, ‘प्रणब मुखर्जी तब राष्ट्रपति थे. सुबह का वक्त था और प्रणब मुखर्जी मुगल गार्डन में टहल रहे थे. शाम को राहुल गांधी के साथ उनकी मीटिंग तय थी. लेकिन, राहुल उनसे उसी समय (सुबह) मिलने पहुंच गए. दरअसल यह मिस्टेक राहुल की टीम से हुई थी. प्रेसिडेंट प्रणब राहुल से मिले. लेकिन, बाद में अपनी बेटी शर्मिष्ठा से उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा था कि राहुल गांधी का ऑफिस जब AM/PM का अंतर नहीं समझ पाता तो वह पीएमओ चलाने की आशा कैसे रख सकते हैं.’
किताब में प्रणब का एक और किस्सा है. जिसमे उन्होंने राहुल गांधी को सलाह दी कि उन्हें कैबिनेट में शामिल होना चाहिए और देखना चाहिए कि सरकार कैसे चलाई जाती है. इसका उन्हें तजुर्बा करना चाहिए.
कांग्रेस के लोकतांत्रिक चरित्र पर भी की थी टिप्पणी
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता प्रणब मुखर्जी के कांग्रेस को लेकर विचार लिखे हैं. जिसमें प्रणब कहते हैं कि “कांग्रेस ने अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो दिया है, जिसने देश की राजनीति को प्रभावित किया है. आजादी के बाद अगर एक ही परिवार के 5 सदस्यों का कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 37 साल तक कब्जा रहा, तो ये लोकतंत्र के सबसे खराब रूप का प्रमाण है, परिवार आज संगठन को शक्ति प्रदान नहीं कर रहा है.”
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प्रधानमंत्री मोदी के थे प्रशंसक
शर्मिष्ठा ने अपनी किताब ‘प्रणब, माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में लिखा है कि प्रणब अक्सर नरेंद्र मोदी के फैसलों की प्रशंसा किया करते थे. उनके मुताबिक बाबा (प्रणब मुखर्जी ने) कई बार इस बात का जिक्र किया कि उनकी नजर में इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो जनता की नब्ज समझते हैं. 23 अक्टूबर 2014 को उन्होंने अपनी डायरी में लिखा था ‘दीपावली पर जवानों के बीच सियाचिन जाना और फिर श्रीनगर में बाढ़ पीड़ितों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक समझ को दर्शाता है.’ ऐसा इंदिरा गांधी के बाद किसी दूसरे प्रधानमंत्री में देखने को नहीं मिला है.
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सोनिया की वजह से नहीं बन पाए प्रधानमंत्री
प्रणब मुखर्जी के प्रधानमंत्री बनने को लेकर शर्मिष्ठा मुखर्जी अपनी किताब में लिखती हैं कि “बाबा (प्रणब) प्रधानमंत्री बनना चाहते थे लेकन उन्हें पता था कि वह बन नहीं सकते. इसलिए उन्हें कोई निराशा नहीं थी. शर्मिष्ठा के मुताबिक एक बार उन्होंने प्रणब से पूछा कि आप प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं? प्रणब का जबाब था कि बिल्कुल कोई भी सीरियस पॉलिटिशियन प्रधानमंत्री बनना चाहेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगा.”
प्रणब के मुताबिक सोनिया गांधी जी को लगता था कि वह (प्रणब) एक दिन सोनिया गांधी की ऑथोरिट चैलैंज करेंगे. इसलिए सोनिया गांधी ने अपने और अपने परिवार के हितों को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने ऐसे को प्रधानमंत्री चुना जो उनकी ऑथोरिटी को चैलेंज न करता हो.
कौन हैं शर्मिष्ठा मुखर्जी?
शर्मिष्ठा मुखर्जी का जन्म 30 अक्टूबर 1965 में हुआ था. वे एक इंडियन क्लासिकल डांसर और कोरियोग्राफर हैं. शर्मिष्ठा नृत्य को लेकर कई पुरस्कार भी जीत चुकी हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी का जन्म तो कोलकाता में हुआ पर वे दिल्ली में पली-बढ़ीं. उन्होंने लेडी आइविन स्कूल और सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2014 में कांग्रेस ज्वाइन की थी. 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में शर्मिष्ठा ग्रेटर कैलाश से चुनाव लड़ी, लेकिन आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद वह कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहीं. 2021 में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और राजनीति से हट गईं.
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