साप्ताहिक सभा: क्या राहुल बनेंगे विपक्ष के नेता? कांग्रेस ने राहुल गांधी को सौंपी सबसे बड़ी जिम्मेदारी

शुभम गुप्ता

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Rahul Gandhi: क्या राहुल गांधी बनेंगे विपक्ष के नेता? कांग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर राहुल से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालने को कहा है. हालांकि, राहुल गांधी ने इस पर विचार करने के लिए समय मांगा है. अगले हफ्ते संसद सत्र में इसका फैसला हो सकता है. पिछले दो लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 और 2019 में कांग्रेस को आवश्यक 10% सीटें नहीं मिलीं, इस बार 99 सीटों के साथ कांग्रेस को एलओपी मिलेगी. इस बार की न्यूज Tak की साप्ताहिक सभा में ‘Tak’ क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने इसी मुद्दे और प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने को लेकर वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावल के साथ बात की है. आइए आपको बताते हैं, इस चर्चा के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु.

क्या राहुल गांधी विपक्ष के नेता का पद स्वीकार करेंगे?

8 जून को हुई बैठक में CWC ने एक प्रस्ताव पारित किया. कहा गया कि राहुल गांधी को विपक्ष के नेता का पद ले लेना चाहिए. इसपर बात करते हुए आदेश रावल ने कहा कि राहुल गांधी को लेकर दो धारणाएं है.  पहली भारत जोड़ो यात्रा से पहले थी कि राहुल गांधी एक सीरियस पॉलिटिश्यन नहीं हैं. तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक यह यात्रा प्लान की गई. वे 3700 किलोमीटर पैदल चले और 25 किलोमीटर रोज पैदल चला करते थे.ऐसी किसी यात्रा के लिए फिजिकल हेल्थ से ज्यादा मुझे लगता है, कि आपका मेंटल स्टेटस मजबूत चाहिए तो राहुल गांधी ने उस यात्रा के जरिए अपना वो परसेप्शन तोड़ा.

अब दूसरी धारणा उनके बारे में यह है कि वह हर चीज पीछे से करना चाहते हैं, यानी मल्लिकार्जुन कांग्रेस प्रेसिडेंट है. लेकिन सारे फैसले राहुल करते हैं. यानी राहुल के लिए कहा जाता है कि वे ड्राइविंग सीट पर नहीं आते. उनके जो स्ट्रेटजिस्ट है उनका ये कहना है कि इस परसेप्शन भी तोड़ने की जरूरत है. आप पिछले 20 साल से सक्रिय राजनीति में है. लेकिन आपके पास सारे पद पार्टी के भीतर रहे हैं , वाइस प्रेसिडेंट रहे, एनएसआई, कांग्रेस के इंचार्ज, कांग्रेस प्रेसिडेंट रहे. आपके पास 10 साल की यूपीएस सरकार थी लेकिन आपके सरकार में आपके पास कोई भी पद नहीं था, अब आपको फ्रंट फुट पर आकार यह धारणा भी तोड़नी चाहिए. इसलिए राहुल गांधी LOP बनेंगे. 

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राहुल ने रायबरेली के लिए क्यों छोड़ी वायनाड सीट?

इस सवाल का जवाब देते हुए आदेश रावल ने वायनाड सीट पर वोटिंग की बात की. उन्होंने कहा कि यह फैसला तय किया जाना था कि गांधी फैमिली में से रायबरेली और अमेठी सीट से कौन लड़ेगा, तो राहुल गांधी चाहते थे कि एक सीट से प्रियंका गांधी लड़े. राहुल गांधी वायनाड से ही सांसद रहना चाहते थे, लेकिन प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. उन्होंने कहा की वो अभी चुनावी राजनीति में नहीं आना चाहती हैं. फिर राहुल गांधी पर इस बात का दबाव आया कि उन्हें रायबरेली सीट से भी चुनाव लड़ना पड़ेगा. गांधी परिवार ने तय किया कि रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे और अमेठी सीट किशोरी लाल शर्मा को दे दी गई. उस वक्त राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खरगे को कहा कि मैं अगर दोनों सीट जीत गया तो मैं वायनाड सीट रखूंगा और रायबरेली  सीट खाली कर दूंगा. इसपर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम यह फैसला चार तारीख के नतीजों के बाद करेंगे कि किसे कौन सीट रखनी है कौन सी खाली करनी है.

मल्लिकार्जुन खरगे के कहने के बाद राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने के लिए मान गए. जब सोनिया गांधी  प्रचार -प्रसार के लिए रायबरेली गई तो वहां उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मैं अपना बेटा आप लोगों को सौंप रही हूं. उस दिन यह बात क्लियर हो गई थी कि गांधी परिवार यह सीट रिटेन करेगा.

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2019 में जब राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे. तब गांधी परिवार का ये मानना था कि उस मुश्किल घड़ी में हमारा साथ केरल के वायनाड के लोगों ने दिया. पहले ये तय हुआ कि वायनाड सीट वहां के लोकल कार्यकर्ता को दे दी जाए. लेकिन बाद में इस बात का एहसास कराया गया कि वायनाड की जनता हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है और उन्होंने हमारा मुश्किल घड़ी में साथ दिया था इसलिए प्रियंका गांधी को वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के लिए मनाया गया. 

इस पूरी बातचीत को आप यहां देख सकते हैं.

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