PM मोदी के सेल्फी प्वाइंट की जानकारी शेयर करना अफसर को पड़ा भारी, हुआ ट्रांसफर! ये है पूरा विवाद

राजू झा

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PM Selfie Booth: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3-D सेल्फी बूथ और सेल्फी पॉइंट में लागत की सच्चाई का पता लगाने वाले रेलवे के अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया गया है.  जानकारी के अनुसार, आरटीआई में बूथ के बारे में जानकारी देने के बाद मध्य रेलवे ने अपने मुख्य PRO शिवराज मानसपुरे का ट्रांसफर कर दिया. मानसपुरे के कार्यकाल के अंत से पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया है, जो आमतौर पर दो साल तक चलता है. ना सिर्फ ट्रांसफर किया गया है बल्कि अब जानकारी देने के लिए कुछ नए नियम भी बनाए गए हैं. आइए आपको बताते हैं रेलवे ने नियम में क्या बदलाव किए हैं और ये पूरा मामला आखिर है क्या? 

राहुल गांधी ने इस मामले पर एक ट्वीट किया था जो काफी वायरल हुआ था. राहुल ने  ट्वीट में लिखा था कि, ‘गरीबों की सवारी’ भारतीय रेल के हर वर्ग का किराया बढ़ाया गया, किराए में बुजुर्गों को मिलने वाली छूट तक खत्म कर दी गयी, प्लेटफार्म टिकट के दाम बढ़ाए गए, निजीकरण के द्वार खोल दिये गए, जनता की मेहनत की कमाई से निचोड़ा जा रहा यह पैसा क्या ‘सेल्फी स्टैंड’ बनाने के लिए था? भारत की जनता को क्या चाहिए? सस्ता गैस सिलेंडर एवं सुलभ रेल यात्रा? या ‘शहंशाह के बुत’ के साथ तस्वीर?’

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RTI में जिस अधिकारी ने ये जानकारी थी, रिपोर्ट और खबर छपने के बाद ही उसका ट्रांसफर कर दिया गया. साथ में भारतीय रेलवे ने सूचना का अधिकार क़ानून (RTI) के तहत जानकारी देने के जोनल रेलवे के नियमों को और कड़ा कर दिया. अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, नए नियमों के अनुसार अब RTI के सभी जवाबों को जोनल रेलवे के महाप्रबंधक या मंडल रेलवे प्रबंधक (DRM) मंजूरी देंगे, जिसके बाद ही वो जवाब दिया जाएगा, जबकि अब तक ऐसा नहीं था. रेलवे ने कानून में ये बदलाव अधिकारी के RTI के जवाब देने से हुए विवाद के बाद किया है.

‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार अब इस बदलाव के पीछे और इस विवाद की वजह को समझिए 

अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में 27 दिसंबर 2023 को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे स्टेशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाले स्थायी सेल्फी बूथ की लागत 6.25 लाख रुपये है, जबकि इस तरह के अस्थायी बूथ की लागत 1.25 लाख रुपये है. ये सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा अनुमोदित लागत है. अखबार के अनुसार एक आरटीआई के जबाव में ये जानकारी दी गई थी.

आरटीआई के अनुसार, मध्य रेलवे का कहना है कि पांच डिवीजनों- नागपुर, मुंबई, पुणे, भुसावल और सोलापुर में 30 स्टेशनों पर अस्थायी और 20 स्टेशनों पर स्थायी सेल्फी बूथ लगाए गए हैं. क्लास-ए स्टेशन पर प्रत्येक अस्थायी बूथ की लागत 1.25 लाख रुपये, जबकि क्लास-सी स्टेशनों पर स्थायी बूथ की लागत 6.25 लाख हैं.

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हालांकि द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक शिवाजी मानसपुरे के ट्रांसफर को इस मामले से जोड़ने की बात को अफवाह बताया है और कहा कि ऑपरेशन कारणों से उनका ट्रांसफर किया गया. नए दिशानिर्देशों का आरटीआई के जवाब से कोई लेना-देना नहीं है. वहीं आरटीआई के जरिए सवाल पूछने वाले अजय बोस ने अखबार को बताया कि, दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तरी रेलवे से भी थ्री-डी सेल्फी बूथ पर किए गए खर्च पर जानकारी के लिए आरटीआई भेजी थी लेकिन उसका जवाब नहीं मिला.

अब देखना ये होगा कि सेल्फी पर शुरू हुई ये नई सियासत आगे कहां तक जाती है और इस पर सत्ता पक्ष की तरफ से क्या जवाब आता है.

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