‘जो चाहो पहनो जो चाहो खाओ’, कर्नाटक में हिजाब बैन हटाएगी सिद्दारमैया सरकार! क्या है विवाद?

अभिषेक

हिजाब को लेकर प्रदर्शनों और विरोधों के बीच 5 फरवरी 2022 को कर्नाटक सरकार ने स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य करने का फैसला ले लिया. इसके बाद कुछ छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया थी.

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Hijab ban in Karnataka: 22 दिसंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक सभा में सवाल का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में हिजाब पर लगा बैन हटा दिया जाएगा. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पोशाक पहनने को स्वैच्छिक स्वतंत्रता बताते हुए इसपर से बैन हटाने का फैसला लेने की बात कही. कर्नाटक में साल 2021 से हिजाब का मुद्दा गरमाया हुआ है. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे पर जमकर सियासत हुई थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगा दिया था जिसे कर्नाटक हाई कोर्ट ने सही करार दिया था. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था लेकिन कोई फैसला नहीं आ पाया था. अब सिद्धारमैया के नेतृत्व में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने हिजाब पर से बैन वापस लेने पर विचार कर रही है. आइए बताते हैं क्या है हिजाब विवाद और अब तक क्या हुआ है इस मुद्दे पर.

कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, ‘हिजाब पर अब प्रतिबंध नहीं है. मैंने प्रतिबंध के आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया है. पोशाक और भोजन का चुनाव सबकी अलग-अलग पसंद का मामला है. मैं किसी को क्यों रोकूं. जो चाहे पहनो, जो चाहो खाओ. मैं जो चाहूं मैं खाऊंगा, तुम जो चाहो तुम खाओ. मैं धोती पहनता हूं, तुम पैंट शर्ट पहनते हो, इसमें गलत क्या है? वोट के लिए राजनीति नहीं करनी चाहिए’.

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पहले इस पूरे मामले को जान लीजिए

ये मामला साल 2021 के दिसंबर का है जब कर्नाटक के उडुपी में एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर एंट्री ली थी. कॉलेज प्रशासन के कैंपस में हिजाब पहनने की मनाही के बावजूद उन छात्राओं ने हिजाब पहना था. फिर कॉलेज प्रशासन ने उन्हें बाहर निकाल दिया. इसके बाद लड़कियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज किया था. इसी के बाद कर्नाटक से लेकर पूरे देशभर में हिजाब को लेकर प्रदर्शन शुरू हुआ. स्कूल-कॉलेज में हिजाब के समर्थन और विरोध को लेकर जमकर प्रदर्शन किए गए.

हाई कोर्ट ने सुनाया था कॉलेज प्रशासन के पक्ष में फैसला

हिजाब को लेकर प्रदर्शनों और विरोधों के बीच 5 फरवरी 2022 को कर्नाटक सरकार ने स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य करने का फैसला ले लिया. इसके बाद कुछ छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया. छात्राओं ने अपनी याचिकाओं में हिजाब पर लगे बैन को हटाने की मांग की थी. कोर्ट ने अपने फैसले में ‘हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है’ ये कहते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

SC में नहीं हो पाया था अंतिम फैसला

हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच को इस पर फैसला लेना था. दोनों जज इस मामले की सुनवाई करते हुए 13 अक्टूबर 2022 को एकमत नहीं दिखे और अलग-अलग फैसला सुनाया. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए राज्य सरकार के लगाए हिजाब पर प्रतिबंध को सही माना. जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया. फैसला एक-एक से बराबर होने की वजह से अंतिम फैसला नहीं हो पाया था जिसकी वजह से प्रदेश में अभी भी कर्नाटक हाई कोर्ट का दिया गया फैसला ही लागू था. अब कर्नाटक सरकार ने उसे रद्द करते हुए हिजाब पर बैन को हटा दिया है.

बीजेपी ने इसे एक समुदाय को खुश करने की कोशिश बताया

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बसवराज बोम्मई ने कहा है कि ‘हिजाब मुद्दा पर लगा बन हटाना एक समुदाय को खुश करने के लिए है. हिजाब एक ड्रेस कोड का मुद्दा है. कर्नाटक में महिलाएं हर जगह हिजाब पहनती हैं लेकिन स्कूल में ड्रेसकोड है.’ उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया का यह मुद्दा लाना केवल वोट बैंक के लिए और वोटों के लिए समाज को विभाजित करने के लिए है.

भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर कहा कि, ‘कांग्रेस ने सरिया कानून के तहत हिजाब से प्रतिबंध हटाया है. अगर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की देश में सरकार में बनी तो इसी तरह से इस्लामी कानून ‘सरिया’ कानून लागू होगा. यह सनातन धर्म को खत्म करने का एक तरह से सुनियोजित तरीका है.’

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