पीक ऑवर्स में कितनी महंगी पड़ेगी Ola-Uber की सवारी? दोगुने किराए का पूरा गणित समझें
Ola Uber fare hike 2025: केंद्र सरकार की नई मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 के तहत Ola, Uber, Rapido जैसी कैब सर्विस पीक आवर्स में बेस किराए से दोगुना तक चार्ज कर सकेंगी.
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अब Ola, Uber, Rapido जैसी कैब और बाइक टैक्सी सेवाओं से सफर करना और भी ज्यादा महंगा होने वाला है. दरअसल, हाल ही में केंद्र सरकार ने नए मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 (MVAG 2025) जारी की है. जिसके तहत Ola, Uber, Rapido जैसी कैब और बाइक टैक्सी सेवा देने वाली कंपनियां पीक ऑवर्स में यानी ऐसे समय में जब भीड़ भाड़ ज्यादा होती है, बेस किराए का दोगुना तक चार्ज कर सकती है. इस गाइडलाइन के जारी किए जाने से पहले तक ये कंपनियां अधिकतम 1.5 गुना तक ही चार्ज कर सकती थीं.
इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि क्या है ये नियम और इससे अपकी जेब पर कितना असर पड़ने वाला है.
सबसे पहले समझिए की ये बेस किराया होता क्या है?
किसी भी कैब, ऑटो-रिक्शा या बाइक जैसी टैक्सी सर्विस एक निश्चित दूरी तय करने के लिए जो किराया लेती है उसे बेस किराया कहते हैं. इस बेस किराया को राज्य सरकारें तय करती हैं, क्योंकि परिवहन नियम राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
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तो क्या नॉन-पीक आवर्स में भी देना होगा ज्यादा किराया
नए नियम के अनुसार नॉन-पीक आवर्स (कम भीड़ वाले समय) में किराया बेस रेट से 50% से कम नहीं हो सकता. यानी कंपनियां दोपहर के समय या देर रात भी बेस किराए से कम किराया नहीं ले सकतीं फिर चाहे राइड कितनी भी छोटी क्यों न हो.
मान लीजिये आपको बाइक से 2 किलोमीटर तक जाना है और उसका किराया 200 रुपए पड़ता है. तो अब नए नियम के अनुसार पीक आवर्स में यही बाइक आपसे उतनी ही दूरी का 400 तक किराया ले सकती है. जबकि उसी बाइक सर्विस का इस्तेमाल अगर आप दोपहर या देर रात में करते हैं तो आपको 2 किलोमीटर की राइड का कम से कम 100 रुपए देना होगा. कंपनी इसके लिए पहले और कम रुपए चार्ज करती थी.
राइड कैंसल करने पर ड्राइवर पर जुर्माना
इतना ही नहीं नए गाइडलाइन के अनुसार अगर कोई ड्राइवर बिना उचित कारण के राइड कैंसल करता है तो उस पर किराए का 10% तक (अधिकतम ₹100) का जुर्माना लगाया जाएगा.
राज्यों को तीन महीने में अपनाने होंगे ये नियम
केंद्र सरकार की तरफ से इस नए नियमों को अगले तीन महीने (सितंबर तक) के अंदर सभी राज्यों को अपनाना होगा. किराया तय करने की जिम्मेदारी अब राज्यों की होगी. अगर किसी राज्य ने किराया तय नहीं किया है तो कंपनियों को अपना बेस रेट घोषित करना होगा.
डेड माइलेज चार्ज पर भी नया नियम
डेड माइलेज (ड्राइवर द्वारा पिकअप के लिए तय की गई दूरी) का चार्ज तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कि पिकअप पॉइंट 3 किमी से कम दूर न हो.
ड्राइवरों को बीमा की सुविधा अनिवार्य
नई गाइडलाइंस के तहत सभी एग्रीगेटर कंपनियों को अपने ड्राइवरों के लिए कम से कम ₹5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस और ₹10 लाख का टर्म इंश्योरेंस देना अनिवार्य होगा.
बाइक टैक्सी सेवाओं को राहत
इस नए नियम से जहां एक तरफ आम जनता पर किराया बढ़ने का असर पड़ेगा वहीं बाइक टैक्सी ऑपरेटरों (जैसे Rapido, Uber Moto) के लिए ये नियम राहत लेकर आए हैं. खासकर कर्नाटक जैसे राज्यों में बाइक टैक्सी पर बैन के चलते जो कानूनी अड़चनें थीं अब उनमें थोड़ी स्पष्टता आई है.
इस नए नियम पर कंपनियों की प्रतिक्रिया
Uber और Rapido जैसी कंपनियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. Uber ने इसे 'आगे की सोच वाला और नवाचार को बढ़ावा देने वाला फैसला' बताया है. कंपनी ने कहा, 'राज्यों द्वारा समय पर अपनाया जाना इस नीति की सफलता की कुंजी है.'
नए नियमों से एक तरफ जहां यात्रियों को पीक समय में ज्यादा किराया देना होगा, वहीं ड्राइवरों को बीमा और कमाई से जुड़ी सुरक्षा मिलेगी. राज्य सरकारों की भूमिका अब और अहम हो गई है क्योंकि किराया और ड्राइवर इंसेंटिव तय करने की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी.
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