तड़के 3:28 बजे बंगाल के मंत्री अरेस्ट, ED के सारे एक्शन पर क्यों उठाए जा रहे सवाल?

देवराज गौर

ADVERTISEMENT

ईडी ने TMC मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को राशन भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया है.
ईडी ने TMC मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को राशन भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया है.
social share
google news

न्यूज तकः प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले दो दिनों में राजस्थान से लेकर पश्चिम बंगाल तक कई एक्शन लिए. बंगाल में तो मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक को उनके घर से देर रात 3:28 बजे गिरफ्तार किया गया. मलिक पर प्रदेश का खाद्य मंत्री रहते हुए घोटाले के आरोप हैं. राजस्थान में भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा पर ED का छापा पड़ा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को ED का समन मिला. एक के बाद एक विपक्षी नेताओं पर ED के ये ऐक्शन चर्चा में हैं. आरोप लग रहे हैं कि ED सिर्फ विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है.

मामला सिर्फ राजस्थान और बंगाल तक ही सीमित नहीं है. छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल के करीबियों पर ऐक्शन हुए. आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद संजय सिंह को कथित शराब घोटाले में ईडी ने अरेस्ट किया. वहीं तेलंगाना में मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी के. कविथा की भी दिल्ली शराब घोटाले को लेकर छानबीन जारी है. 12 दिसंबर 2022 को राज्यसभा में बोलते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सवाल उठाया था कि पिछले 8 सालों में 3000 छापे विपक्ष के नेताओं पर मारे गए हैं. इनमें ईडी सिर्फ 23 यानी 0.5 फीसदी लोगों को ही सजा दिला पाई.

2014 के बाद से नेताओं पर ED के मामलों में 4 गुना उछाल

21 दिसंबर 2022 की इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के बाद से राजनेताओं के खिलाफ ईडी के मामलों में 4 गुना ज्यादा उछाल आया है. इसमें 95 फीसदी विपक्ष के नेताओं से जुड़े मामले हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के बाद से 121 नेता ईडी की जांच के घेरे में आए हैं. इनमें 115 विपक्ष से हैं, बीजेपी के सिर्फ 6 नेता हैं. ये रिपोर्ट करीब 10 महीने पुरानी है, तो इन मामलों में आज के हिसाब से स्टेट्स में कुछ बदलाव जरूर संभव है. यहां नीचे दिए गए ग्राफिक्स में आप पार्टी के हिसाब से ED के केस देख सकते हैं.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

विपक्ष पर ईडी के केस
विपक्ष का आरोप है कि ईडी दुर्भावना के साथ कार्रवाई कर रही है.

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के 2004-2014 के शासन के बीच ED ने कुल 26 केस दर्ज थे. इसमें 14 विपक्षी नेताओं पर, तो 12 कांग्रेस और सहयोगी दलों के नेताओं पर थे.

ED का काम क्या है?

ईडी केंद्रीय जांच एजेंसी है, जो किसी भी केस में फायनेंशियल फ्रॉड का एंगल आते ही एंट्री मार लेती है. विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि सरकार ईडी का दुरुपयोग कर रही है. आरोप यह भी लगते हैं कि जो विपक्षी नेता पाला बदल बीजेपी में शामिल हो जाते हैं, ED से बच जाते हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वकर्मा जो पहले कांग्रेस में थे, शारदा चिट फंड मामले में ईडी और सीबीआई का सामना कर रहे थे. बाद में बीजेपी में आए, तो अब विपक्ष कहता है कि उनका मामला शिथिल पड़ गया. इसी क्रम में पश्चिम बंगाल के नेता सुबेंदु अधिकारी का भी नाम लिया जाता है, जो तृणमूल कांग्रेस से BJP में आए. यह भी नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में हैं. टीएमसी का आरोप रहता है कि इनकी जांच में भी अब प्रगति नहीं हो रही है

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT