Exit Poll 2024: क्या होते हैं Exit Poll? कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत, जानिए इसके बारे में सबकुछ
Lok Sabha Exit Poll Result 2024:भारत में पहली बार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (Indian Institute Of Public Opinion) ने पोल कराया था. यहां दूसरे लोकसभा चुनाव साल 1957 में कराया गया. भारत में इसे एग्जिट पोल नहीं माना गया लेकिन पोल की शुरुआत इसे ही माना जाता है.
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Exit Polls: लोकसभा चुनाव के लिए आज आखिरी फेज की वोटिंग जारी है. आज शाम 6 बजे चुनावी प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी. 4 जून को नतीजे सामने आएंगे. नतीजे आने से पहले सबके निगाहें एग्जिट पोल पर टिकी हैं जो आज शाम साढ़े 6 बजे से सामने आने शुरू हो जाएंगे. आखिर क्या होता है एग्जिट पोल और कब हुई इसकी शुरुआत. आइए जानते हैं सब कुछ विस्तार से..
क्या है एग्जिट पोल?
चुनाव के दौरान जब भी कोई मतदाता पोलिंग बूथ से अपने मत का इस्तेमाल कर के बाहर आता है तो सर्वे करने वाली एजेंसी उनसे इस बारे में बात करती है कि उन्होंने किस उम्मीदवार या पार्टी को वोट किया है. इसके अलावा और भी कई तरह के सवाल उनसे पूछे जाते हैं. सर्वे करने वाली एजेंसी कई तरह से सर्वे करती है. सर्वे टीम जाति के हिसाब से भी डाटा लेती है. इसके बाद उसका एनालिसिस किया जाता है. डाटा से मिली जानकारी के मुताबिक ही बताया जाता है कि किसे कितनी सीट मिल सकती है.
इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?
साल 1936 में अमेरिका ने पहला exit poll कराया था. तब वहां राष्ट्रपति पद को लेकर चुनाव चल रहे थे. न्यूयॉर्क के जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिनसन ने मतदान केंद्रों से बाहर आ रहे वोटर्स से चुनाव के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर कुछ सवाल किए थे. इसके बाद नतीजे जारी किए गए. ज्यादातर वोटर्स ने राष्ट्रपति का चुनाव लड़े रहे फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट का नाम लिया. एग्जिट पोल में भी फ्रैंकलिन की जीत की भविष्यवाणी की गई. चुनाव के जब नतीजे आए तो उनमें फ्रैंकलिन की जीत हुई.तब से ही यह प्रक्रिया चलन में आ गई.
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भारत में कब हुई इसकी शुरुआत?
भारत में पहली बार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने पोल कराया था. यहा दूसरे लोकसभा चुनाव साल 1957 में कराया गया. भारत में इसे एग्जिट पोल नहीं माना गया लेकिन पोल की शुरुआत इसे ही माना जाता है. इसके बाद 1980 में डॉ. प्रणय रॉय द्वारा फिर से exit poll कराया गया. 1996 के लोकसभा चुनाव में exit poll को काफी अहमियत दी गई. तब सर्वे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के द्वारा किया गया था. इस पोल के नतीजे दूरदरशन के माध्यम से पहली बार टीवी पर दिखाए गए थे.
EXIT POLL की गाइडलाइंस
रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते हैं. 1998 से पहले देश में इसको लेकर कोई भी गाइडलाइन नहीं थी. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं. कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद, जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
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यह स्टोरी न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रही निहारिका सिंह ने लिखी है.
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