महाराष्ट्र कैडर की IAS पूजा खेडकर पर लगे आरक्षण और दिव्यांगता में फर्जीवाड़े के आरोपों की क्या है सच्चाई? जानिए
पूजा के पिता रिटायर्ड ऑफिसर है और चुनाव भी लड़ चुके है. चुनावी हलफनामे के मुताबिक, पूजा खेडकर के पैरेंट्स के पास 110 एकड़ कृषि भूमि है, इसके अलावा छह दुकानें, सात फ्लैट (एक हीरानंदानी में), 900 ग्राम सोना, हीरे, 17 लाख की सोने की घड़ी और चार कारें हैं. खुद IAS पूजा खेडकर के पास 17 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
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IAS Pooja Khedkar case: महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की चर्चा पूरे देश में हो रही है. पूजा पर आरोप है कि, उन्होंने UPSC की सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्वालिफाई करने के लिए दिव्यांगता और OBC का फेक सर्टिफिकेट दिखाया था. जबकि जांच में पाया गया कि IAS पूजा क्रीमी लेयर ओबीसी हैं, जिन्हें UPSC की परीक्षा में आरक्षण नहीं मिलता है. ऐसे ही उन्होंने दो बार UPSC की परीक्षा पास की है. पहली बार मए उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस(IRS) मिला था वहीं दूसरी दफा उन्हें IAS मिला. दिलचस्प बात ये है कि, पहली बार उन्होंने PwBD-1 का सर्टिफिकेट लगाया था वहीं दूसरी बार PwBD-5 का. जानकारी ये भी है कि, केंद्र सरकार तथ्यों की जांचकर उनपर कड़ी कार्रवाई करने वाली है. आइए आपको बताते हैं पूजा खेडकर के आरक्षण और दिव्यांग कोटे की क्या है असलियत.
पहले जानिए आरक्षण वाला मामला क्या है?
UPSC में EWS, OBC, SC, ST और दिव्यांग अभ्यर्थियों को आरक्षण मिलता है. इन्हें परीक्षा में ज्यादा अटेंप्ट देने की छूट, आयु में छूट, सीट आरक्षण, UPSC पात्रता और कट-ऑफ में छूट जैसे फायदे मिलते हैं. कैंडिडेट्स के लिए यह आरक्षण केंद्र सरकार निर्धारित करती है. इन सब में में पेंच आता है क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर का. सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी का आरक्षण है लेकिन इसके अंदर सरकार ने कुछ नियम बनाए हुए हैं. OBC कैटगरी का हर कैंडिडेट इस आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता है.
OBC कैंडिडेट्स को क्रीमी और नॉन क्रीमी लेयर दो कैटगरी में बांटा गया है. सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ नॉन क्रीमी ओबीसी कैंडिडेट को ही आरक्षण का फायदा मिलता है. नियमों के अनुसार क्रीमी लेयर ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है. IAS पूजा के मैटर में पेंच यही फंस रहा है. दरअसल पूजा के पिता रिटायर्ड ऑफिसर है और चुनाव भी लड़ चुके है. चुनावी हलफनामे के मुताबिक, पूजा खेडकर के पैरेंट्स के पास 110 एकड़ कृषि भूमि है, जो कि कृषि भूमि सीमा अधिनियम का उल्लंघन करती है. इसके अलावा छह दुकानें, सात फ्लैट (एक हीरानंदानी में), 900 ग्राम सोना, हीरे, 17 लाख की सोने की घड़ी, चार कार हैं. इसके साथ ही दो प्राइवेट कंपनियों और एक ऑटोमोबाइल फर्म में हिस्सेदारी है. खुद IAS पूजा खेडकर के पास 17 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
यानी की पूजा क्रीमी लेयर OBC कैंडिडेट हैं लेकिन UPSC में उन्होंने अपना दिव्यांगता और OBC का नॉन क्रीमी लेयर का फेक सर्टिफिकेट दिखाया है. अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये से अधिक है तो उस परिवार को क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जायेगा. वहीं अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये से कम है तो उस परिवार को नॉन क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाता है.
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दिव्यांगता वाला मैटर क्या है?
UPSC की परीक्षा में जनरल, ओबीसी, SC और ST कैटगरी के दिव्यांग अभ्यर्थियों को अनलिमेडेट अंटेंप्ट देने का ऑप्शन होता है. दिव्यांग कैंडिडेट्स 42 साल तक UPSC की परीक्षा में बैठ सकते हैं. दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPwD Act), 2016 के मुताबिक 40 फीसदी तक दिव्यांग व्यक्ति UPSC में आरक्षण पा सकता है. IAS पूजा खेडकर का मामला दिव्यांगता वाला भी है. पिछली बार की परीक्षा में उन्होंने PwBD-1 का सर्टिफिकेट लगाया था जिसमें अंधापन या कम दृष्टि आती है वहीं दूसरी बार उन्होंने PwBD-5 का सर्टिफिकेट लगाया जिसमें बहरा-अंधत्व सहित बहु-दिव्यांगताएं आती है. PwBD-5 की बदौलत उन्हें 841वीं रैंक होने के बाद भी उन्हें IAS मिला. दिलचस्प बात ये है कि, UPSC ने उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए कई बार बुलाया है लेकिन वो नहीं गई है. जानकारी के मुताबिक इस मामले में उन्हें कोर्ट से राहत मिली है.
कुल मिलाकर ट्रेनी IAS पूजा खेडकर आरक्षण के साथ-साथ दिव्यांगता वाले दोनों मामलों में घिरती नजर आ रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूजा खेडकर को बर्खास्तगी की गंभीर कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा साबित होने पर आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है. वैसे जांच समिति सभी पहलुओं पर गौर करेगी और फिर निर्णय लेगी.