2024 का लोकसभा चुनाव कौन जीतेगा? देश के इन 4 बड़े चुनाव विश्लेषकों की राय जानिए

अभिषेक

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत और तेलंगाना में मिली हार के बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर कयासबाजी तेज है. इन विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर लोग अलग-अलग आंकलन कर रहे हैं.

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Lok Sabha Election 2024: हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीन राज्यों में जीत हासिल की है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत और तेलंगाना में मिली हार के बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर कयासबाजी तेज है. इन विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर लोग अलग-अलग आंकलन कर रहे हैं. कोई इसे सेमीफाइनल बताकर कह रहा है कि बीजेपी ने 2024 का रण तो अभी से जीत लिया. ऐसा भी मानने वाले लोगों की संख्या काफी है, जिन्हें लगता है कि विपक्ष का इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) बीजेपी की विजय यात्रा को रोक देगा. 2024 का चुनाव कौन जीतेगा? इसपर देश के मशहूर चुनाव विश्लेषक क्या सोचते हैं?

एजेंडा आजतक में देश के वरिष्ठ 4 चुनाव विश्लेषकों ने 2024 के लोकसभा चुनाव पर अपने-अपने विचार दिए हैं. विश्लेषकों ने बताया कि तीन राज्यों में बड़ी जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थिति पहले से और मजबूत हुई है लेकिन ये जरूरी नहीं कि यही प्रदर्शन 2024 में भी हो. उन्होंने कहा कि इस हार के बाद कांग्रेस और विपक्ष अपनी तैयारी में लगा हुआ है और हमें उसको कम नहीं आंकना चाहिए.

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वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक संदीप शास्त्री कहते हैं कि, ‘आज के अनुमान से बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए (राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन) दूसरे पक्षों से आगे जरूर है. चार महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में ये स्थिति जरूरी नहीं कि ऐसी ही बनी रहे. देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में लोग फर्क करते हैं. उन्होंने चार एम का फार्मूला दिया. मोदी जी का मैजिक, महिला वोट, मजबूरी और मंदिर (राममंदिर). उनके मुताबिक इन्हीं चारों मुद्दों पर आगामी चुनावों में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी खेल करते दिखेंगे. उन्होंने 2024 के चुनाव को पांच राज्यों बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर ध्यान देने की बात कही जहां लोकसभा की 238 सीटें है. इन्हीं पांच राज्यों में जिस तरह का नतीजा रहेगा वही डिसाइड करेगा की बीजेपी/ एनडीए पिछली बार के पास पहुंचती है, आगे जाती है या पीछे रह जाती है.

एक्सिस माई इंडिया के प्रदीप गुप्ता ने बताया कि इन राज्यों के नतीजों के बाद बीजेपी पहले से और बेहतर नजर आ रही है. आज बीजेपी पूरी तैयार दिख रही है लेकिन विपक्ष को हम इग्नोर नहीं कर सकते है. ऐसा नहीं है कि बीजेपी तैयार है और वो (विपक्ष) हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. वो भी अपनी तैयारियों में लगे हुए है. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव पर एनडीए और विपक्ष के बीच होने वाली लड़ाई पर कुछ रोचक आंकड़े बताए हैं.

1- उन्होंने बताया कि लोकसभा कि 168 सीटें ऐसी हैं, जहां विपक्ष एक साथ मिलकर हर सीट पर एक उम्मीदवार देते नजर आ रहा है. बिहार, झारखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक में ऐसा होता दिख रहा है.

2- 88 सीटें ऐसी हैं जहां अभी तक विपक्ष के बीच कोई स्पष्ट सहमति बनती नहीं दिख रही है. वे राज्य पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली और गुजरात है.

3- वहीं 153 सीटों पर गठबंधन कठिन दिख रहा है. इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, ओडिसा, तेलंगाना आदि राज्य हैं.

4- 134 ऐसी सीटें है जहां कांग्रेस और बीजेपी की आमने-सामने की लड़ाई होती दिख रही है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा जैसे प्रदेशों में ऐसा हो रहा है. ऐसे में यहां गठबंधन का कोई खास महत्व नहीं दिख रहा है.

सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने बताया कि 2024 का चुनाव हम ऐसे समझ सकते हैं कि लोकसभा की 100 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी लड़ाई में ही नहीं है. 200 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी का स्कोर 90 फीसदी है. 243 ऐसी सीटें है जहां बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला है. अगर बीजेपी को 400+ सीटें लानी हैं, तो इन्हीं सीटों में पार्टी को अपना स्ट्राइक रेट सुधारने की जरूरत है.

यशवंत देशमुख के मुताबिक अगले चुनाव में बीजेपी अकेले 40 फीसदी से ज्यादा वोट पा सकती है. इसका मतलब ये नहीं कि जहां बीजेपी है ही नहीं वहां उसका प्रदर्शन अच्छा होने जा रहा है. इसका मतलब ये है कि बीजेपी जहां जीतती आ रही है जैसे- मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, ऐसी जगहों पर पार्टी के प्रदर्शन में और इजाफा होने जा रहा है.

CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार पीएम मोदी की लोकप्रियता के बारे में बताते हैं. यह स्पष्ट है कि पीएम मोदी की छवि देश ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में लोकप्रियता के मामले में आगे है. उन्होंने आगे कहा कि अगर हम पिछले 20 साल को देखें तो इतने लंबे समय तक इतनी ‘कॉन्स्टेन्ट पॉपुलरटी’ किसी नेता की देखने को नहीं मिली है.

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