तेलंगाना में ओबीसी मुख्यमंत्री बनाने का वादा क्यों कर रहे हैं अमित शाह?

देवराज गौर

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तेलंगाना में एक रैली को संबोधइत करते हुए राज्य में सरकार आने पर ओबीसी का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की है.
तेलंगाना में एक रैली को संबोधइत करते हुए राज्य में सरकार आने पर ओबीसी का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की है.
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विधानसभा चुनाव 2023ः देशभर में जातिगत जनगणना और ओबीसी मुद्दे पर घिर रही बीजेपी ने तेलंगाना में एक नया ही दांव चला है. तेलंगाना के सूर्यापेट में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने यहां चुनाव जीतने पर ओबीसी मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया है. तेलंगाना के अबतक के ओपनियन पोल भारत राष्ट्र समिति (BRS) और कांग्रेस के बीच ही मुख्य लड़ाई का दावा कर रहे हैं. क्या इस तरह के वादे कर अमित शाह इस लड़ाई को ट्राएंगल बनाना चाह रहे हैं?

तेलंगाना की करीब 52 फीसदी आबादी ओबीसी

राज्य में तकरीबन 134 जातियां ऐसी हैं, जो पिछड़े समुदाय यानी OBC में शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य की 52 फीसदी जनसंख्या ओबीसी है. 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को यहां सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली थी. बीजेपी का तेलंगाना में कोई खास वोटर बेस अब तक नहीं बन पाया है. तो क्या अमित शाह परसेप्शन की राजनीति कर रहे हैं? या उनके निशाने पर राहुल गांधी हैं?

असल में राहुल गांधी ने पिछले दिनों तेलंगाना में जातिगत जनगणना का वादा किया है. राहुल का कहना है कि कांग्रेस की सरकार जिन-जिन राज्यों में आएगी, वहां वो जातिगत जनगणना कराकर ओबीसी की संख्या का पता लगाएगी. पिछले दिनों आंध्र प्रदेश ने भी पिछड़ी जातियों के सर्वे का फैसला किया है. इसके बाद तेलंगाना में पिछड़ी जातियों की गिनती/सर्वे की मांग जोर पकड़ रही है. पिछड़ा वर्ग संगठन सीएम केसीआ पर इसके लिए दबाव बना रहे हैं.

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क्या दक्षिण में किए गए वादे से उत्तर में परसेप्शन बनाने की कोशिश?

तेलंगाना से जुड़े ओपनियन पोल में बीजेपी के कुछ खास प्रदर्शन के संकेत नहीं मिल रहे. ऐसी भी चर्चा है कि बीजेपी दक्षिण में इस तरह के वादों के साथ उत्तर भारत में अपना परसेप्शन बनाना चाहती है कि वह ओबीसी को लेकर गंभीर है. बीजेपी शासित राज्यों में केवल एक ही ओबीसी मुख्यमंत्री हैं और वह हैं मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान. इस बार बीजेपी शिवराज पर भी दांव लगाने से बच रही है. एमपी का चुनाव बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है.

उत्तर भारत के दूसरे राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी चुनाव हैं लेकिन बीजेपी ने इन राज्यों में इस तरह की कोई घोषणा नहीं की है. ऐसा माना जा रहा है कि तेलंगाना में बीजेपी इस तरह की लड़ाई लड़ कांग्रेस का नुकसान पहुंचाना चाहती है. इस तरह के वादों से वह पिछड़े वर्ग के वोट में सेंध मारकर कांग्रेस को चोट पहुंचाने की कोशिश में है. राहुल गांधी अक्सर यह कह रहे हैं कि उनके चार मुख्यमंत्रियों में से तीन ओबीसी समुदाय से हैं.

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इस चुनाव में बीजेपी कितनी मजबूत

बीजेपी ने तेलंगाना में 52 उम्मीदवारों का ऐलान किया है. इनमें 20 ओबीसी हैं. अभी 67 उम्मीदवारों की सूची आनी बाकी है. सूत्रों के हवाले से बीजेपी बची सीटों पर भी ज्यादातर ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है. बीजेपी के पास राज्य में बांडी सजय कुमार और एटला राजेंदर के रूप में दो बडे़ ओबीसी नेता हैं. बांडी सजय कुमार ताकतवर मुन्नेरु कापु समुदाय से आते हैं. यह कापु समुदाय का ही एक सबसेक्ट है. वहीं एटला राजेंदर भी उतने ही ताकतवर मुदीराज समुदाय से आते हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कभी भी बैकवार्ड क्लास का मुख्यमंत्री नहीं रहा है. तेलंगाना राज्य का गठन 2014 में हुआ था तब से आज तक वहां पर केसीआर ही मुख्यमंत्री हैं. केसीआर अगड़ी जाति के वेलामा समुदाय से आते हैं.

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