क्या हरियाणा में आंतरिक कलह से उबर कर दम दिखा पाएगी कांग्रेस? वरिष्ठ पत्रकारों ने सब बता दिया

News Tak Desk

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Haryana Loksabha Election: देश में चल रहा लोकसभा का चुनाव अब अपने अंतिम दौर में है. चुनाव के शुरुआती पांच चरणों में 427 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है. छठे चरण में 25 मई को 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 57 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. इस चरण में हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में क्लीन स्वीप किया था. लेकिन इस बार हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. यहीं वजह है कि, हरियाणा का चुनाव इस बार खूब सुर्खियां बटोर रहा है. हरियाणा के चुनाव को समझने के लिए हमने प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों से बात की है कि, इस चुनाव में वोटर्स के लिए हरियाणा में क्या है मुद्दा? आइए आपको बताते हैं. 

वैसे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में एक बड़ा फेरबदल देखने को मिला. चार साल तक सरकार में रहने के बाद दुष्यंत चौटाला कि जेजेपी ने सत्तारूढ़ NDA से अपना रिश्ता तोड़ दिया. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दिया और फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया. हरियाणा में लोकसभा चुनाव के तीन महीने बाद ही विधानसभा का चुनाव भी होने वाला है. यही वजह है कि, सभी पार्टियां वोटर्स को लुभाने की पुरजोर कोशिश में जुटी हुई है.

महिला पहलवान, किसान आंदोलन और अग्निवीर स्कीम से पलटेंगे नतीजे?

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री ने इंडिया टुडे से बात करते हुए बताया कि, प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनावों को देखें तो दोनों बार बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया है. लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है. हरियाणा की 65 फीसदी आबादी ग्रामीण है. यानी प्रदेश के दो करोड़ मतदाताओं में से करीब एक करोड़ 30 लाख वोटर्स मूलतः ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते है और ग्रामीण इलाकों में किसान आंदोलन एक बड़ा मुद्दा है. 

दूसरा- हरियाणा में युवाओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा अग्निवीर है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीय सेना में हर 10वां सैनिक हरियाणा से है. वैसे तो हरियाणा की जनसंख्या बहुत कम है, लेकिन नौसेना हो, वायुसेना हो या थल सेना सभी में हर 10वां सैनिक हरियाणा से है. ऐसे में है अग्निवीर योजना बीजेपी को हरियाणा में नुकसान पहुंचा सकता है. 

 

 

तीसरा- हरियाणा में महिला पहलवानों का मुद्दा बहुत प्रभाव रखता है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट कर रहे महिला एथलीट के साथ हुए दुर्व्यवहार से पूरे हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है. बृजभूषण शरण सिंह वाले प्रकरण ने बीजेपी के खिलाफ गुस्से को और बढ़ाने का काम किया. इसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ सकता है. हेमंत अत्री का मानना है कि, लोकसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस को 10 में से 6 सीटों पर जीत मिल सकती है.   

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'हरियाणा में दिख रही है सत्ता विरोधी लहर'

इंडिया टुडे के रिपोर्टर मंजीत सहगल ने बताया कि, पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी दस सीटों पर अपने प्रत्याशी को बदला दिया था और पार्टी को इसका फायदा भी मिला था. हालांकि इस बार बीजेपी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले दस साल से केंद्र के साथ-साथ प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार होने के कारण सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही है. पंजाब के साथ-साथ हरियाणा में भी इस बार किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा बना हुआ है. किसान बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. बीजेपी नेताओं को गांवों में प्रचार करने की इजाजत नहीं मिल रही है. नेताओं को गांव में घुसने से रोका जा रहा है, उनसे खूब सवाल जवाब किया जा रहा है. 

पीएम कर रहे किसानों को मनाने की कोशिश 

हरियाणा के एक और वरिष्ठ पत्रकार असीम बस्सी ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों हुई अंबाला की रैली में विशेष रूप से किसानों के बारे में बहुत कुछ बोला. पीएम ने अपने भाषण में NDA सरकार, मोदी शासन ने किसानों के लिए क्या किया, इस पर बहुत जोर दिया. इसके अलावा चुनाव से ठीक पहले जेजेपी ने भी बीजेपी से नाता तोड़ लिया. पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और तत्कालीन सीएम नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा सीट से उप-चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक तरह से मुझे लगता है कि, सत्ता विरोधी लहर, किसान आंदोलन और बदलाव, जेजेपी का गठबंधन तोड़ना ये ऐसे कारण है जो इस बार बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए है. ऐसे में कांग्रेस आश्वस्त दिख रही है कि, वो निश्चित रूप से हरियाणा में खाता खोलने में कामयाब हो पाएगी. मंजीत सहगल और असीम बस्सी दोनों का ये मानना है कि बीजेपी हरियाणा में 6 से 7 सीटें जीत सकती है.  

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कांग्रेस के लिए गुटबाजी है एक बड़ी चुनौती 

हरियाणा में कांग्रेस की बात की जाए तो कांग्रेस अपने नेताओं के के बीच टकराव में उलझी हुई है. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश में ऐसे कई गुट सामने आ गए हैं जो न केवल प्रतिद्वंद्वियों बल्कि अपने ही प्रत्याशियों के लिए चुनौती पेश कर रहे है. बता दें कि, कांग्रेस पार्टी की एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि, हरियाणा की दस में से कम से कम छह सीटों पर असंतोष है और राहुल गांधी और उनकी टीम सभी घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने कुछ नेताओं को चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया और बातचीत कि है. वैसे कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाजी से प्रतिद्वंद्वियों को फायदा हो सकता है. चाहे वह सत्तारूढ़ बीजेपी हो या जननायक जनता पार्टी हो या इनेलो हो. ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने घर को व्यवस्थित रखने और गुटबाजी को खत्म करने की है. 

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इस बार हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. अब 4 जुलाई को ये देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर कब्जा जमा पाती है. 

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.

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