तपतेे राजस्थान में गजब का फील है इस गांव में, दूर-दूर से आकर 'झुप्पा' में रुक रहे यहां पर्यटक

राजस्थान तक

अगर आप इस भीषण गर्मी के चलते कहीं घूमने नहीं जा पा रहें तो राजस्थान में एक ऐसी जगह हैं. जहां आपको बिना कूलर और एयर कंडीशनर के भी शिमला जैसी ठण्ड मिलेगी. आपको बता दें कि हम किसी हिल स्टेशन की बात नहीं कर रहे हैं और ना ही किसी पर्यटन स्थल की.

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राजस्थान के रेतीले धोरों पर आसमान से बरस रही आग और गर्म हवाओं के बीच रहना बहुत चुनौती भरा होता है. राजस्थान में गर्मी के तेवर देखने को मिल रहे हैं. कई बार राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर और जैसलमेर (Jaisalmer) जिलों में तापमान रिकॉर्ड तोड़ देता है. प्रदेश में झुलसा देने वाली गर्मी के चलते लोगों के पसीने छूट रहे हैं. वहीं, प्रदेश के हर इलाके में लू चल रही है. चिलचिलाती गर्मी और लू की वजह से प्रदेश के लोग घरों में कैद रह रहें है. अगर आप इस भीषण गर्मी के चलते कहीं घूमने नहीं जा पा रहें तो राजस्थान (rajasthan news) में कई ऐसी जगह हैं, जहां आपको इको टूरिज्म के बेमिसाल उदाहरण देखने को मिल सकते हैं. ऐसी जगह जहां आपको बिना कूलर और एयर कंडीशनर के भी शिमला जैसी ठण्ड मिलेगी.

आपको बता दें कि हम किसी हिल स्टेशन की बात नहीं कर रहे हैं और ना ही किसी पर्यटन स्थल की. बल्कि हम बात कर रहे हैं जोर की ढ़ाणी की. शानदार वास्तुकला और स्वच्छ वातावरण से घिरा यह जोर की ढ़ाणी हर दिन सैकड़ों पर्यटकों की मेहमान नवाजी करता हैं.  

सीकर जिले में स्थित एक छोटे से गांव हरदयालपुरा में प्रकृति के बीच बसा एक अनूठा घर है. यह घर किसी आम घर की तरह तो बिल्कुल नहीं है. यह अनूठा घर गाय के गोबर से बना है. गाय के गोबर में गारा मिट्टी डालकर इस फार्म हाउस की दीवारों को तैयार किया गया है. इस फार्म हाउस की खास बात हैं यहां कोई ताला नहीं लगता. 

पूरी तरह से प्राकृतिक तौर पर तैयार फार्म हाउस कई सुविधाओं से भरपूर है. यहां हर रोज पर्यटक देश-विदेश से घूमने के लिए आते हैं. यह जोर की ढ़ाणी शांत और सुखद वातावरण का अनुभव कराता हैं. यहां के कमरों में टेलीस्कोप भी रखा मिलेगा. इस फार्म हाउस के हर कमरे की अपनी एक अलग ही खासियत है. किसी कमरे में आपको मिट्टी की सुगंध आएगी तो किसी में गोबर से बनी कलाकृतियां देखने को मिलेंगी.

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कमरें जिन्हें कहते हैं 'झुप्पा', जानें खासियत

यह अनूठा फार्म हाउस करीब 100 बीघा में बना हुआ हैं. जहां आपको देशी पद्धति की खेती भी देखने को मिलती. इस फार्म हाउस में हजारों पेड़- पौधे भी हैं. जो इसकी सुन्दरता को चार चांद लगाती हैं. घास- फूस से बने कई कमरे हैं, जिन्हें शेखावाटी की बोली में झुप्पा कहा जाता हैं. इस फार्म हाउस के ज्यादातर कमरों के नाम लोक देवी- देवताओं के नाम पर रखा गया हैं. इस फार्म हाउस को कान सिंह निर्वान, उनकी पत्नी, बहु पुष्पा और उनकी 19 वर्षिय बेटी निहारिका सिंह निर्वान संचालित करती हैं.

कैसे पहुंचे यहां?

जब हमने फार्म हाउस के मालिक कान सिंह जी से बात की तो उन्होनें बताया कि ये फार्म हाउस साल के 365 दिन खुला रहता हैं.और इस फार्म हाउस में आधुनिक और पुरातन सुविधाओं का संगम देखने को मिलता हैं. हर रोज यहां 60-70 लोग घूमनें और ठहरने के लिए आते हैं. यहां ठहरने के लिए कमरों की व्यवस्था हैं, यहां पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल के साथ हवाई मार्ग भी मौजूद है. अगर आप हवाई यात्रा से यहां जाना चाहते हैं तो नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है. जो इस फार्म हाऊस से 132 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं, फार्म हाउस से केवल 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीकर रेलवे स्टेशन भी है. जबकि जोर की ढ़ाणी फार्म हाउस की कनेक्टिविटी सड़क मार्ग के जरिए जयपुर, दिल्ली, नागौर, अजमेर, झुंझुनू और जैसलमेर तक है.

राजस्थान तक के लिए इंटर्न कर रहे मुकेश कुमार

 

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