दौसा में ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर की मालगाड़ी से कटने से मौत मामले में नया अपडेट, सामने आई वाट्सअप चैट

Sandeep Mina

दौसा में ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर राजेंद्र सैनी (30) की मालगाड़ी से कटने से मौत हो गई. परीक्षा रद्द होने से राजेंद्र डिप्रेशन में थे. परिवार ने 5 करोड़ मुआवजा और नौकरी मांगी है. 50 लाख और अनुकंपा नियुक्ति पर सहमति.

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राजस्थान के दौसा में सब-इंस्पेक्टर परीक्षा-2021 में चयनित एक ट्रेनी SI की सोमवार को मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई. घटना सोमवार रात करीब 10 बजे दौसा रेलवे स्टेशन के पास जड़ाव फाटक पर हुई. घटना के 44 घंटे बाद तक परिजन दौसा जिला अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे रहे. कुछ मांगों पर सहमति के बाद शव का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. 

डिप्रेशन में था राजेंद्र!

भरतपुर के बल्लभगढ़ निवासी राजेंद्र सैनी धौलपुर पुलिस लाइन में ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर के रूप में तैनात थे. परिवार का कहना है कि सब-इंस्पेक्टर परीक्षा रद्द होने के बाद से राजेंद्र तनाव में थे.

उनके रिश्तेदारों ने बताया कि राजेंद्र ने कहा था, "या तो परीक्षा होगी, या मैं रहूंगा." परिवार के आठ भाई-बहनों का खर्च राजेंद्र की नौकरी से चलता था. उनके पिता की खराब सेहत और घर की आर्थिक जिम्मेदारी के चलते वह दबाव में था.

राजेंद्र ने 3 सितंबर को अपने दोस्तों के वॉट्सऐप ग्रुप में एक भावुक मैसेज शेयर किया था.

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इसमें उन्होंने लिखा, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि शादी करूं, बहन की शादी करूं या पढ़ाई जारी रखूं. पापा की तबीयत ऐसी है कि कब क्या हो जाए, पता नहीं." दोस्तों ने उन्हें हौसला देने की कोशिश की, लेकिन राजेंद्र ने किसी का जवाब नहीं दिया.

घटना की जांच में जुटी पुलिस

जीआरपी के सब-इंस्पेक्टर रतनलाल ने बताया कि सोमवार रात 10 बजे स्टेशन मास्टर ने सूचना दी कि प्लेटफॉर्म नंबर 2 के अंत में मालगाड़ी की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई. शव की शिनाख्त राजेंद्र सैनी के रूप में हुई. पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि यह हादसा था या आत्महत्या. राजेंद्र उस दिन अपने भाई से मिलने दौसा आए थे, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है.

मुआवजे की मांग को लेकर परिवार ने दिया धरना

राजेंद्र की मौत के बाद उनके परिजन मंगलवार सुबह से दौसा जिला अस्पताल के बाहर करीब 44 घंटे धरने पर बैठे रहे. परिजन  5 करोड़ रुपये मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे थे. परिजनों का कहना है कि राजेंद्र परिवार का इकलौता कमाने वाला था और उनकी मौत से परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है.

एसडीएम मूलचंद लूणिया ने धरने पर बैठे परिजनों से बातचीत की. वार्ता के बाद 50 लाख रुपये मुआवजे, एक परिजन को अनुकंपा नियुक्ति और राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि पर सहमति बनी. जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया. परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष, पुलिस कल्याण निधि, और रेलवे दुर्घटना बीमा से कुल 50 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी.

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