सियासी मौसम को भांप चुके हैं रघु शर्मा, गहलोत-पायलट को छोड़ आलाकमान के हुए!
Rajasthan News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब तक नवल शर्मा, परसराम मदेरणा जैसे कई दिग्गजों को हरा चुके हैं. शायद इसलिए गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा गया. लेकिन मारवाड़ के दिग्गजों को हराकर जाति के अकेले विधायक होने के बावजूद गहलोत 3 बार सीएम बने और जिसे वह खुद भी अपने भाषणों में भुनाते हैं. […]
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Rajasthan News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब तक नवल शर्मा, परसराम मदेरणा जैसे कई दिग्गजों को हरा चुके हैं. शायद इसलिए गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा गया. लेकिन मारवाड़ के दिग्गजों को हराकर जाति के अकेले विधायक होने के बावजूद गहलोत 3 बार सीएम बने और जिसे वह खुद भी अपने भाषणों में भुनाते हैं. वहीं गहलोत अब मारवाड़ से जब जयपुर तक आए तो चर्चाएं हुई कि वह पूर्वी राजस्थान में मात खा गए. पूर्वी राजस्थान जहां पायलट ने उनके खिलाफ लामबंदी कर दी. जहां का युवा शायद चाहता था कि पायलट सीएम बने.
साल 2018 में सत्ता आने के बाद ताजपोशी गहलोत की हुई. सत्ता में अहम भूमिका पायलट को भी दी गई. लेकिन पायलट ने बगावत की तो फिर गहलोत सत्ता बचाने में कायमाब रहे और खुद को साबित किया. लेकिन पिछले दो-तीन साल के बाद फिर से गहलोत वहीं आकर खड़े हो गए जहां से शुरू हुए थे. शायद कांग्रेस सरकार का सियासी संकट तो टल गया लेकिन आलाकमान के नजदीकी होने की पायलट की चर्चाएं ने गहलोत को परेशान करके रख दिया.
गहलोत के लिए ये कार्यकाल बड़ा मुश्किल निकला. अब जब चुनाव की दहलीज पर खड़े हैं तो गहलोत को पता नहीं भविष्य क्या होगा? बार-बार मात खा चुके पायलट हर बार झंडा बुलंद करके खड़े हो जाते हैं. दूसरी ओर इन दो नेताओं की लड़ाई में कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता भी हताश है और रघु शर्मा जैसे दिग्गज तो कह रहे हैं कि अनुशासन का पालन करिए नहीं तो सत्ता गंवा बैठेंगे. लगता है कि रघु शर्मा अब सियासी मौसम को भांप चुके है. इसलिए गुटबाजी छोड़ अब आलाकमान के निर्देश पर चलना चाह रहे हैं.
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