Rajasthan: बीजेपी ने खेला जातीय कार्ड! चुनाव से पहले राजस्थान में इस तरह साधा जातीय समीकरण

ललित यादव

Rajasthan BJP: राजस्थान में बीजेपी-कांग्रेस अब चुनावी मूड में आ गई है. दोनों पार्टियां लगातार अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी है. बीते दिन पहले बीजेपी-कांग्रेस संगठन में बदलाव देखने को मिला. दोनों पार्टियों ने चुनावों के मध्यनजर यह बदलाव किए हैं. वहीं बीजेपी संगठन जातीय समीकरण साधने में कामयाब होती दिख रही है. […]

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Rajasthan: बीजेपी ने खेला जातीय कार्ड! चुनाव से पहले राजस्थान में इस तरह साधा जातीय समीकरण
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Rajasthan BJP: राजस्थान में बीजेपी-कांग्रेस अब चुनावी मूड में आ गई है. दोनों पार्टियां लगातार अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी है. बीते दिन पहले बीजेपी-कांग्रेस संगठन में बदलाव देखने को मिला. दोनों पार्टियों ने चुनावों के मध्यनजर यह बदलाव किए हैं. वहीं बीजेपी संगठन जातीय समीकरण साधने में कामयाब होती दिख रही है. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर अभी भी तस्वीर साफ नहीं हो सकी है. पहले उनके नाम पर कयास लगाया जा रहा था कि उन्हें चुनाव समिति या नेता प्रतिपक्ष की भूमिका दी जा सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका. फिलहाल पार्टी ने जातीय वोट बैंक को साधने के लिए कदम उठाने का प्रयास किए हैं.

नेता प्रतिपक्ष-उप नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति
बीजेपी ने रविवार को नेता प्रतिपक्ष के रूप में राजेंद्र राठौड़ और उप नेता प्रतिपक्ष के रूप में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में इन दोनों की नियुक्ति से भाजपा अपने संगठन में जातीय समीकरण साधने में कामयाब होती हुई नजर आ रही है. राजेंद्र राठौड़ को उप नेता प्रतिपक्ष से प्रमोशन मिला है, वहीं सतीश पूनिया को भी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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सीपी जोशी को बनाया प्रदेशाध्यक्ष
राजस्थान बीजेपी में बीते दिनों से एक के बाद एक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कुछ दिन पहले बीजेपी नेतृत्व ने सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया था. सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से सांसद हैं, उन्हें भी पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष से अध्यक्ष बनाकर प्रमोट किया. तभी से सतीश पूनिया समर्थकों में नाराजगी देखने को मिल रही थी. हालांकि अब पूनिया को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके पीछे बीजेपी ने क्या जातीय गणित साधा है, अब यह साफ हो गया है. आइए जानते हैं.

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राजपूत-जाट और ब्राह्मण जाति को साधने का प्रयास
राजस्थान में बीजेपी ने उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को प्रमोट कर नेता प्रतिपक्ष बना दिया है. जानकार इसके पीछे की सबसे अहम वजह राजपूत समाज के वोटर को साधने की बात बता रहे हैं. क्योंकि राजेंद्र राठौड़ राजपूत समाज से आते हैं और प्रदेश में राजपूत समाज की  करीब 6% भागीदारी है जो कि 200 सीटों में से करीब 50 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं. ऐसे में प्रदेश में राजपूत समाज का फिलहाल पार्टी में मजबूत प्रतिनिधित्व नहीं था. उसी समीकरण को साधने के लिए नेता प्रतिपक्ष के रूप में राजेंद्र राठौड़ को नियुक्ति दी गई है.

रविवार को नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद एक-दुसरे को शुभकामनाएं देते राजेंद्र राठौड़ व सतीश पूनिया

जाट वोटर को साधने के लिए सतीश पूनिया की नियुक्ति

सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद जाट वोटर की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी ने पहली बार विधायक बने सतीश पूनिया को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है. हांलाकि अक्सर यह जिम्मेदारी अनुभवी और विधानसभा के जानकार विधायक को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है. ऐसे में बीजेपी राजस्थान के सबसे बड़े वोट बैंक जाट समाज को नाराज नहीं करना चाहती थी. जानकारों का मानना है कि जातीय समीकरण को साधने और उने प्रतिनिधित्व के सामंजस्य बैठाने के लिए सतीश पूनिया को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. 3 साल के कार्यकाल के बाद सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. जिससे जाट समाज में नाराजगी पैदा ना हो उसके लिए नियुक्ति की गई.

ब्राह्मण जाति को साधने और गुटबाजी दूर करने के लिए सीपी जोशी की नियुक्ति 

वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद पर सीपी जोशी को नियुक्त किया गया. इसकी शुरूआत नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम के राज्यपाल बनाए जाने के बाद से मानी जा रही है. कद्दवार नेता गुलाब चंद कटारिया के बाद मेवाड़ को साधने और बीजेपी में ब्राह्मण समाज को साधने की सीपी जोशी की नियुक्ति की गई. वहीं इसके पीछे वसुंधरा गुट और पूनिया गुट के बीच नाराजगी होने की भी बड़ी वजह बताया जा रहा है. जिससे आने वाले चुनावों के देखते हुए सांसद सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया. दोनों गुटों के बीच तालमेल बनाने के लिए सीपी जोशी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. वहीं ब्राह्मण वोटर को साधने के लिए भी यह नियुक्ति अहम मानी जा रही है.

तीनों पदों पर अलग-अलग जाति का कब्जा
बीजेपी ने राजस्थान में अपने नए बदलावों के बाद ब्राह्मण, राजपूत और जाट वोटर को साधने का प्रयास किया है. संगठन में तीन अहम पदों पर अलग-अलग जाति को नियुक्ति देकर बीजेपी ने प्रदेश में सभी जाति को साथ लेकर चलने का संदेश दिया है.

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