Rajasthan Tourism: दिल्ली से मात्र 3 घंटे की दूरी पर मौजूद है राजस्थान की यह खूबसूरत जगह, मोह लेती है मन
Rajasthan Tourism: अगर आप घूमने का प्लान कर रहे हैं. तो दिल्ली (Best Tourist Place In Rajasthan Near Delhi) से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा किला है. जिसे कुंवारा किला (बाला किला) कहा जाता है. इस किले से आज तक एक भी युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसका नाम कुंवारा किला (Bala Fort […]
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Rajasthan Tourism: अगर आप घूमने का प्लान कर रहे हैं. तो दिल्ली (Best Tourist Place In Rajasthan Near Delhi) से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा किला है. जिसे कुंवारा किला (बाला किला) कहा जाता है. इस किले से आज तक एक भी युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसका नाम कुंवारा किला (Bala Fort Alwar) पड़ा. इस किले में बाबर ने रात गुजारी थी. तो जहांगीर भी इस किले में रह चुके हैं. यह किला (Rajasthan Fort) मुगल व राजपूत शैली से बना हुआ है. इस किले में प्रवेश के रास्ते में चार दरवाजे पढ़ते हैं. पहाड़ी की चोटी पर यह किला अपनी खूबसूरती के लिए खास पहचान रखता है. चीन के बाद सबसे लंबी दीवार राजस्थान के कुंभलगढ़ जिले की है. तो उसके बाद अलवर के बाला किला की है.
बाला किला अलवर शहर में स्थित है. अलवर सड़क व रेल यातायात से जुड़ा हुआ है. दिल्ली के सराय रोहिल्ला, दिल्ली कैंट और पुरानी दिल्ली स्टेशन से अलवर के लिए सीधी ट्रेन सेवा है. इसके अलावा सराय कालेखा बस अड्डे व धौला कुआं से आप बस लेकर भी अलवर पहुंच सकते हैं. ट्रेन से अलवर पहुंचने के बाद अलवर शहर में रुकने के कई होटल व रिजॉर्ट हैं. साथ ही अलवर के आसपास क्षेत्र में कई नामी फोर्ट है. जो आज होटल में तब्दील हो चुके हैं. आप उनमें भी रात गुजार सकते हैं. अलवर शहर से बाला किला जाने के लिए ऑटो व अन्य साधन उपलब्ध रहते हैं. बाला किला क्षेत्र में इस समय आप जंगल सफारी का आनंद भी ले सकते हैं.
बाला किले का इतिहास (History of Bala Fort)
आमेर नरेश काकिल के द्वितीय पुत्र अलघुरायजी ने संवत 1108 (1049ई) में पहाड़ी की छोटी गढ़ी बनाकर किले का निर्माण प्रारंभ किया था. 13वीं शताब्दी में निकुंभों द्वारा गढ़ी में चतुर्भुज देवी के मंदिर का निर्माण कराया गया. अलावल खान द्वारा 15वीं शताब्दी में इस गढ़ी की प्राचीन बनवाकर इसको दुर्गा के रूप में पहचान दी गई. खानवा के युद्ध के पश्चात अप्रैल 1927 में मुगल बादशाह बाबर ने किले में रात्रि विश्राम किया था. 18वीं शताब्दी पूर्वोदय में भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने दुर्ग में जल स्रोत के रूप में सूरजकुंड का निर्माण कराया था. साथ ही 1775 में इस दुर्ग पर अधिकार कर इसमें सीताराम जी का मंदिर बनवाया था. 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में महाराज बख्तावर सिंह ने दुर्ग पर प्रताप सिंह की छतरी तथा जनाना महल का निर्माण करवाया था. जनाना महल स्थित स्तंभों के निर्माण में सफेद संगमरमर करौली का पत्थर स्थानीय स्लेटी रंग का पत्थर आदि लगाए गए थे. किले में प्रवेश के 6 दरवाजे बने हुए हैं. यह किला 5 किलोमीटर लंबा और करीब डेढ़ किलोमीटर चौड़ा है. इस किले की दीवारों में 446 छेद हैं. जिन छेदों में 10 फुट की बंदूक से गोली चलाई जाती थी. साथ ही 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज बनाए गए हैं.
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5 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है किला (beauty of bala fort)
बाला किला राजस्थान में सबसे बड़े किलों में गिने जाते हैं. यह किला 5 किलोमीटर की एरिया में फैला हुआ है. किले के रास्ते पर 6 प्रवेश द्वार पड़ते हैं. इसमें चांद पोल, सूरज पोल, कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी गेट और जय पोल हैं. इन गेटों में से प्रत्येक का नाम शासकों के नाम पर रखा गया है. यह किला कई शैलियों में बनाया गया है और किले की दीवारों में सुंदर शास्त्र और मूर्तियां बनी हुई है. इन सुंदर नक्काशियों के अलावा किले में सूरज कुंड, सलीम नगर तलाब, जल महल और निकुंभ महल पैलेस जैसे कई भवन बने हुए हैं. बाला किले के परिसर में कई मंदिर भी बने हुए हैं. किले में 15 बड़े टावर, 51 छोटे टावर बने हुए हैं. जो सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण थे.
कैसे पहुचे अलवर (How to Reach Alwar)
यह किला अलवर शहर से 7 किमी की दूरी पर है. कोई भी रिक्शा, ऑटो या पैदल चलकर भी यहा आसानी से पहुंच सकते है. अलवर रेलवे स्टेशन राजस्थान के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है. अलवर रेल मार्ग सभी प्रमुख रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है. दिल्ली, मथुरा, आगरा, अहमदाबाद, मुंबई, चेन्नई, उदयपुर, बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल सहित सभी जगहों के लिए सीधे ट्रेन सेवा है. इसके अलावा जयपुर हवाई अड्डा और दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अलवर किला से निकटतम हवाई अड्डा है.