अलवर से दिल्ली के बीच जर्नी टाइम बेहद कम कर देगी रैपिड ट्रेन, जानें इसकी वर्ल्ड क्लास खासयित
Know everything about the rapid train between Delhi and Alwar: दिल्ली से अलवर और अलवर से दिल्ली जाने वाले यात्रियों के लिए वर्ल्ड क्लास सुविधाओं वाली ट्रेन की सौगात मिलने जा रही है. दिल्ली सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद इसपर काम भी शुरू हो जाएगी. दिल्ल से अलवर के बीच 16 स्टेशनों से […]
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Know everything about the rapid train between Delhi and Alwar: दिल्ली से अलवर और अलवर से दिल्ली जाने वाले यात्रियों के लिए वर्ल्ड क्लास सुविधाओं वाली ट्रेन की सौगात मिलने जा रही है. दिल्ली सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद इसपर काम भी शुरू हो जाएगी. दिल्ल से अलवर के बीच 16 स्टेशनों से गुजरती हुई रैपिड ट्रेन रोजाना अप-डाऊन करने वाले हजारों यात्रियों के लिए बड़ी राहत देगी. इसमें समय की बचत के साथ कंफर्ट जर्नी को यात्री एंजॉय कर पाएंगे.
आइए जान लेते हैं इस ट्रेन की खासियत जो इसको दूसरे लोकल ट्रेनों से अलग करती है. इस ट्रेन का टिकट कैसे मिलेगा, स्पीड क्या होगी, कौन-कौन से स्टेशनों से गुजरेगी और कितने डिब्बे होंगे जैसे कई सवालों के जवाब आपको इस स्टोरी में मिलेंगे.
इन 16 स्टेशनों से ट्रेन को चलाने का प्रस्ताव
फिलहाल दिल्ली से अलवर के बीच 106 किलोमीटर लंबे रूट पर 16 स्टेशन होंगे. सराय काले खां, जोरबाग, मुनिरका, एक्सपोसिटी, उद्योग विहार, सेक्टर 17, राजीव चौक, खिड़की धौला, मानेसर, पंचगांव, बिलासपुर चौक, धारूहेड़ा, एमबीआईआर, रेवाड़ी, बावल, एसएनबी, खैरथल, अलवर तक ये ट्रेन जाएगी.
प्रोजेक्ट में इतना खर्च आएगा
इस प्रोजेक्ट में करीब 37 हजार 987 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसमें 20 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार तथा 20 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार देगी. 60 प्रतिशत का हिस्सा विभिन्न वित्तीय मदद से उपलब्ध कराया जाएगा. रैपिड रेल से दिल्ली के सराय काले खां स्टेशन से अलवर तक की दूरी ये ट्रेन डेढ़ घंटे से भी कम समय में तय करेगी. इस रूट पर मेट्रो के साथ 8 एक्सचेंज स्टेशन बनाए जाएंगे. दिल्ली जयपुर हाईवे के किनारे एक कॉरिडोर तैयार किया जाएगा.
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2028 तक बनाए जाने का प्लान
इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2028 तक कंप्लीट करने की योजना है. दिल्ली-अलवर रुट तीन चरणों में पूरा होगा. पहले चरण में दिल्ली से गुरुग्राम, दूसरे चरण में गुरुग्राम से बहरोड़ नीमराना और तीसरे चरण में बहरोड़ नीमराना से अलवर तक कॉरिडोर तैयार किया जाएगा. पहले फेस 106 किलोमीटर लंबा होगा. दूसरा फेस 35 किलोमीटर लंबा होगा और तीसरा फेस 58 किलोमीटर लंबा होगा. इस ट्रैक पर कुल 22 स्टेशन बनाए जाएंगे. पहले फेस में 83 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में होगा. 22 किलोमीटर दिल्ली व राजस्थान में 2 किलोमीटर का ट्रेन बनेगा. इस कॉरिडोर में 70.5 किलोमीटर एलिवेटेड ट्रैक बनाया जाएगा. उसके बाद 36 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत होगा.
अब होगा जमीन अधिग्रहण
अब जल्द ही दिल्ली-अलवर व दिल्ली पानीपत के बीच रैपिड रेल कॉरिडोर का निर्माण कार्य शुरू होगा. करीब एक साल का समय जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में लगेगा. हरियाणा और राजस्थान दोनों सरकारों ने पहले ही अपने अधिकार क्षेत्र में विस्तार के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है. जब तक दिल्ली सरकार एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करती, तब तक कोई नई रैपिड रेल परियोजना शुरू नहीं हो जाएगी. दिल्ली सरकार द्वारा प्रक्रिया पूरी करने के बाद मंत्रालय दिल्ली-पानीपत (103 किमी) और दिल्ली-अलवर (164 किमी) परियोजनाओं को सार्वजनिक निवेश बोर्ड और कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए जाएगा.
क्या है रैपिड रेल?
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना लाई गई है. RRTS एक नई रेल-आधारित सेमी हाई स्पीड, हाई फ्रीक्वैन्सी वाली कम्यूटर ट्रांजिट प्रणाली है. यह दिल्ली एनसीआर के लोगों को निर्बाध रूप से यात्रा करने की सुविधा प्रदान करेगी.
रैपिड रेल में ये हैं सुविधाएं
इस ट्रेन मेंओवरहेड लगेज रैक, वाई-फाई और हर सीट पर एक मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग सॉकेट जैसी सुविधा होगी. हर कोच में सीसीटीवी कैमरे होंगे. डिब्बों में आपातकालीन दरवाजा, अग्निशामक यंत्र होंगे. ट्रेन के ‘प्रीमियम कोच’ में एक ट्रेन अटेंडेंट मौजूद रहेगा. मेट्रो की तर्ज पर इसमें स्टेशनों की सूचना के लिए डिस्प्ले और अनाउंसमेंट होगा. मेट्रो की तरह ही स्टेशनों पर टिकट वेडिंग मशीन या टिकट काउंटर से टिकट परचेज करने की सुविधा होगी.
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