3 वर्ष से नौकरी के लिए भटक रहा शहीद जवान का बेटा, वीरांगना बोलीं- CM हाउस में करूंगी आत्मदाह, संजना जाटव भी पहुंची
Bharatpur: भरतपुर जिले में एक शहीद जवान का बेटा अनुकंपा नियुक्ति के दर-दर भटक कर इतना परेशान हो चुका है कि वह अब मुख्यमंत्री जनसुनवाई केंद्र के बाहर समाधि लेकर बैठ गया है. वहीं वीरांगना मां भी प्रशासन से तंग आ चुकी है.
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Bharatpur: भरतपुर जिले में एक शहीद जवान का बेटा अनुकंपा नियुक्ति के दर-दर भटक कर इतना परेशान हो चुका है कि वह अब मुख्यमंत्री जनसुनवाई केंद्र के बाहर समाधि लेकर बैठ गया है. वहीं वीरांगना मां भी प्रशासन से तंग आ चुकी है.अब वह भी आत्मदाह करने की बात कह रही है.
दरअसल, भरतपुर के रहने वाले सीआरपीएफ जवान की ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी. जिसके बाद उनकी नौकरी उनके बेटे को दिए जाने का प्रावधान होता है. इसी सिलसिले में पीड़ित युवक ने सीआरपीएफ में नौकरी के ट्राइ किया लेकिन वह मेडिकल फिट नहीं होने के कारण वहां नौकरी नहीं पा सका. अब वह नौकरी पाने के लिए राज्य सरकार के दफ्तरों में दर-दर भटक रहा है.
वीरांगना ने क्या कहा
भरतपुर में वीरांगना ने कहा है कि मेरे पति सीआरपीएफ में थे जिनकी मौत हो गई और मेरा पुत्र अनुकंपा नियुक्ति की मांग के लिए भू समाधि पर बैठा है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. यदि मेरे पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी तो मैं मुख्यमंत्री के घर जाकर आत्मदाह कर लूंगी. वीरांगना का कहना कि वह मेरा बेटा कई वर्षों से नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है. मंत्री से लेकर विधायक आश्वासन देने रहे लेकिन किसी ने काम नहीं करवाया.
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3 वर्ष से दर-दर भटक रहा है युवा
आपको बता दें कुम्हेर थाना इलाके के गांव पेंघौर के रहने वाले राधेश्याम उर्फ गौरव 3 वर्षों से अनुकंपा नियुक्ति की मांग के लिए भटक रहा है. इसको लेकर वह कई बार प्रदर्शन कर चुका है. इससे पहले वह पानी की टंकी पर चढ़ चुका है और अब तीन दिन से अर्द्ध भू समाधि लेकर बैठा हुआ है. उसके पिता जवाहर सिंह सीआरपीएफ में कांस्टेबल थे जिनकी वर्ष 1999 में ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी. सीआरपीएफ की तरफ से राधेश्याम को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए आवेदन करवाया था मगर वह मेडिकल अनफिट हो गया था इसलिए सीआरपीएफ विभाग ने राजस्थान सरकार को सिफारिश की थी की बच्चों को राज्य सरकार अनुकंपा नियुक्ति दें.
सासंद संजना जाटव ने क्या कहा
इस मामले की जानकारी प्राप्त होने के बाद नवनिर्वाचित सांसद संजना जाटव मौके पर पहुंची. सांसद ने गौरव को आश्वासन दिया कि वह उसकी मांग सदन में उठाएंगी. यदि राज्य सरकार ने मेरे पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी तो मैं मुख्यमंत्री के घर जाकर आत्मदाह कर लूंगी.