ताजमहल जैसी ही है इस महल की कहानी, जानिए ये खंडहर क्यों है एक राजा के प्रेम की अनूठी निशानी

Umesh Mishra

Gajra Palace of Dholpur: देश में जब कभी भी प्रेम की निशानी की बात आती है तो हर किसी के जेहन में शाहजहां द्वारा बनवाए गए ताजमहल की तस्वीर उभरने लगती है. शाहजहां ने अपनी महबूबा मुमताज की याद में संगमरमर के पत्थरों से ताजमहल का निर्माण करवाया था. लेकिन यह बात बहुत कम लोग […]

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ताजमहल जैसी ही है इस महल की कहानी, जानिए ये खंडहर क्यों है एक राजा के प्रेम की अनूठी कहानी
ताजमहल जैसी ही है इस महल की कहानी, जानिए ये खंडहर क्यों है एक राजा के प्रेम की अनूठी कहानी
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Gajra Palace of Dholpur: देश में जब कभी भी प्रेम की निशानी की बात आती है तो हर किसी के जेहन में शाहजहां द्वारा बनवाए गए ताजमहल की तस्वीर उभरने लगती है. शाहजहां ने अपनी महबूबा मुमताज की याद में संगमरमर के पत्थरों से ताजमहल का निर्माण करवाया था. लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि राजस्थान (Rajasthan News) के एक दीवाने शासक की प्रेम कहानी ताजमहल की तरह ही आज भी एक मकबरे में जिंदा है.

हम बात कर रहे हैं धौलपुर के महाराजा भगवंत सिंह की जिन्होंने अपनी प्रेमिका गजरा के जिंदा रहते हुए उसकी याद में एक महल का निर्माण करवाया जो उनके प्रेम की निशानी है. डेढ़ सदी पूर्व बना यह महल धौलपुर के महाराणा स्कूल परिसर में स्थित है. इसे अगर धौलपुर का ताजमहल कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि इसमें भी मोहब्बत का वही जज्बा, चाहत, गहराई, समर्पण और स्थापत्य है.

पहली नजर में ही गजरा को दे बैठे थे दिल
कहा जाता है कि महाराजा भगवंत सिंह ने दरबार में एक मुजरे का आयोजन रखा जिसमें गजरा भी आई थी. वह अत्यंत सुंदर, मोहक और नृत्य कलाओं में पारंगत थी. यही वो वक्त था जब महाराजा ने गजरा को देखा और पहली ही नजर में उसे दिल दे बैठे. भगवंत सिंह और गजरा के बीच धीरे-धीरे यह इश्क परवान चढ़ता गया और वह उसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने गजरा के पिता सैयद मौहम्मद से इजाजत मांगी लेकिन एक दफा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. लेकिन महाराजा भगवंत सिंह के निरंतर प्रयास रंग लाए और अंत में गजरा और महाराज भगवंत सिंह एक हो गए.

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ताजमहल की तर्ज पर बनवाया गया गजरा का महल
इतिहास के जानकार मुकेश सूतैल बताते हैं कि भगवंत सिंह अपनी प्रेयसी गजरा के लिए एक अमिट प्रेम निशानी बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने जिले के नृसिंह मंदिर के पास 1855 में एक खूबसूरत इमारत बनवाने का निर्णय लिया. आगरा से निकटता और अमर प्रेम की निशानी ताजमहल का इस इमारत पर प्रभाव पडा, इसलिए इसे ताजमहल जैसी शक्ल देने की कोशिश की गई. ताजमहल की तर्ज पर धौलपुर के सफेद और लाल पत्थर से बनी इस इमारत में चारों ओर मीनारें, बुलंद दरवाजा, चारों तरफ छोटे-छोटे महराब और मध्य में मकबरा स्थापित किया गया. साल 1859 के आसपास गजरा का इंतकाल हो गया लेकिन प्यार की यह अनूठी निशानी आज भी एक अमर प्रेम की कहानी बयां कर रही है.

इस पूर्व राजपरिवार से वसुंधरा राजे का है खास रिश्ता
साल 1836 में धौलपुर रियासत की राजगद्दी पर बैठे महाराजा भगवंत सिंह बेहद भावुक और रसिक प्रवृति के शख्स थे. गजरा बहुत अच्छी नर्तकी होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक भी थी. इसी कुशलता के चलते गजरा का राजकाज में भी दखल बढ़ता गया. गजरा का हर फैसला रियासत को मान्य था. महाराजा भगवंत सिंह अपनी प्रेयसी गजरा पर पूरी तक आसक्त थे. उन्होंने अपनी प्रेमिका गजरा के जिंदा रहते हुए ही ताजमहल की तरह दो कब्रों का निर्माण करवाया. एक कब्र स्वयं राजा भगवंत सिंह की और दूसरी उनकी प्रेयसी गजरा की बनवाई गई. इस इमारत को बनवाने में उस समय करीब 10 लाख रुपये का खर्चा आया था. खास बात यह है की राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस घराने की कुल वधु हैं.

देखरेख के अभाव में अपना स्वरूप खो रही इमारत
यह महल देखभाल के अभाव में आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है. यदि इस इमारत को भी ताजमहल की तरह पुरातत्व विभाग या सरकारी संरक्षण मिल गया होता तो यह धौलपुर की पहचान बन सकती थी. यह इमारत आज भी शायद अपने पुनरुद्धार की बाट जोह रही है. इतिहासकारो का भी मानना है कि यह इमार अपने आप में मोहब्बत की अनूठी मिसाल है.

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