Rajasthan: रेगिस्तान में सूखी पड़ी नदी में पानी देख नाचने लगे ग्रामीण, पूजा करके ओढाई चुनरी
राजस्थान में मरूगंगा के नाम से विख्यात लूणी नदी में पानी को देखकर ग्रामीण खुशी के मारे झूमने लगे.
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मेहमानों का मान-सम्मान करना राजस्थान की परंपरा रही है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां पर जल-जमीन को भी लोग उतना ही आदर सम्मान देते हैं. यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में जल और जमीन को सालों से भगवान का दर्जा दिया जाता है और लोग उनकी पूजा करते हैं. बारिश (Rain in Rajasthan) के दिनों में सालों पुरानी सूखी नदियों में जब पानी की चादर चलती है तो महिलाएं थाली-चुनरी लेकर उसका स्वागत करने पहुंच जाती है. ऐसा ही नजारा रेगिस्तान में भी दिखा जहां सूखी नदी में पानी देखकर ग्रामीण खुशी से नाचने लगे.
दरअसल, राजस्थान में मरूगंगा (Maruganga) के नाम से विख्यात लूणी नदी (Luni River) में पानी की आवक से आसपास के ग्रामीणों में खुशी की लहर है. अच्छी बारिश के बाद जब अजमेर और जयपुर से होती हुई लूणी नदी बाड़मेर (Barmer News) पहुंची तो ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों से उसका स्वागत किया. वहीं लोग ढोल की थाप पर पारंपरिक लोकगीतों से साथ नाचते-झूमते भी नजर आए.
पानी को ओढाई चुनरी
ग्रामीण पुरुष और महिलाओं ने नदी में आए पानी को चुनरी ओढ़ाकर स्वागत किया और विधिवत रूप से उसकी पूजा अर्चना भी की. लोगों का मानना है कि जिस बहाव से मरुगंगा ने वापसी की है, यह क्षेत्र के लिए काफी शुभ है. ग्रामीण गोपाराम ने बताया कि आसपास के क्षेत्र में फैक्ट्रियों की वजह से मरूगंगा दूषित हो रही है. बहाव क्षेत्र में पानी की आवक से प्रदूषण में भी कमी आयेगी, वहीं जमीनी जलस्तर भी बढ़ेगा.

5 साल में लूणी नदी दूसरी बार उफान पर
रेगिस्तान के मरुस्थलीय बाड़मेर जिले में कई बार बारिश ना होने की वजह से अकाल की स्थिति बनी रहती है. लेकिन, पिछले 5 साल में अच्छी बारिश के चलते लूणी नदी दूसरी बार उफान पर आई है. इससे पहले पिछले साल बिपरजॉय तूफान के दौरान भी लूणी नदी में पानी आया था. हालांकि, इसकी मात्रा कम रही थी. इस बार मानसून की अच्छी बारिश के चलते पानी की आवक लगातार बढ़ रही है. ऐसे में रेगिस्तानी बाड़मेर में नदी के आने से खुशियां मनाई जा रही है.
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अजमेर की नाग पहाड़ी से निकलती है मरूगंगा
राजस्थान की मरुगंगा कही जाने वाली लूणी नदी अजमेर की नाग पहाड़ी से निकलती है. अलग-अलग 9 जिलों के बहाव क्षेत्र से होती हुई लूणी नदी गुजरात पहुंचकर अरबसागर में मिल जाती है. पिछले 5 दिन से नदी के अलग-अलग बहाव क्षेत्रों में हो रही अच्छी बारिश के कारण लूणी नदी उफान पर है और लगातार नदी में पानी की आवक बढ़ रही है. करीब साढ़े 300 किलोमीटर के लंबे बहाव क्षेत्र में आसपास की स्थानीय नदियों के विलय से भी इस नदी के बहाव में बढ़ोतरी हो रही है. बुधवार को जब बाड़मेर की सीमा में नदी का पानी पहुंचा तो आसपास के लोग नदी के स्वागत के लिए उमड़ पड़े.