Year Ender 2022: गहलोत Vs पायलट, गुटबाजी और बयानों के साथ बीता ये भी साल? जानें

बृजेश उपाध्याय

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Rajasthan News: राजस्थान में वर्ष 2018 में चुनाव जीतने के बाद जीत का श्रेय कहीं न कहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को दिया जाता रहा हो पर मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो गहलोत ने बाजी पलट दी. फिर शुरू हुआ गहलोत वर्सेज पायलट का राजनैतिक द्वंद्व जो साल 2022 के खत्म होने तक जारी है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से लेकर राजनैतिक गलियारों और आम लोगों में इस बात की चर्चा हमेशा रही कि अब कुछ बड़ा फैसला होने वाला है. भारत जोड़ो यात्रा से पहले ये विवाद खत्म हो जाएगा. फिर चर्चा आगे बढ़ी. भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से चले जाने के बाद आगामी चुनाव के मद्देनजर तो आलाकमान को बड़ा फैसला लेना ही पड़ेगा. इन्हीं कयासों के बीच साल 2022 भी अलविदा कह रहा है पर राजस्थान की राजनीति की ये अहम चर्चा कायम है.

यहां सिलसिलेवार तरीके से जानिए  राजस्थान की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा में रहे ‘गहलोत Vs पायलट’ मुद्दे पर 2022 में हुए घटनाक्रम. 

जुलाई 2020 में गहलोत और सचिन पायलट में खिंची सियासी तलवार, शुरू हुई बगावत, विधायकों की बाड़ेबंदी और आखिरकार सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटाए जाने के बाद सबकुछ शांत हो गया. लंबे समय तक मामले में चुप्पी रही. अंदरखाने में चर्चाएं भले ही रहीं पर सरेआम कुछ भी नहीं हुआ. हालांकि ये चुप्पी साल 2022 तक नहीं रहने वाली थी.

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साल 2022 में जैसे कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का बिगुल बजा और गहलोत का नाम इसके लिए सबसे ऊपर आया तो फिर गहलोत Vs पायलट का मामला गरमा गया. दरअसल गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पायलट की ताजपोशी के चर्चे शुरू हो गए. फिर शुरू हुआ वार-पलटवार. पायलट खेमा जहां इन्हें सीएम बनाना चाहता था वहीं गहलोत खेमे ने साफ कह दिया कि बगावत करने वालों में से सीएम न बनाया जाए. इस विरोध में करीब 80 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप दिया.

जब गहलोत खेमे ने की बगावत
25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई. इसके लिए राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा गया. इसका गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया. केवल बैठक का ही बहिष्कार नहीं किया बल्कि कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए. 25 सितंबर को ही गहलोत समर्थक विधायकों ने विधायक दल की बैठक से इतर मंत्री शांति धारीवाल के घर पर मीटिंग की. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया.

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बागियों को नोटिस जारी
इधर राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को बैठक बहिष्कार की पूरी घटना की लिखित रिपोर्ट सौंप दी. कांग्रेस पार्टी की अनुशासन समिति ने गहलोत के तीन करीबियों- महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौर और मंत्री शांति धारीवाल को कारण बताओ नोटिस भेजा और दस दिन में जवाब मांगा.

अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुए गहलोत
इधर राजस्थान कांग्रेस में कलह को देखते हुए अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए. हालांकि अध्यक्ष पद के लिए दो नाम मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर का फाइनल हुआ. गहलोत ने कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की गाइडलाइन को दरकिनार कर खड़गे का न केवल समर्थन किया बल्कि उन्हें वोट करने की अपील की. राजनैतिक जानकार इसके पीछे गहलोत और खड़गे के पुराने संबंधों को मान रहे थे. माना जा रहा था कि इन्हीं संबंधों का नतीजा था कि 25 सितंबर को जो कुछ हुआ उसमें गहलोत को क्लीन चिट मिली.

चुनाव खत्म होने के बाद राजस्थान में हलचल हुई तेज
कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे के चुने जाने के बाद राजस्थान की सियासत में फिर एक बार उथल-पुथल शुरू हो गई. ऐसा माना जा रहा था कि अध्यक्ष के चुनाव के कारण ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन का मामला अटका था. उसपर फिर एक्सरसाइज होने की संभावना देखी जाने लगी थी.

पायलट ने तोड़ी चुप्पी
बांसवाड़ा के एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सीएम अशोक गहलोत की तारीफ कर दी. इसके बाद सचिन पायलट ने गुलाम नबी आजाद की तारीफ फिर पार्टी छोड़ने वाली घटना को जोड़ते हुए अशोक गहलोत को कटघरे में खड़ा कर दिया. पायलट ने कहा- प्रधानमंत्री ने जो तारीफ की वह बड़ा दिलचस्प डेवलपमेंट है. इसी तरह प्रधानमंत्री ने सदन के अंदर गुलाम नबी आजाद की तारीफ की थी, उसके बाद क्या घटनाक्रम हुआ, वह हम सबने देखा है. इसे इतना लाइटली नहीं लेना चाहिए. इसपर गहलोत ने कहा- कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयानबाजी करने से मना किया है. सबको अनुशासन का पालन करना चाहिए.

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माकन की चिट्‌ठी ने मचाई खलबली
अनुसाशन समीति का नोटिस जारी होने के बाद तीनों नेताओं ने अपना जवाब सौंप दिया. इन तीनों नेताओं पर एक्शन अभी बाकी है. इधर माकन ने राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम करने से मना कर दिया और खड़गे को इस संबंध में एक चिट्ठी लिख दी. बताया जा रहा था कि माकन ने 8 नवंबर को चिट्‌ठी भेजकर 25 सिंतबर को बगावत और तीन लोगों के खिलाफ नोटिस जारी होने के बावजूद अभी तक एक्शन नहीं लेने के मामले को भी उठाया और सरदारशहर में उपचुनाव और प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के आने की बात कह नया प्रभारी नियुक्त करने की बात कही थी.

गहलोत ने पायलट को गद्दार कहा और गरमाई सियासत
इधर एक निजी टीवी चैनल के इंटरव्यू में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को न केवल गद्दार कहा बल्कि ये भी दावा किया कि उनके पास पायलट के बीजेपी से मिले होने के सबूत हैं. इसके बाद पायलट ने राजस्थान तक को दिए गए खास इंटरव्यू में इशारे से कह दिया कि आगामी चुनाव में कांग्रेस को रिपीट करने के लिए नेतृत्व परिवर्तन जरूरी है.

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तस्वीर: राजस्थान कांग्रेस के ट्वीटर से.

भारत जोड़ो यात्रा से पहले वेणुगोपाल की हुई एंट्री
इधर भारत जोड़ो यात्रा से ठीक पहले उसकी तैयारियों के नाम पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल जयपुर आए और गुटबाजी और बयानबाजी पर अपनी सख्ती दिखा दी. इसके बाद दोनों नेताओं का हाथ पकड़े वेणुगोपाल की तस्वीर मीडिया में आई. अब दोनों नेता चुप रहे और राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदम ताल मिलाते रहे.

गुजरात, हिमाचल और सरदारशहर उपचुनाव ने फिर छेड़ी चर्चा
भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में थी. इस बीच गुजरात, हिमाचल चुनाव और सरदारशहर उपचुनाव के परिणाम ने फेस वार की हलचल फिर बढ़ा दी है. एक तरफ गुजरात चुनाव में हार के बाद लोग गहलोत के जादू को फीका बताने लगे वहीं हिमाचल में पायलट की सभाओं ने रंग दिखाया और वहां कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी. हालांकि चूरू के सरदारशहर उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दे दी.

तस्वीर: सचिन पायलट के ट्वीटर से.

सुखजिंदर सिंह रंधावा बने नए प्रदेश प्रभारी
माकन के पद छोड़ने के बाद वहां पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा को आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी बनाया. रंधावा भी पंजाब में ऐसे ही गुटबाजी का शिकार हो चुके हैं. अपने पुराने अनुभवों और माकन से मिले फीडबैक के बाद वो क्या फैसला लेंगे इसपर भी सबकी नजर है.

कुल मिलाकर साल 2022 अलविदा कह रहा है. तमाम विरोधों और गतिरोधों के बावजूद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने राजस्थान में एंट्री ली और लोगों के समर्थन के साथ आगे बढ़ी. इस बीच राहुल गांधी के साथ गहलोत और पायलट कई मंचों पर नजर आए. अलवर में यात्रा की विदाई पर दोनों नेताओं को राहुल गांधी ने एक साथ डांस करने के लिए भी कहा और राजस्थानी गाने पर दोनों साथ थिरके. यात्रा की एंट्री पर भी आदिवासी नृत्य में दोनों नेताओं को साथ थिरकते देखा गया. राहुल गांधी दोनों नेताओं को असेट भी बोल चुके हैं. ये भी इशारा दे चुके हैं कि आगामी चुनाव दोनों की मौजूदगी में लड़ा जाएगा. पर 2020 बीत रहा है, लेकिन सवाल वहीं का वहीं है कि किसके नेतृत्व में होगा चुनाव या हिमाचल के फॉर्मूले पर राजस्थान में बिना सीएम फेस के लड़ेगी कांग्रेस?

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