125 यूनिट फ्री बिजली से 90% आबादी खुश, नीतीश का चुनावी गेम चेंजर दांव

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बिहार चुनावी माहौल में सीएम नीतीश कुमार का बड़ा दांव! मुफ्त बिजली, पेंशन बढ़ोतरी और रोजगार वादों से उन्होंने वोट बैंक मैनेजमेंट पर फोकस किया है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
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बिहार का राजनीतिक माहौल चरम पर है. चुनावी तैयारियां जोरों पर है. सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ताकत झोंकी हुई है. कुछ लोगों को भले यह मुगालता हो कि नीतीश कुमार एक्टिव नहीं हैं. ये विपक्षी खेमे के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकता है. दरअसल, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि वो चुपचाप ऐसे काम कर रहे हैं जो आने वाले विधानसभा चुनावों में गेम चेंजर साबित होगा है. बताते चलें कि कि सीएम नीतीश की चर्चा उन राजनेताओं में होती है, जो चुपचाप बाजी पलटने का हुनर रखते हैं.

सोशल सेक्‍टर और वोट बैंक मैनेजमेंट 

गौर करने वाली बात ये है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल के दिनों में ऐसी-ऐसी घोषणाएं की हैं, जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीएम नीतीश का सीधा फोकस सोशल सेक्‍टर और वोट बैंक मैनेजमेंट पर है. आइए उन महत्‍वपूर्ण प्‍वांट पर चर्चा करते हैं, जिसके जरिए उन्‍होंने सीधे उस बड़े समूहों साधने की कोशिश की जहां से बिहार की चुनावी जंग में जीत का रास्‍ता गुजरता है.

विपक्ष को दिया राजनीतिक करंट

राजनीतिक जानकारों की माने तो सीएम नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में सियासी करंट दे दिया है. 125 यूनिट मुफ्त बिजली देकर सीएम नीतीश कुमार ने राज्य के 1 करोड़ 86 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत दी है. जिनका मासिक बिल अब पूरी तरह माफ हो गया. गौर से देखा जाए तो बिहार की 90 फीसद आबादी को इसका सीधा फायदा मिल रहा है. राजनीतिक रूप से देखें तो ग्रामीण और निम्न-मध्यम वर्ग के वोटरों में इसकी सबसे ज्यादा चर्चा है. सर्वे में भी 63 फीसद लोगों ने माना कि यह योजना सत्‍ता की राह आसान बनाएगी.

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पेंशन राशि बढ़ाकर ‘संवेदनशील मुख्यमंत्री’ की छवि

बीते दो महीनों के दौरान सीएम नीतीश ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर बड़ी घोषणाएं की हैं. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये कीं. इस घोषणा से उन्‍होंने सीधे तौर पर 1 करोड़ 12 लाख लोग लाभान्वित हुए. इन लाभार्थियों में बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगजन शामिल हैं. यानी वह वर्ग जो चुनाव में वोट डालने में सबसे ज्यादा सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाता है। उसके लिए यह घोषणा राजनीति रूप से अहम माना जा रहा है. 

युवाओं को नौकरी और रोजगार का वादा

बताते चलें कि नीतीश कुमार अब तक 10 लाख सरकारी नौकरियां और 39 लाख रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं. चुनावी माहौल को देखते हुए उन्‍होंने इस लक्ष्‍य को बढ़ा कर इसी साल 12 लाख नौकरी और 50 लाख रोजगार का तय कर दिया. जिस पर काम जारी है. इतना ही नहीं, सीएम नीतीश ने चुनावी दांव खेलते हुए अगले पांच में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का वादा भी कर डाला. नीतीश के इस दांव को काफी अहम माना जा रहा है.

गौर करने वाली बात ये है कि सीएम नीतीश के इस मास्‍टर स्‍ट्रोक की चर्चा राजनीतिक गलियारे में भी है. इस वादे ने युवा वोट बैंक और उनके परिवारों को भी अपने साध लिया है. जानकारों का मानन है कि लंबे समय से नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं और उनके परिवार को नीतीश कुमार के विकास कार्यों और औद्योगिक क्षेत्र के विकास के ऐलान से उम्‍मीद जगी है.

सर्वे का संकेत, नीतीश फिर पसंदीदा

हाल में हुए सी-वोटर सर्वे में भी सीएम नीतीश बढ़त बनाए हुए हैं. इस सर्वे में बिहार की 65 फीसद जनता ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहली पसंद बताया है. समझने वाली बात ये है कि नीतीश कुमार ने मुफ्त बिजली देकर ग्रामीण और गरीब वर्ग को साधने की कोशिश की. पेंशन में बढ़ोतरी से बुजुर्ग, महिलाओं और दिव्यांगों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया, नौकरी और रोजगार के वादे से युवाओं को, मानदेय और पेंशन बढ़ोतरी से सरकारी कर्मी ओर समाजसेवी वर्ग प्रभावित करने वाला दांव खेल दिया है.

इन फैसलों से एक साथ एक बड़ा वोट बैंक लाभंवित हुआ है. जिसका चुनावी फायदा मिलना तय माना जा रहा है. माना जा रहा है चुनाव से ठीक पहले किए गए ये फैसले सीएम नीतीश के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकते हैं.

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