Explainer: क्या है IRCTC घोटाला? जिसमें बुरा फंसा लालू परिवार, कोर्ट ने तय किए आरोप, चुनाव से पहले बड़ा झटका
IRCTC घोटाले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ कोर्ट ने भ्रष्टाचार और साजिश के आरोप तय किए हैं. चुनाव से पहले आए इस फैसले ने लालू परिवार की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

बिहार की राजनीति के सबसे बड़े चेहरों में से एक लालू प्रसाद यादव और उनका पूरा परिवार एक बार फिर मुश्किलों में घिर गया है. IRCTC घोटाला मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ गंभीर आरोप तय कर दिए हैं. इसका मतलब है कि अब तीनों को बाकायदा मुकदमे का सामना करना पड़ेगा.
ये मामला वैसे तो कई साल पुराना है, लेकिन कोर्ट का यह ताजा फैसला ऐसे वक्त में आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं और तेजस्वी यादव महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. ऐसे में यह कानूनी पेंच उनके लिए राजनीतिक सिरदर्द बन सकता है.
क्या है IRCTC घोटाला?
इस घोटाले की जड़ें 2004 से 2009 के बीच की हैं, जब लालू यादव केंद्र में रेल मंत्री थे. सीबीआई का आरोप है कि उस दौरान रांची और पुरी के बीएनआर नाम के दो रेलवे होटलों को सबसे पहले IRCTC को सौंपा गया और फिर उन्हें पटना की एक निजी कंपनी **सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड** को लीज पर दे दिया गया.
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यहां तक तो सब ठीक लगता है, लेकिन CBI का दावा है कि इस पूरी प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी की गई. नियमों को ताक पर रखकर टेंडर की शर्तें बदल दी गईं ताकि वही खास कंपनी को फायदा मिल सके. CBI के मुताबिक, ये सब कुछ सुनियोजित तरीके से हुआ और इसके पीछे लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मिलीभगत थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह मामला भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का बनता है. यानी पहली नजर में सबूत इतने मजबूत हैं कि आरोप तय किए जा सकते हैं. कोर्ट ने लालू यादव के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 120B (साजिश), और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) के तहत आरोप तय किए हैं.
राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर भी साजिश और फर्जीवाड़े में शामिल होने के आरोप हैं. इससे अब साफ हो गया है कि केस लंबा चलेगा और सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश होना होगा.
लालू परिवार की तरफ से क्या कहा गया?
लालू यादव की तरफ से वकील ने कोर्ट में कहा कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है. उनका कहना है कि होटल की लीजिंग प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी और किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई. तेजस्वी और राबड़ी की ओर से भी आरोपों से इनकार किया गया.
पर कोर्ट का कहना है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा.
तेजस्वी यादव का पलटवार
कोर्ट के फैसले के बाद तेजस्वी यादव ने जोरदार जवाब दिया. उन्होंने कहा, "जब तक बीजेपी सत्ता में है और मेरी सांसें चल रही हैं, तब तक मैं लड़ता रहूंगा. तूफानों से लड़ने में मजा ही कुछ और है. हम बिहारी हैं, बाहरी से डरते नहीं हैं."
तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि गृह मंत्री अमित शाह एक महीने पहले बिहार आकर उन्हें धमकी दे चुके हैं कि वो उन्हें चुनाव लड़ने लायक नहीं छोड़ेंगे.
क्या पड़ेगा चुनाव पर असर?
तेजस्वी यादव इस वक्त महागठबंधन के सबसे बड़े नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं. लेकिन अब जब कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय कर दिए हैं, तो जाहिर है इसका असर उनकी राजनीतिक छवि और चुनावी रणनीति पर पड़ सकता है.
कांग्रेस और दूसरी सहयोगी पार्टियां पहले से ही मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर थोड़ा पीछे थीं, अब वो और सतर्क हो सकती हैं. वहीं, बीजेपी को एक नया मुद्दा मिल गया है. बीजेपी लगातार 'जंगलराज' और 'भ्रष्टाचार' को लेकर राजद पर हमलावर रही है और अब इस मामले को चुनावी मंचों से जोर-शोर से उठाने का पूरा मौका मिल गया है.
अब आगे क्या?
अब इस केस की नियमित सुनवाई शुरू होगी. दोनों पक्षों को सबूत पेश करने होंगे और कोर्ट तय करेगा कि आरोप सही हैं या नहीं. लेकिन जब तक कोर्ट कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाता, तब तक इसे केवल आरोप माना जाएगा.
फिलहाल, इस पूरे मामले ने लालू परिवार की मुश्किलें जरूर बढ़ा दी हैं और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका चुनावी असर किस तरह दिखता है.
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