पटना मेट्रो का रास्ता हुआ साफ़: पहले कॉरिडोर पर ₹200 करोड़ होंगे खर्च, दिल्ली मेट्रो संभालेगी कमान!
पटना मेट्रो के पहले कॉरिडोर पर ₹200 करोड़ खर्च होंगे, जिसकी संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी दिल्ली मेट्रो संभालेगी। यह परियोजना पटना को जाम से मुक्ति दिलाकर एक स्मार्ट सिटी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आज पटना के लोगों को बड़ी खुशखबरी दी है. उन्होंने बताया कि पटना मेट्रो रेल परियोजना के प्रायोरिटी कॉरिडोर के संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी अब दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DMRC) को सौंपी जाएगी। यह क़दम पटना को एक स्मार्ट सिटी बनाने और भविष्य की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
₹200 करोड़ का बजट में क्या-क्या होगा खर्च?
उपमुख्यमंत्री चौधरी ने बताया कि इस पहले कॉरिडोर के लिए कुल 200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. इसमें से:
- ₹179.37 करोड़ (सेवा कर के अतिरिक्त) अगस्त 2025 से मार्च 2028 तक तीन साल की अवधि के लिए मेट्रो के संचालन और रखरखाव पर खर्च किए जाएंगे.
- इसके अलावा, प्रायोरिटी कॉरिडोर के लिए तीन डिब्बों वाली एक मेट्रो ट्रेन को किराए पर लिया जाएगा, जिस पर ₹21.15 करोड़ का खर्च आएगा.
किराए पर ली जाएगी ट्रेन, जानें वजह
श्री चौधरी ने बताया कि यह ट्रेनसेट असल में पुणे मेट्रो के लिए बनाया गया था और इसमें पहले से ही सिग्नलिंग सिस्टम लगा हुआ है. इसे खरीदने के बजाय किराए पर लेना ज़्यादा किफायती और व्यावहारिक माना गया है. इससे भविष्य में सिग्नलिंग सिस्टम को एडजस्ट करने में आने वाली दिक्कतें भी नहीं होंगी.
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ट्रेन को तीन साल के लिए किराए पर लेने में ₹13.25 करोड़ का खर्च आएगा, जिसमें उसका पूरा रखरखाव भी शामिल है। इसके अलावा, परिवहन, बीमा और अन्य अप्रूवल पर ₹7.90 करोड़ खर्च होंगे.
पटना को मिलेगी जाम से राहत, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से पटना में मेट्रो रेल चलाने के लिए लगातार काम कर रही है. मेट्रो परियोजना से न केवल पटना की यातायात व्यवस्था आधुनिक और सुगम बनेगी, बल्कि लोगों को जाम से भी राहत मिलेगी। इससे सफर का समय कम होगा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का एक नया और बेहतर विकल्प मिलेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि मेट्रो सेवा शुरू होने से शहर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. यह परियोजना वाकई पटना के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी.