8th pay commission: संसद में फिर पूछा गया 8वें वेतन आयोग पर सवाल, इस बार वित्त राज्यमंत्री ने बता दिया बहुत कुछ
एक सवाल के जवाब में सरकार ने संसद में बताया कि कर्मचारी संगठनों की मांगें कौन-कौन सी हैं? 8वें वेतन आयोग को लेकर सरकार अभी क्या कर रही है?
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संसद का सेशन शुरू होने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को एक फायदा तो यह हुआ कि वेतन आयोग के बारे में सरकार जो नहीं बोल रही थी वह संसद में बोलने लगी. रोज संसद में सांसद वेतन आयोग को लेकर सरकार से सवाल दाग रहे हैं. वेतन आयोग का मामला वित्त मंत्रालय से जुड़ा है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी संसद में एक-एक करके बता रहे हैं कि वेतन आयोग को लेकर क्या चल रहा है. संसद में पता चला कि सरकार को कर्मचारी संगठनों की ओर से कई सारे प्रस्ताव मिले हैं. यह प्रस्ताव नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी के स्टाफ साइट से मिले हैं.
NCJCM सरकार को भेजी 15 डिमांड वाली लिस्ट
सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच बातचीत के लिए एनसीजेसीएम बनाया गया है. एनसीजेसीएम ने सरकार को वेतन आयोग को लेकर 15 डिमांड की लंबी लिस्ट भेजी है. सांसद भुवनेश कलिता के सवाल के जवाब में पंकज चौधरी ने पूरी डिटेल संसद में रखी है.
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प्रमुख मांगे मांगें
- केंद्र सरकार के कर्मचारियों को कम से कम तीन प्रमोशन की गारंटी दी जाए.
- हर 5 साल में वेतन आयोग जैसा सैलरी रिवीजन किया जाए.
- डिग्निफाइड स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग के लिए 3.6 कंजमशन यूनिट्स पर फैमिली का फार्मूला तय किया जाए.
- कम्यूटेड पेंशन की बहाली 15 साल की बजाय 12 साल में किया जाए.
- हर 5 साल में पेंशन में बढ़ोतरी की जाए.
- 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का फायदा दिया जाए.
इन सारे सवाल जवाब में इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि सैलरी इंक्रीमेंट कितना होगा? फिटमेंट फैक्टर कितना तय होगा और वेतन आयोग कब बनकर लागू होगा.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि चीजें अभी कंसल्टेशन के लेवल पर हैं. गृह रक्षा और रेल मंत्रालयों के साथ बात हो रही है. अब सवाल ये है कि मामला कहां फंसा हुआ है. सातवें वेतन आयोग में 2.57 फिटमेंट फैक्टर के हिसाब से करीब ढाई गुना सैलरी इंक्रीमेंट हुआ था, लेकिन इस बार जो कुछ बताया जा रहा है उससे लग रहा है कि शायद इतना भी ना मिले.
सवाल एक ही- कितनी बढ़ेगी सैलरी?
दो ब्रोकरेज हाउस कोटक और एंबिट कैपिटल ने तो 1.80 फिटमेंट फैक्टर का अनुमान लगाया है. मतलब बहुत कम हुआ तब भी लगभग दो गुना इंक्रीमेंट हो सकता है. मामला फंस सकता है डीए के मर्ज होने के बाद जो होना ही है. डीए मर्ज होने के बाद इंक्रीमेंट की वैल्यू कम हो सकती है. यह 13 से 14 फीसदी तक हो सकता है. इतना कम हुआ तो हो सकता है कि कर्मचारी संगठनों के पुरजोर विरोध का सामना सरकार को करना पड़े.
सातवें वेतन आयोग के समय 3.84 की मांग की गई थी, लेकिन मिला था 2.57. अब भी कर्मचारी संगठन इतने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अंदर खाने की खबर कुछ अच्छे संकेत नहीं दे रही है. पॉपुलर थ्योरी यह चल रही है कि 18,000 की सैलरी वेतन आयोग आने के बाद 30 से 50,000 तक हो सकती है.
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