Budget 2024: आखिर सरकार हर साल क्यों लाती है बजट? क्या होता है ये, समझिए

Biz Tak Desk

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Budget 2024: हर साल के शुरुआत में सरकार बहुत बिजी होती है. इंडस्ट्री और अलग-अलग तबकों के साथ वित्त मंत्री और फाइनेंस मिनिस्ट्री के अफसरों के बीच खूब मगजमारी के साथ ताबड़तोड़ मीटिंग्स होती हैं. जी हां, आप समझ ही गए होंगे कि, ये तैयारी होती है 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट की. हालांकि, इसकी प्लानिंग और बैठकों का दौर तो अक्टूबर, नवंबर से ही शुरू हो जाता है, और जनवरी में ये पूरी कवायद आखिरी चरण में पहुंच जाती है. फिर 1 फरवरी को पेश होता है बजट.

आम बजट क्या होता है?

अब असली मसले पर आते हैं, यूं तो हम सब हर साल अखबारों में बजट बनने से लेकर इसे पेश किए जाने की खबरें पढ़ते रहते हैं लेकिन, एक बड़ा तबका ऐसा है जिसे बजट से जुड़ी कई अहम बातें पता ही नहीं होतीं. इनमें सबसे पहली बात ये होती है कि, आखिर सरकार बजट लाती ही क्यों है? अब इस बात को आप अपने घर से ही समझिए. आमतौर पर हम सब अपनी कमाई के हिसाब से मंथली बजट तो बनाते ही हैं. यानी मान लीजिए आप हर महीने 100 रुपए कमाते हैं. इसमें आपकी सैलरी और दूसरे जरियों से कमाई भी शामिल होती है. इनमें रेंटल इनकम, ब्याज वगैरह से कमाई भी शामिल है. अब आपकी कमाई पता है जो तकरीबन तय है फिर आप महीने का बजट बनाते हैं. इसमें बच्चों की स्कूल फीस, घर का किराया, आपके लोन की EMI, आवाजाही पर खर्च, बाहर खाने-पीने पर खर्च, इन्वेस्टमेंट समेत दूसरे खर्च शामिल होते हैं. आप एक मोटा-मोटा हिसाब हर महीने बनाते हैं. कई दफा पैसा कम पड़ जाता है तो आप क्रेडिट कार्ड से खर्च करते हैं. जिसे आने वाले वक्त में आप चुकाते हैं. बस केंद्र सरकार इसी प्रोसेस को सालाना आधार पर करती है जिसे आम बजट कहा जाता है.

आखिर बजट क्यों बनाती है सरकार?

सरकार बजट इसलिए लाती है, ताकि पूरे साल के लिए सरकार के पास कमाई और खर्चों का एक अंदाजा रहे.
इससे ये भी पता चलता है कि, क्या सरकार की कमाई के मुकाबले खर्च ज्यादा रहने वाले हैं और अगर ऐसा है तो सरकार को बाजार से कितना पैसा उधार लेना पड़ेगा. अब जितनी ज्यादा उधारी, खजाने की हालत उतनी ही कमजोर. क्योंकि सरकार को भी तो इस उधारी पर ब्याज चुकाना पड़ता है और ये पैसा अगले वर्षों तक सरकार की जेब पर बोझ बना रहता है. सरकार की उधारी जब ज्यादा बढ़ती है, तो वो आम लोगों पर भी टैक्स का बोझ बढ़ा देती है. यानी बजट में ये भी पता चलता है कि, क्या सरकार लोगों पर कोई नया टैक्स लगाने जा रही है या नहीं. क्या आप पर टैक्स का बोझ कम होगा? ये भी बजट में पता चलता है. क्या सरकार बजट में कुछ रियायतें देने वाली है या नहीं? ये भी बजट में ही तय होता है.

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कमाई और खर्चों का दस्तावेज है बजट

सरकार अपने बजट में अनुमानित कमाई और खर्चों का दस्तावेज रखती है. सरकार बजट में पूरे साल के लिए अपने प्रोजेक्शन देती है. यानी उसकी कमाई उस वित्तीय वर्ष जो 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल के 31 मार्च तक होता है  में कितनी रह सकती है और उसे कहां-कहां कितना पैसा खर्च करना है. बजट पर चर्चाओं में सरकार अलग-अलग मंत्रालयों की डिमांड्स को देखती है, फिर बजट में तय होता है कि किस मंत्रालय को कितना पैसा दिया जाएगा. इसी तरह से इंडस्ट्रीज भी अपनी मांगें रखती है. सरकार इन मांगों को सुनती है और बजट में कारोबार को बढ़ाने से जुड़े ऐलान करती है.

बात करें केंद्र सरकार की कमाई कि, तो सरकार की मोटे तौर पर कमाई टैक्स के जरिए होती है. कमाई का एक तरीका डिसइन्वेस्टमेंट भी है जिसमें सरकार पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में अपने स्टेक को बेचती है. वहीं सरकार के खर्चों में कई चीजें शामिल होती हैं. जैसे- सरकार सड़क, पुल-पुलिया, पोर्ट, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट बनाने जैसे कामों पर बड़े स्तर पर पैसा खर्च करती है. सरकार की बड़ी जिम्मेदारी कल्याणकारी योजनाओं को चलाने की भी होती है और इसमें उसका बड़ा खर्च होता है. इनमें हेल्थ सर्विसेज, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर, मुफ्त अनाज और सबको बीमा देने पर सरकार को पैसे खर्च करने होते हैं. सरकार का खर्च केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र सेनाओं की सैलरी और पेंशन पर भी होता है. सरकार इसलिए भी पैसे खर्च करती है, ताकि अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ सके और इस ग्रोथ में नई नौकरियां भी पैदा हों.

इन सभी बातों को देखते हुए आसान शब्दों में कहें, तो बजट सरकार के पूरे साल के पैसों के लेनदेन की प्लानिंग का दस्तावेज है जिससे ये आइडिया मिलता है कि, आने वाले साल में सरकार का फोकस किस तरफ रहने वाला है.

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