भूपेंद्र हुड्डा को घर में घुसकर हराने की प्लानिंग में जुटी BJP, मेयर चुनाव बना हुड्डा की नाक का सवाल
Haryana Politics: कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के सामने निकाय चुनाव के रूप में एक बार फिर बड़ी राजनीतिक चुनौती आ गई है. प्रदेश में कुल 10 जगह मेयर के चुनाव होने हैं लेकिन सोनीपत और रोहतक का मेयर चुनाव भूपेंद्र हुड्डा की साख का सवाल बन गया है.
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Haryana News: कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के सामने निकाय चुनाव के रूप में एक बार फिर बड़ी राजनीतिक चुनौती आ गई है. प्रदेश में कुल 10 जगह मेयर के चुनाव होने हैं लेकिन सोनीपत और रोहतक का मेयर चुनाव (sonipat and Rohtak mayor elections) भूपेंद्र हुड्डा की साख का सवाल बन गया है.
भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार पिछले दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है. इस बार के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी में भूपेंद्र हुड्डा के कद को भी चुनौती मिल रही है. नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर भी अब भूपेंद्र हुड्डा को जोर आजमाइश करनी पड़ रही है और चर्चा तो ये भी है कि कांग्रेस हाईकमान नेता प्रतिपक्ष के तौर पर किसी नए चेहरे की तलाश में है. हालांकि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद हुड्डा की पसंद वाले उदय भान प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं.
अब बात करते हैं रोहतक और सोनीपत मेयर चुनाव की। ये दोनों ही सीटें पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ में आती हैं. इतना ही नहीं रोहतक और सोनीपत, दोनों लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस का कब्जा है. बात करें विधानसभा की तो रोहतक में कांग्रेस का विधायक है और सोनीपत में बीजेपी का.
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सोनीपत जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं इनमें से एक कांग्रेस के पास है और चार बीजेपी के. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार देवेंद्र कादियान की जीत हुई थी जिन्होंने बाद में बीजेपी को समर्थन दे दिया. रोहतक जिले में चार विधानसभा सीटें हैं और चारों पर कांग्रेस का कब्जा है.
क्या है राजनीतिक गणित
इस राजनीतिक गणित से आपको समझ आ गया होगा कि इस इलाके को पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ क्यों कहते हैं और कैसे इन दोनों जगहों का मेयर चुनाव भूपेंद्र हुड्डा के लिए नाक का सवाल बन गया है.
रोहतक मेयर की सीट इस बार आरक्षित सीट है. कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के करीबी सूरजमल किलोई मैदान में है तो वहीं बीजेपी ने रामावतार वाल्मिकी पर दांव खेला है. रोहतक मेयर सीट पर सबसे अधिक पंजाबी वोटर हैं और यहां कांग्रेस को मौजूदा विधायक बीबी बत्रा की वजह से भी मेयर चुनाव में मजबूती मिलती दिखाई दे रही है. इस सीट के अंतर्गत कुछ जाट बाहुल्य गांव भी आते हैं जहां पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का अच्छा खास प्रभाव है.
बात करें रोहतक से बीजेपी की तो पार्टी ने रामावतार वाल्मिकी को मैदान में उतारा है. सीएम नायब सैनी खुद उनका नामांकन कराने पहुंचे थे. भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस को लगातार दो विधानसभा चुनाव हराने के बाद अब भाजपा भूपेंद्र हुड्डा को उनके घर में घुसकर मेयर का चुनाव भी हराना चाहती है. पार्टी को उम्मीद है कि दलित, पिछड़ा और पंजाबी समुदाय का गठजोड़ रोहतक मेयर चुनाव में कमल खिलाने का काम करेगा बीजेपी के लिए ये महज मेयर का चुनाव नहीं है बल्कि भूपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक वर्चस्व को खत्म करने का एक मौका भी है जिसके पार्टी हर हाल में पूरा करने की कोशिश करेगी.
सोनीपत में मेयर पद को लेकर उपचुनाव
सोनीपत में मेयर पद को लेकर उपचुनाव है। यहां से पूर्व में कांग्रेस की टिकट पर निखिल मदान मेयर चुने गए थे जो बाद में भाजपाई हो गए. निखिल मदान वर्तमान में सोनीपत से भाजपा के विधायक हैं. उनके विधायकी छोड़ने के बाद ही यहां उपचुनाव हो रहा है. सोनीपत मेयर सीट पंजाबी बहुल है। यहां भाजपा ने पूर्व सीएम मनोहर लाल के मीडिया एडवाइजर रहे राजीव जैन को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजीव जैन की पत्नी कविता जैन पूर्व में सोनीपत से भाजपा की विधायक और मंत्री रह चुकी हैं.
राजीव जैन को सोनीपत में टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने पंजाबी चेहरे के तौर पर कमल दीवान को मैदान में उतारा है. कमल दीवान के पिता देवराज दिवान दो बार विधायक रह चुके हैं और दीवान परिवार का कांग्रेस से पुराना नाता है. कमल दीवान को पंजाबी समुदाय, अपने पिता की राजनीतिक विरासत और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के साथ से जीत की उम्मीद है.
राजनीतिक जानकारों की माने तो रोहतक और सोनीपत मेयर चुनाव के लिए भूपेंद्र हुड्डा भी पूरा जोर लगा रहे हैं. हालांकि वो दोनों ही उम्मीदवारों के नामांकन में कहीं नजर नहीं आए लेकिज अंदरखाने इन दोनों सीटों को लेकर भूपेंद्र हुड्डा खुद चुनाव की कमान संभाले हुए हैं. अब देखना ये होगा कि इन दोनों सीटों पर भूपेंद्र हुड्डा अपनी राजनीतिक साख बचा पाएंगे या फिर भाजपा उनको उनके घर में घुसकर मात देने में सफल होगी.