कबाड़ बेचने वाले राजेश कुमार की बेटी ने किया कमाल, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में मिला 55 लाख का पैकेज

न्यूज तक

कबाड़ बेचने वाले की बेटी सिमरन ने कड़ी मेहनत से आईआईटी मंडी से पढ़ाई कर माइक्रोसॉफ्ट में 55 लाख रुपए के पैकेज पर नौकरी पाई. सिमरन की सफलता से ये साबित हो गया है कि प्रतिभा हालात की मोहताज नहीं होती.

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कहा जाता है कि मेहनत और हौसले के आगे कोई भी हालात रोड़ा नहीं बन सकते. इसका जीता-जागता उदाहरण है गांव बालसमंद की बेटी सिमरन, जिसने अपनी मेहनत और लगन से न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरे प्रदेश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है.

दरअसल 21 साल की सिमरन को दुनिया की टॉप टेक कंपनियों में शामिल माइक्रोसॉफ्ट में इंजीनियर की नौकरी मिली है. खास बात ये है कि इस कंपनी ने उसे सालाना 55 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया है.

कबाड़ बेचते हैं सिमरन के पिता

सिमरन के पिता राजेश कुमार कबाड़ बेचने का काम करते हैं. वे गली-गली जाकर पुराना सामान इकट्ठा करते हैं और उसके बदले बर्तन देते हैं. उनकी रोजाना की कमाई कभी 300 तो कभी 500 रुपए होती है उसी से पूरे परिवार का खर्च चलता है. दो कमरों के छोटे से घर में सिमरन अपने माता-पिता, दो बहनों और छोटे भाई के साथ रहती है.

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जेईई में पहले ही प्रयास में सफलता

सिमरन बचपन से ही पढ़ाई में तेज थी. उसने बिना ट्यूशन के 17 साल की उम्र में जेईई परीक्षा पास की और आईआईटी मंडी में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में दाखिला लिया. वहां उसने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज पर भी ध्यान दिया. पढ़ाई के दौरान सिमरन को माइक्रोसॉफ्ट हैदराबाद में दो महीने की इंटर्नशिप मिल गई थी.जहां उसके साथ 300 इंटर्न्स और थे लेकिन बावजूद इसके सिमरन ने बेस्ट इंटर्न का अवॉर्ड जीता. खास बात ये रही कि माइक्रोसॉफ्ट की ओवरसीज हेड पहली बार अमेरिका से भारत आईं और सिमरन को खुद सम्मानित किया.

फाइनल सिलेक्शन में टॉप लिस्ट में नाम

इंटर्नशिप के बाद जब कंपनी ने फुल टाइम सिलेक्शन किया तो सिमरन का नाम टॉप लिस्ट में दर्ज हुआ. 30 जून को उसे ऑफिशियल जॉइनिंग लेटर मिल गया, जिसमें 55 लाख रुपए के सालाना पैकेज की पेशकश की गई.

बेटियां हमारा गौरव हैं

सिमरन की उपलब्धि पर कांग्रेस विधायक चंद्रप्रकाश ने भी खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि बेटियां अगर मौका पाए तो किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. सिमरन ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा सिर्फ शहरों में नहीं, गांवों में भी होती है. उन्होंने बताया कि 4 जुलाई को बालसमंद में सिमरन का सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें अन्य बेटियों को भी प्रेरित किया जाएगा.

हमेशा पढ़ाई के लिए बढ़ावा दिया

सिमरन की मां कविता देवी कहती हैं कि उन्होंने कभी अपनी बेटी से कोई काम नहीं करवाया. हमेशा उसका हौसला बढ़ाया और पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया. सिमरन की दोनों छोटी बहनें भी पढ़ाई कर रही हैं और पूरा परिवार उसकी सफलता से बेहद खुश है. 

इनपुट- प्रवीण कुमार

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