मनीषा की मौत कैसे हुई? भिवानी हॉस्पिटल और PGI रोहतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आई अलग-अलग बातें! 

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भिवानी में हाई-प्रोफाइल केस ने एक बार फिर पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस मामले में दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स 'भिवानी सिविल हॉस्पिटल और पीजीआई रोहतक' में अलग-अलग बातें सामने आई हैं.

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Manisha Bhiwani Case: भिवानी में हाई-प्रोफाइल केस ने एक बार फिर पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस मामले में दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स 'भिवानी सिविल हॉस्पिटल और पीजीआई रोहतक' में अलग-अलग बातें सामने आई हैं. अब यह केस CBI को सौंपा गया है और एम्स दिल्ली से तीसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है. 

पोस्टमार्टम में क्या हैं अलग-अलग बातें?

भिवानी सिविल हॉस्पिटल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट:

भिवानी सिविल हॉस्पिटल की पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई अहम बातें सामने आईं. मृतका मनीषा के कपड़ों पर स्ट्रगल साइन मिले है, सलवार का नाड़ा खुला हुआ था. जो संभावित यौन उत्पीड़न या उसकी कोशिश की ओर इशारा करता है.

इसके अलावा, मृतका के घुटनों पर चोट के निशान थे, जो कठोर सतह पर गिरने की वजह से हो सकते हैं. यह सवाल उठता है कि जहां मृतका का शव मिला, वहां की मिट्टी गीली थी तो ये चोटें कैसे आईं? 

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पीजीआई रोहतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट:

दूसरी ओर, पीजीआई रोहतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कपड़ों की जांच का कोई जिक्र नहीं है. कपड़े मंगाए ही नहीं गए, जिसे विशेषज्ञ गंभीर लापरवाही मानते हैं. इसके अलावा, भिवानी की रिपोर्ट में आंखें और नाक की संरचना गायब बताई गई, जबकि पीजीआई ने इन्हें डीकंपोज्ड बताया. यह विरोधाभास सवाल उठाता है कि क्या जानबूझकर कुछ तथ्यों को छिपाने की कोशिश की गई?

पुलिस जांच पर सवाल

पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट में इसे ‘गलत काम के बाद गला रेतकर हत्या’ बताया गया, लेकिन बाद में सुसाइड पर जोर दिया गया. विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस ने सीन ऑफ क्राइम को संरक्षित करने में लापरवाही बरती. न तो जहर की बोतल मिली, न बैग, और न ही मृतका का मोबाइल फोन.

डीजीपी के अनुसार, मोबाइल टूटा हुआ मिला और उसका डेटा रिकवर नहीं हो सका. यह सवाल उठता है कि मोबाइल किसने तोड़ा और क्यों? क्या इसमें कोई ऐसी जानकारी थी, जो छिपाने की कोशिश की गई?

ऑर्गेनो फास्फोरस से मौत की बात

पुलिस और पीजीआई की रिपोर्ट में ऑर्गेनो फास्फोरस जहर से मौत की बात कही गई, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस जहर से तुरंत मौत नहीं होती. इसके लक्षणों में उल्टी, मुंह से झाग, और नाक से खून आना शामिल है, लेकिन इनका कोई जिक्र नहीं है. इसके अलावा, फेफड़ों और हृदय की जांच भी नहीं की गई जो इस जहर के असर को समझने के लिए जरूरी थी.

कुत्तों द्वारा शव क्षति पर संदेह

पुलिस का दावा है कि मृतका की गर्दन को कुत्तों ने क्षतिग्रस्त किया, लेकिन विशेषज्ञ इसे संदिग्ध मानते हैं. कुत्ते आमतौर पर शरीर के नरम हिस्सों, जैसे जांघों या कूल्हों, को निशाना बनाते हैं. फिर केवल गर्दन पर ही निशान क्यों? कपड़े साफ-सुथरे थे, कोई फटने या पंजों के निशान नहीं थे. यह सवाल उठता है कि क्या गर्दन के हिस्से को जानबूझकर क्षतिग्रस्त किया गया ताकि स्ट्रैंगुलेशन या गला दबाने के सबूत मिटाए जा सकें?

CBI और एम्स की रिपोर्ट का इंतजार

अब मामला CBI के पास है और एम्स दिल्ली की तीसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दो बार पोस्टमार्टम और देरी के कारण शव की स्थिति खराब हो सकती है, जिससे नई जानकारी मिलना मुश्किल होगा. फिर भी CBI से उम्मीद है कि वह मोबाइल टावर डेटा, कॉल डिटेल्स,  और अन्य सबूतों की गहन जांच करेगी.

 
 
 
 

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