14 फरवरी को काऊ हग डे मनाने की तैयारी, गायों को मिलेगी काऊ हॉस्टल और 630 एंबुलेंस की सौगात!

लोमेश कुमार गौर

MP NEWS : 14 फरवरी के दिन अब मध्यप्रदेश में काऊ हग डे मनाने को लेकर बातें की जा रही हैं. गायों के लिए काऊ हॉस्टल और एनिमल एंबुलेंस जैसी कई योजनाएं लाने की तैयारी भी है. दरअसल मध्यप्रदेश के हरदा के दौरे पर आये राष्ट्रीय जीव जंतु बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी ने काऊ […]

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MP NEWS : 14 फरवरी के दिन अब मध्यप्रदेश में काऊ हग डे मनाने को लेकर बातें की जा रही हैं. गायों के लिए काऊ हॉस्टल और एनिमल एंबुलेंस जैसी कई योजनाएं लाने की तैयारी भी है. दरअसल मध्यप्रदेश के हरदा के दौरे पर आये राष्ट्रीय जीव जंतु बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी ने काऊ हग डे और गायों की देखभाल को लेकर MP Tak से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने प्रदेश में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह काऊ हग डे मनाने की बातें कही हैं.

राष्ट्रीय जीव जंतु बोर्ड ने 14 फरवरी के दिन को काऊ हग डे के रूप में मनाने की एडवायजरी भी जारी की है. राम रघुवंशी का कहना है कि ‘मध्यप्रदेश का नाम गायों की सेवा के मामले में आगे रहता है, चाहें वह अलग से गायों के बजट की योजना हो या फिर शिवराज सरकार द्वारा गोपालकों को पुरस्कृत करने की योजना. ऐसे में काऊ हग डे मध्यप्रदेश के लिए ज्यादा खास हो जाता है’.

हर विकासखंड में आएंगी दो-दो एंबुलेंस

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राष्ट्रीय जीव जंतु बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी ने बताया कि ‘जीव जंतुओं के उपचार के लिए जल्द ही मध्यप्रदेश में 630 एंबुलेंस आने वाली हैं. प्रत्येक विकासखंड में दो-दो एंबुलेंस उपलब्ध रहेंगी. हालांकि ये एनिमल एंबुलेंस सिर्फ गाय ही नहीं, बल्कि दूसरे पशुओं के उपचार का काम भी करेंगी. इन एंबुलेंस की व्यवस्था जल्द ही हो जाएगी.’

भारतीय संस्कारों से जुड़ें युवा

राष्ट्रीय जीव जंतु बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी ने कहा कि ’14 फरवरी के दिन को काऊ हग डे के रूप में मनाने का मकसद युवाओं को पश्चिमी सभ्यता के बजाय भारतीय संस्कारों से जोड़ना है’. रघुवंशी ने कहा कि ‘इस सप्ताह को प्रेम के सप्ताह के रूप में मनाया जाता है तो गाय के साथ हग डे मनाएं, उन्होंने कहा कि गाय के मन जितना प्रेम कहीं और नहीं मिलेगा’.

काऊ हॉस्टल क्या है?

प्रदेश में गायों के लिए काऊ हॉस्टल खोलने की योजना है. काऊ हॉस्टल में गौ पालक अपनी गायों को रख सकेंगे. शहरों में रहने वाले कई लोग जो गाय रखने के इच्छुक तो होते हैं, लेकिन जगह की कमी के चलते घरों में गायों को नहीं रख पाते हैं, उनके लिए काऊ हॉस्टल की योजना बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है. काऊ हॉस्टल में गायों की देखभाल की जाएगी. जो गौ पालक गायों का दूध निकालना चाहते हैं वे काऊ हॉस्टल जाकर अपनी गाय का दूध ले सकते हैं.

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पशुओं की टैगिंग की योजना

पशुओं की देखभाल के लिए बेसहारा पशुओं की टैगिंग की जाएगी. राष्ट्रीय जीव जंतु बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी ने गौशाला और गोपालक की गायों में अंतर के करने के लिए सींगो में लाल और हरे रंग से पेंट करने का सुझाव दिया. एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ‘गाय के कत्लखाने देश में कहीं नहीं हैं, ऐसी कोई जानकारी बोर्ड के पास उपलब्ध नहीं है’.

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