MPPSC 2024: ना कोचिंग, ना संसाधन... किसान का बेटा बना DSP, विवेक सिंह की मेहनत ने लिखी सफलता की नई कहानी

वेंकटेश द्विवेदी

सतना जिले के रिमारी गांव के किसान बेटे विवेक सिंह ने चौथे प्रयास में MPPSC 2024 परीक्षा पास कर DSP पद हासिल किया. सीमित संसाधनों और बिना कोचिंग के उन्होंने कड़ी मेहनत से यह मुकाम पाया.

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किसान का बेटा बना DSP
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MPPSC 2024: मध्य प्रदेश के सतना जिले के एक छोटे से गांव रिमारी के विवेक सिंह ने MPPSC 2024 की राज्य सेवा परीक्षा में डीएसपी (पुलिस उपाधीक्षक) पद पर चयनित होकर अपने गांव, जिले और पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. खास बात ये है कि विवेक एक साधारण किसान परिवार से आते हैं, और उन्होंने ये सफलता अपने चौथे प्रयास में हासिल की है.

सीमित संसाधनों के बीच बड़ी कामयाबी

विवेक के पिता देवलाल सिंह किसान हैं और परिवार की आजीविका महज चार एकड़ जमीन पर निर्भर है, लेकिन आर्थिक चुनौतियों के बाद भी विवेक ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने ओबीसी कैटेगरी में 1685 में से 864 अंक हासिल किए और DSP बनने का सपना सच कर दिखाया.

गांव से दिल्ली तक का सफर

विवेक ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने शासकीय वेंकट क्रमांक 1, रीवा से हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया और फिर जेएनयू, दिल्ली से मास्टर्स किया.

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दिल्ली में पढ़ाई के दौरान, वे अपने चार दोस्तों के साथ दो कमरों के मकान में रहते थे और वहीं से सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी की.

खुद की गलतियों से सीखा

विवेक ने बताया कि पहले प्रयास में वह प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाए. दूसरे और तीसरे प्रयास में प्री तो निकली, लेकिन मेंस में असफलता मिली. उन्होंने ठान लिया कि वे अपनी गलतियों से सीखेंगे. उन्हें समझ आया कि उनकी राइटिंग स्पीड कम है. इस पर काम करने के लिए उन्होंने इंदौर में रहकर टेस्ट सीरीज जॉइन की और जमकर अभ्यास किया.

बिना कोचिंग की सेल्फ स्टडी

विवेक ने कोई कोचिंग नहीं ली. उन्होंने हर दिन 7 से 8 घंटे की सेल्फ स्टडी की. इस सफर में उनका मार्गदर्शन उनके रिश्ते के भतीजे सचिन सिंह, जो एक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, ने किया. विवेक उन्हें अपनी सफलता का श्रेय देते हैं.

सिविल सेवा के उम्मीदवारों को दिए टिप्स

विवेक ने उन युवाओं के लिए कुछ खास सलाह दी है जो सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं:

उसने कहा कि असफलता से डरें नहीं, बल्कि उसके कारणों को समझें. इसके अलावा अगर आप भी सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं तो सिलेबस को गहराई से समझें और उसी के अनुसार रणनीति बनाएं. विवेक ने कहा कि पुराने प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करें ताकि परीक्षा पैटर्न समझ सकें. मेंस के बाद इंटरव्यू की तैयारी के लिए मॉक टेस्ट जरूर दें.

अब लक्ष्य है IAS बनना

विवेक कहते हैं कि डीएसपी बनना मंजिल नहीं है, बल्कि उनका अगला लक्ष्य IAS बनना है. इसके लिए वे आगे भी मेहनत करते रहेंगे.

प्रेरणा देने वाली कहानी

विवेक की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखते हैं. ये कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत लगातार ह, तो कोई भी मुश्किल रास्ता मंजिल तक जाने से रोक नहीं सकता.

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