MPPSC Topper 2024: इंटरनेट की मदद से की पढ़ाई, बिना कोचिंग के ऋषभ अवस्थी ने पहले अटेम्प्ट में ही मार ली बाजी!
ऋषभ अवस्थी ने बिना किसी कोचिंग के खुद की मेहनत, तकनीक और परिवार के समर्थन से MPPSC 2024 में दूसरी पोजिशन हासिल कर सफलता की नई मिसाल कायम की. उनका संघर्ष और परिवार की प्रेरणा उन हजारों युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है.
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Mppsc Topper Success Story: मध्य प्रदेश में लोक सेवा आयोग (MPPSC) 2024 की परीक्षा में दूसरे पोजिशन पर आने वाले ऋषभ अवस्थी ने अपने पहले ही अटेंपट में परिक्षा क्लियर कर कमाल कर दिखाया. खास बात ये है कि ऋषभ ने इस परिक्षा को निकालने के लिए किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि खुद की मेहनत, टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल और परिवार के मजबूत समर्थन के बल पर ये सफलता हासिल की.
ऋषभ की ये कहानी न सिर्फ मेहनत की मिसाल है, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए एक उम्मीद की किरण है जो सीमित संसाधनों के साथ बड़े सपने देखते हैं.
परिवार का भी रहा संघर्ष
ऋषभ का कहना है कि उनके पिताजी होमगार्ड की नौकरी में रहते हुए अक्सर घर से दूर रहे और मां ने एक हाउसवाइफ होते हुए चार बेटियों और एक बेटे को अकेले संभाला. ऋषभ कहते हैं कि उनके लिए एक नहीं, पांच-पांच माएं थीं उनकी मां और उनकी चारों बड़ी बहनें.
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ऋषभ का कहना है कि इस सफर में उनका संघर्ष जितना था, उससे कहीं ज़्यादा संघर्ष उनके परिवार का रहा. सागर जिले के छोटे से गांव देवरी में रहते हुए भी मे ऋषभ के माता-पिता ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी.
कहां से ली शुरुआती शिक्षा
ऋषभ ने बताया कि उन्होंने शुरुआती शिक्षा देवरी से सागर और फिर इंदौर तक का सफर तय करना आसान नहीं था, लेकिन परिवार का भरोसा हमेशा उनके साथ रहा. उन्होंने आगे कहा कि उनके माता-पिता और बहनों ने कभी उन पर दबाव नहीं डाला, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
खासकर उस वक्त जब ऋषभ की मां ने समाज की परवाह किए बिना चारों बेटियों को बेटों के बराबर पढ़ाया, तब ऋषभ को महसूस हुआ कि उन्हें भी परिवार के इस संघर्ष को व्यर्थ नहीं जाने देना है.
ऋषभ ने तैयारी को लेकर बताया कि उन्होंने कभी पढ़ाई के घंटे नहीं गिने. उनका मानना है कि कितने घंटे पढ़ते हैं, ये मायने नहीं रखता, लेकिन ये जरूरी है कि आप रोज पढ़ें और पूरे फोकस के साथ पढ़ें. अगर आप दिन में पांच घंटे भी मन लगाकर पढ़ते हैं, तो वही काफी है, बशर्ते वो पांच घंटे सिर्फ पढ़ाई के हों, बिना किसी डिस्ट्रैक्शन के.
संसाधन ने की मदद
वहीं कोचिंग नहीं करने के सवाल पर ऋषभ कहते हैं कि आज की तारीख में डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरनेट ने हर संसाधन को हाथ की पहुंच में ला दिया है. उनके अनुसार सारे शिक्षक अब हमारे घर में हैं और सारे नोट्स मोबाइल फोन में. YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर फ्री लेक्चर्स उपलब्ध हैं, AI टूल्स जैसे ChatGPT और Gemini ने उन्हें नोट्स बनाने, टॉपिक समझने और रिविजन में काफी मदद की.
हालांकि वे ये भी मानते हैं कि सोशल मीडिया एक "नेसेसरी इविल" है. पूरी तरह इससे कटना भी संभव नहीं है और न ही जरूरी है. लेकिन, टाइम मैनेजमेंट और सेल्फ-डिसिप्लिन से हम इसका संतुलित इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बना ली थी और पूरी तरह पढ़ाई पर फोकस किया था.
मां की आंखों में थे आंसू
जब रिजल्ट आया तो मां की आंखों में आंसू थे, खुशी के आंसू. ऋषभ कहते हैं कि उनकी मां दस मिनट तक कुछ बोल ही नहीं पाईं. वो बस रोती रहीं क्योंकि शायद ये उनकी बरसों की मेहनत का फल था. ऋषभ कहते हैं कि उन्होंने भले ही चार साल मेहनत की हो लेकिन मां ने तो इस दिन के लिए बरसों से संघर्ष किया था.
भविष्य को लेकर ऋषभ कहते हैं कि वे अफसर बनकर खासतौर पर महिलाओं के अधिकार, धार्मिक पर्यटन के विकास और मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधारने जैसे क्षेत्रों में काम करना चाहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि अगर उनके काम से किसी एक भी युवा की ज़िंदगी बदलती है, तो उनकी मेहनत पूरी तरह सफल मानी जाएगी.
ऋषभ अवस्थी का ये सफर दिखाता है कि अगर मन में सच्ची लगन हो, आत्मविश्वास हो और सही दिशा में प्रयास हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं. उन्होंने बिना किसी के कोचिंग के अपने पहली ही कोशिश में MPPSC जैसे कठिन एग्जाम में टॉप कर ये साबित कर दिया कि मेहनत, समर्पण और परिवार का साथ यही असली कोचिंग है.
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