MP News: राजगढ़ लोकसभा सीट पर राजपरिवारों का रहा दबदबा, फिर भी दिग्विजय हार गए चुनाव, कैसे?

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MP News: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ गए हैं, जहां देश भर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिला है. तो वहीं मध्य प्रदेश की जनता का जनादेश बिल्कुल साफ था.

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MP News: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ गए हैं, जहां देश भर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिला है. तो वहीं मध्य प्रदेश की जनता का जनादेश बिल्कुल साफ था. मध्य प्रदेश मे भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए कांग्रेस को MP में खाता तक नही खोलने दिया और बीजेपी को प्रचंड बहुमत के साथ 29-0 की से जीत थमा दी. कांग्रेस ने इस चुनाव में राजगढ़ और छिंदवाड़ा सीट जीतने के लिए मजबूत प्रत्याशी दिए थे. मगर, दोनों ही जगह उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है. 

मध्य प्रदेश की राजगढ़ सीट से कांग्रेस उम्मीदवार, चर्चित नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव हार गए हैं. बीजेपी के रोडमल नागर ने लगातार तीसरी बार इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है. मतगणना की शुरुआत से ही आगे चल रहे नागर ने दिग्विजय को 1 लाख 45 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया है.

 

 

रोडमल नागर की इस जीत की हेट्रिक ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने में एक अहम भूमिका निभाई है. क्योंकि, कांग्रेस यहां से जीतने के लिए सबसे ज़्यादा कॉन्फिडेंस थी. 2019 में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार खाता खोलने में भी नाकामयाब रही. 

अकेले डटे रहे दिग्विजय

दिग्विजय सिंह की हार के पीछे उनका अकेले मैदान में डटे रहना बताया जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव में अकेले ही पूरी कमान संभाल रहे थे. इस दौरान उन्हें कई तरह के झटके भी लगे हैं. उनके करीबी विधायक रामनिवास रावत ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इस सीट पर दिग्विजय ने पूरी कोशिश की थी कि आखिरी चुनाव में जीत मिल जाए. बावजूद इसके दिग्विजय सिंह केा करारी हार का सामना करना पड़ा है. 

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1952 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ. तब से अब तक हुए आम चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट से 9 बार, जनसंघ-भाजपा ने 6 बार, जनता पार्टी ने दो बार और निर्दलीय उम्मीदवार ने भी 1 एक बार सीट जीती है.  

साल 1962 में यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भानुप्रकाश सिंह को जीत मिली. उन्होंने कांग्रेस के लिलाधर जोशी को हराया था. कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत 1984 में मिली, जब दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के जमनालाल को मात दी थी.

राजगढ़ लोकसभा सीट की खास बात यह रही है कि यहां राजपरिवारों का ही दबदबा रहा है. सात चुनावों में राघोगढ़ राजपरिवार के सदस्य सांसद बनने में कामयाब रहे हैं. इससे पहले दिग्विजय सिंह और लक्ष्मण सिंह इस सीट से सात चुनाव जीत चुके थे और यह कांग्रेस की पक्की सीटों में एक सीट थी. 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए थे. हालांकि 1989 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के प्यारेलाल खंडेलवाल से हार का सामना करना पड़ा था.

एमपी तक के लिए वरुल चतुर्वेदी की रिपोर्ट

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