सिंधिया के पास है चमत्कारी शिवलिंग? पानीपत की तीसरी लड़ाई से है सीधा कनेक्शन
ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार के पास वो चमत्कारी शिवलिंग कौन सा है, जिसका सीधा कनेक्शन पानीपत की तीसरी लड़ाई से है. इसका खुलासा खुद सिंधिया ने एमपी तक के सहयोगी चैनल द लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में किया है.
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Jyotiraditya Scindia: ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार के पास वो चमत्कारी शिवलिंग कौन सा है, जिसका सीधा कनेक्शन पानीपत की तीसरी लड़ाई से है. इसका खुलासा खुद सिंधिया ने एमपी तक के सहयोगी चैनल द लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में किया है. सिंधिया ने इस इंटरव्यू में बताया कि उनके परिवार में एक शिवलिंग है, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता है. अभी ये शिवलिंग परिवार के किसी एक सदस्य के पास है.
सिंधिया ने इस इंटरव्यू में बताया कि आखिर इस शिवलिंग को सिंधिया परिवार इतना खास और चमत्कारी क्यों मानता है. सिंधिया ने बताया कि 1761 में जब पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठों और अफगानिस्तान के आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के बीच हुई थी तो सिंधिया परिवार के 16 पूर्वजों के सिर काटकर अब्दाली ने मराठा लश्कर के सामने घुमाया था. लेकिन इस युद्ध में उनके परिवार के सिर्फ एक पुरखे बचे थे और उनका नाम था महादजी सिंधिया.
महादजी सिंधिया इस युद्ध में एक पैर से निशक्त भी हो गए थे. लेकिन वे इस युद्ध में इसलिए बच गए, क्योंकि उनकी मराठी पगड़ी के नीचे शिवलिंग रखा हुआ था और ऐसी मान्यता है कि इसी शिवलिंग की वजह से महादजी सिंधिया की जान बची और इसके बाद महादजी सिंधिया पर भगवान शिव की ऐसी कृपा हुई कि उन्होंने अपना सबकुछ बेचकर फिर से एक नया मराठा लश्कर खड़ा कर दिया.
महादजी सिंधिया की बदौलत लाल किले पर फहराया भगवा ध्वज- सिंधिया
इसके बाद महादजी सिंधिया की बदौलत लाल किले पर पहली बार भगवा ध्वज फहराया गया. छत्रपति शिवाजी महाराज का हिंदवी साम्राज्य का सपना साकार हुआ. इसके बाद मराठा एक बड़ी ताकत बनकर उभरे और मुगल साम्राज्य को भी अपने इशारों पर नचाया. इस वजह से इस शिवलिंग का सिंधिया परिवार में बड़ा महत्व है और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के लोगों के बीच हस्तांतरित किया जाता है. इंटरव्यू को देखने ये वीडियो भी देख सकते हैं.
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