India पर 50% टैरिफ लगाने वाले अमेरिका को रूस ने धोया, काट दिया 37 ट्रिलियन डॉलर पर बवाल!

न्यूज तक डेस्क

अमेरिका अपने $37 ट्रिलियन कर्ज से छुटकारा पाने के लिए स्टेबल कॉइन, बिटकॉइन और डिजिटल डॉलर जैसे टूल्स का इस्तेमाल कर रहा है.

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अमेरिका -रूस- भारत
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दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत माना जाने वाला देश अमेरिका को अब एक नए मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है. दरअसल जिस अमेरिका ने भारत के स्टील और अल्युमीनियम पर 50% तक का भारी-भरकम टैरिफ लगाया था, अब उसी अमेरिका की साख पर रूस ने बड़ा हमला बोला है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मुख्य आर्थिक सलाहकार एंटोन कोबियाक ने हाल ही में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (व्लादिवोस्तोक) में ऐसा खुलासा किया है, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. उन्होंने दावा किया कि अमेरिका अपने 37 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज को खत्म करने की तैयारी में है, वो भी एक तरह की "पोंजी स्कीम" के जरिए.

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अमेरिका का बढ़ता कर्ज और 'कर्ज माफी प्लान'

सितंबर 2024 तक अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 37.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. अमेरिका का डेप्ट टू जीडीपी रेशियो 126% से ज्यादा हो चुका है. हर साल केवल ब्याज चुकाने में अमेरिका को 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा देना पड़ता है. ये हालात 2035 तक और भी खराब होने वाले हैं, जब अमेरिका की कमाई का 25% हिस्सा सिर्फ कर्ज के ब्याज में चला जाएगा.

यह हाल देखकर टेस्ला के मालिक एलन मस्क तक कह चुके हैं, "यूएस गवर्नमेंट इज अनफिक्सेबल" यानी अब इसे ठीक नहीं किया जा सकता.

अमेरिका चला रहा है क्रिप्टो वाला खेल

एंटोन कोबियाक ने दावा किया कि अमेरिका दो बड़े प्लान पर काम कर रहा है:

प्लान A- क्रिप्टो रिजर्व का खेल

अमेरिका ने क्रिप्टोकरेंसी, खासकर बिटकॉइन, को लेकर बड़ी तैयारी शुरू कर दी है. हजारों अनक्लेम्ड बिटकॉइन जब्त किए जा चुके हैं.

जैसे ही बिटकॉइन की कीमत बढ़ेगी, अमेरिका कहेगा, "हमारे पास 50 ट्रिलियन डॉलर के क्रिप्टो एसेट्स हैं, इसलिए अब हम पर कोई कर्ज नहीं है. यानी 37 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज एक झटके में माफ.

प्लान B- स्टेबल कॉइन पोंजी स्कीम

अमेरिका चाहता है कि पूरी दुनिया डिजिटल डॉलर टोकन (जैसे USDT, USDC) को अपनाए. धीरे-धीरे देशों को फिजिकल डॉलर की जगह डिजिटल टोकन में पेमेंट मिलेगा. बाद में अमेरिका कह सकता है- "इस टोकन की वैल्यू अब आधी कर दी गई है" यानी जिसने उधार दिया उसका नुकसान, लेकिन अमेरिका को राहत.

यह वही खेल है जैसा 1933 और 1971 में हुआ था, जब अमेरिका ने गोल्ड जब्त कर लिया और डॉलर को सोने से अलग कर दिया.

भारत के लिए क्या खतरा?

भारत ने अमेरिका की इन चालों को भांपते हुए अपने US ट्रेजरी बॉन्ड होल्डिंग्स में कमी की है. लेकिन अगर पूरी दुनिया को स्टेबल कॉइन और क्रिप्टो बेस्ड सिस्टम में धकेला गया, तो भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा.

अमेरिका पहले ही भारत पर भारी टैरिफ लगाकर दबाव बनाता रहा है. अब अगर ये नया डिजिटल डॉलर खेल शुरू होता है, तो भारत जैसे देश, जो अभी फिजिकल डॉलर और गोल्ड पर भरोसा करते हैं, को बड़ा नुकसान हो सकता है.

पाकिस्तान बन गया 'टेस्ट केस'

रूस के मुताबिक, पाकिस्तान इस पूरी योजना का टेस्ट केस बन चुका है. डॉलर की भारी किल्लत के चलते पाकिस्तान पहले ही स्टेबल कॉइन पर निर्भर हो रहा है. अमेरिका देख रहा है कि डिजिटल डॉलर कैसे काम कर रहा है. अगर सफल रहा, तो यह मॉडल दुनिया भर में लागू किया जाएगा.

नतीजा क्या होगा?

अमेरिका अपने 37 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज से छुटकारा पा लेगा. लोन देने वाले देश जैसे चीन, जापान, पाकिस्तान भारी नुकसान में जाएंगे. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डॉलर के नए डिजिटल अवतार के अधीन हो जाएगी.

भारत को सतर्क रहने की जरूरत

भारत को सतर्क रहने की जरूरत है. अमेरिका के चालबाज खेल ने इतिहास में कई बार दुनिया को धोखा दिया है 1933 में गोल्ड सीज़, 1971 में डॉलर-गोल्ड ब्रेकअप और अब क्रिप्टो का खेल.

अगर भारत समय रहते अपने फाइनेंशियल सिस्टम को मजबूत नहीं करता और डिजिटल डॉलर के जाल से बचकर नहीं चलता, तो भविष्य में अमेरिका का अगला शिकार भारत भी बन सकता है.

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