कौन हैं इम्तियाज जलील जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में खड़ा कर दिया है भूचाल? जानें इनके बारे में सबकुछ

रूपक प्रियदर्शी

Imtiaz Jaleel : इम्तियाज जलील मुंबई में कभी NDTV के जर्नलिस्ट होते थे. जर्नलिज्म छोड़कर महाराष्ट्र में राजनीति में आए. यहां आने के बाद उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM का दामन थामा.

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इम्तियाज जलील मुंबई में कभी NDTV के जर्नलिस्ट होते थे.

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जर्नलिज्म छोड़कर महाराष्ट्र में राजनीति में आए.

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यहां आने के बाद उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM का दामन थामा.

Imtiaz Jaleel: इम्तियाज जलील मुंबई में कभी NDTV के जर्नलिस्ट होते थे. जर्नलिज्म छोड़कर महाराष्ट्र में राजनीति में आए. यहां आने के बाद उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM का दामन थामा. जर्नलिज्म छोड़कर जब इम्तियाज ने महाराष्ट्र में राजनीति में आए थे तब वे चाहते तो पहले से जमी-जमाई पार्टी बीजेपी, कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी-किसी को चुन सकते थे. लेकिन उन्होंने पार्टी चुनी असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM.

ऐसी पार्टी जिसकी महाराष्ट्र में कोई राजनीति जमीन नहीं थी. ओवैसी हैदराबाद से बाहर पार्टी को ले जाना चाहते थे. महाराष्ट्र में पोटेंशियल दिखा. इम्तियाज जलील को राजनीति करने के लिए ओवैसी AIMIM में पोटेंशियल दिखा. दोनों ने हाथ मिलाया और 2019 के लोकसभा चुनाव में धमाका कर दिया.

औरंगाबाद से इम्तियाज जलील पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बन गए. ओवैसी की पार्टी को हैदराबाद से बाहर एक ठहराव मिला. हालांकि 2024 में 2019 दोहराने के लिए इम्तियाज जलील ने फिर AIMIM के टिकट पर लड़े लेकिन इस बार चूक गए. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में आए तो इम्तियाज जलील नए सिरे से एक्टिव हुए हैं. उन्होंने फिर ऐसा धमाका किया है कि महाराष्ट्र की बड़ी-बड़ी पार्टियों के होश उड़ गए हैं. 

देश में जब हिंदू-मुसलमान वाली राजनीति जोरों से चल रही है. इम्तियाज जलील खुलकर मुसलमानों के हक में राजनीति कर रहे हैं. मौका दिया है बीजेपी नेता नीतेश राणे और संत रामगिरि महाराज ने मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान देकर. रामगिरी महाराज इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे हैं. नीतेश राणे न केवल संत रामगिरी महाराज के समर्थन में आए बल्कि 1 सितंबर को अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर और तोपखाना इलाकों में जनसभाएं कर डाली. नीतीश राणे के खिलाफ भी मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी को लेकर कई केस दर्ज हैं.

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इम्तियाज जलील के शक्ति प्रदर्शन ने स्थापित राजनेताओं को चौंकाया

नीतेश राणे और संत रामगिरी से माफी की मांग को लेकर इम्तियाज जलील ने ऐसा शक्ति प्रदर्शन किया कि मुंबई में बैठी सरकार हिल गई. पहले से संविधान-संविधान बोलकर राहुल गांधी बीजेपी की बाट लगाए हुए हैं. अब इम्तियाज जलील भी संविधान की कॉपी लेकर सड़क पर उतर गए तो हड़कंप मच गया. इम्तियाज जलील तिरंगा संविधान यात्रा लेकर छत्रपति संभाजी नगर से मुंबई-नागपुर समृद्धि एक्सप्रेसवे के रास्ते मुंबई जाने के लिए निकल पड़े.

इम्तियाज जलील का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार की शह पर, पुलिस का इस्तेमाल करके जाति-धर्म की दीवारें खड़ी की जा रही हैं. दंगे भड़काने की कोशिश हो रही है. मुसलमानों को धमकाया जा रहा है. 60 FIR होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है क्योंकि सीएम शिंदे ने ही कार्रवाई करने से मना किया हुआ है. इम्तियाज जलील का इरादा मुंबई पहुंचकर महायुति के नेताओं और सीनियर पुलिस अफसरों को संविधान की प्रतियां भेंट करने का था ताकि देश संविधान, कानून से चले. 

सरकार ने इम्तियाज जलील की तिरंगा यात्रा को मुंबई में घुसने नहीं दिया

इम्तियाज जलील के इरादे भांपकर सरकार ने ऐसा कुछ होने नहीं दिया. चुनाव से ठीक पहले तिरंगा, संविधान के नाम पर जलील की राजनीतिक यात्रा को सरकार ने मुंबई घुसने नहीं दिया. इतना बड़ा जनसैलाब इम्तियाज के साथ जुड़ा कि जिस-जिस रास्ते से यात्रा गुजरी, भयंकर जाम लगता रहा. चुनाव से पहले इम्तियाज जलील के मार्च की तस्वीरें सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही हैं.

महंत रामगिरि महाराज महाराष्ट्र के सरला द्वीप के मठाधीश हैं. उनके भक्तों की बड़ी संख्या मानी जाती है. छत्रपति संभाजीनगर, नासिक, जालना, जलगांव जैसे मराठवाड़ा के इलाकों में रामगिरि महाराज प्रभावशाली माना जाते हैं.संत रामगिरी, नीतेश राणे ही नहीं, एकनाथ शिंदे की पार्टी ने भी इम्तियाज जलील की यात्रा में राजनीति देखी. कहा कि लोकसभा हारने के बाद इम्तियाज विधानसभा चुनाव के लिए राजनीति चमका रहे हैं. शिंदे की पार्टी ने तो AIMIM को MVA की बी टीम तक कह दिया.

कैसा रहा है इम्तियाज जलील का अब तक का कैरियर

इम्तियाज जलील महाराष्ट्र के औरंगाबाद के हैं. इम्तियाज ने MBA करने के बाद मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म की पढ़ाई की. NDTV में कुछ वक्त तक काम किया. 2014 में फुल टाइम राजनीति में एंट्री ले ली. ओवैसी ने चुनाव से सिर्फ 22 दिन पहले औरंगाबाद सेंट्रल से विधानसभा का टिकट देकर चुनाव लड़ाया. सचमुच इम्तियाज ने शिवसेना के प्रदीप जायसवाल को करीब 20 हजार वोटों से हरा दिया. 2015 में इम्तियाज जलील ने औरंगाबाद नगर निगम में AIMIM को चुनाव लड़ाकर दूसरा धमाका किया. इस चुनाव में पार्टी ने 25 सीटें जीत ली.

2019 में मुस्लिम राजनीति करने वाली AIMIM ने दलित राजनीति करने वाले प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ अलायंस किया. प्रकाश आंबेडकर का तो खाता नहीं खुला लेकिन मुस्लिम-दलित वोटों की चुनावी इंजीनियरिंग से इम्तियाज ने औरंगाबाद जीतकर सनसनी मचा दी. शिवसेना के दिग्गज और 4 बार के सांसद चंद्रकांत खैरे को 4492 वोटों से मात दी.

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