गुजरात में निकला BJP विधायक हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी का वारंट, क्या है पूरा मामला?
अहमदाबाद की रुरल कोर्ट ने अगस्त 2018 में दंगा भड़काने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके तीन साथियों पर नकेल कस दी है.
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पिछले महीने अगस्त में हार्दिक पटेल के पाटीदार अनामत आंदोलन के 10 साल पूरे हुए हैं. हार्दिक ने गर्व से कहा था कि राष्ट्रीय नेता बनने की जरूरत ही नहीं है, वो तो 2015 में ही बन गया था. अब 10 साल पूरा होने से ही बड़ा झटका लगा है. जिस पाटीदार आंदोलन ने हार्दिक पटेल को हार्दिक पटेल बनाया वही Ghost बनकर पीछा नहीं छोड़ रहा है.
पाटीदार अनामत आंदोलन के चक्कर में हार्दिक पटेल जेल गए. राजद्रोह के आरोपी बने. मुकदमों से पिंड छुड़ाने कांग्रेस की अच्छी खासी पोजिशन छोड़कर बीजेपी में गए. फिर भी पाटीदार केस पीछे लगा है. ऐसे आरोप लगते हैं कि बीजेपी का पटका पहन लेने या शामिल होने या अलायंस करने से केस मुकदमों से छुटकारा मिल जाता है. हार्दिक पटेल के साथ अब जो हुआ वो शॉकिंग है. गुजरात में बीजेपी की सरकार होते, हार्दिक पटेल के बीजेपी विधायक रहते हुए गिरफ्तारी वारंट निकला है.
गिरफ्तारी वारंट निकला
अहमदाबाद की रुरल कोर्ट ने अगस्त 2018 में दंगा भड़काने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके तीन साथियों पर नकेल कस दी है. तब हार्दिक अनशन पर बैठे थे. आंदोलन के दौरान निकोल दंगा भड़काने, हिंसा करने, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में केस जिंदा हुआ. अब गिरफ्तारी वारंट निकला है. जिस केस में हार्दिक अब फंसे उसकी सुनवाई होती रही लेकिन हार्दिक सुनवाई के लिए कोर्ट जाते तक नहीं थे.
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कोर्ट कचहरी में केस चल रहा हो तो सुनवाई में हाजिर न होना भी गंभीर अपराध बन जाता है. कोर्ट गिरफ्तारी वारंट जारी करके आरोपियों को हाजिर कराता है. अब या तो हार्दिक खुद कोर्ट के सामने पेश हो जाएं या पुलिस गिरफ्तार करके पेश करे-कोई एक रास्ता चुनना पड़ेगा. कोर्ट ने कोई सजा नहीं दी है. बस सुनवाई के लिए गंभीर होने के लिए वारंट से चेतावनी दी है.
हार्दिक पटेल बुरे फंस गए
पता नहीं हार्दिक पटेल बीजेपी में सेफ होने की फीलिंग थी या ये सोचकर बैठे कि सारे केस बंद हो गए तो ये भी बंद हो जाएगा. बीजेपी में आने पर गुजरात सरकार ने ही हार्दिक पर लगाए ढेर सारे वापस ले लिए थे लेकिन न जाने ये कैसे बचा रह गया. बचा रह गया या बचा रहने दिया गया? अब हार्दिक पटेल बुरे फंस गए हैं. गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है वो भी बीजेपी के राज में गुजरात में.
ना आरक्षण मिला ना मुकदमों से पीछा छूटा
2015 में हार्दिक पटेल की इतनी भी उम्र नहीं कि चुनाव लड़ पाएं. अपने पाटीदार समुदाय को ओबीसी आरक्षण दिलाने के लिए उन्होंने पाटीदार आरक्षण आंदोलन छेड़ा था. 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल के आंदोलन ने गुजरात में बीजेपी की सरकार हिला दी थी. सीएम आनंदी बेन पटेल ने गद्दी छोड़कर कीमत भी चुकाई. बड़ी मुश्किल से बीजेपी गुजरात का चुनाव हारते-हारते बची. हार्दिक पाटीदारों को आरक्षण तो नहीं दिला पाए, अपने सिर पर 30 से ज्यादा मुकदमे लाद लिए. बीजेपी सरकार ने हार्दिक पटेल से कतई समाजसेवी, सामाजिक कार्यकर्ता मानकर नरम वाला बर्ताव नहीं किया. राजद्रोह का आरोपी मानते हुए जेल में डाल दिया. एक केस में 2 साल की सजा भी हो गई जिससे हार्दिक के चुनाव लड़ने पर बैन लग गया.
राहुल ने कांग्रेस में बुलाया
राजनीति में जेल जाना कोई डिक्वालिफिकेशन नहीं बनता. पाटीदार आंदोलन और जेल जाने से हार्दिक पटेल नेशनल लेवल के लीडर बन गए. आंदोलन से हार्दिक पटेल की राजनीति चढ़ने लगी. तब हार्दिक चुनाव लड़ने लायक नहीं हुए थे लेकिन यूथ आइकॉन बन गए थे. राहुल गांधी ने लड़के में जोश देखकर पार्टी में बुला लिया. कांग्रेस में आने पर बड़ा ऊंचा लंबा कद दिया. सीधे गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए. चुनाव प्रचार में पार्टी के हेलिकॉप्टर से उड़ने लगे. हार्दिक और कांग्रेस का बढ़िया चल रहा था.
2022 में बीजेपी में चले आए
कांग्रेस में आकर हार्दिक पटेल आसमान में उड़ रहे थे तब नीचे घसीटने की चाबी बीजेपी सरकार के पास थी. 30 से ज्यादा मुकदमों के कारण कोर्ट के इतने चक्कर लगने कि हार्दिक तंग होने लगे. मजबूर होकर एक दिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का एलान कर दिया. 2022 में बीजेपी ज्वाइन कर ली. बीजेपी ने चुनाव का टिकट देकर विधायक बनवा दिया. राजद्रोह समेत तमाम केस बंद हो गए. लगा कि बीजेपी विधायक बनने से हार्दिक पटेल की जिंदगी अब शांत हो जाएगी. हालांकि बीजेपी में जाकर हार्दिक पहले वाले हार्दिक नहीं रहे. कहीं किसी फ्रंट में दिखने बंद हो गए. पार्टी में न कोई पद, न कोई जिम्मेदारी, न चुनाव में पूछ. हार्दिक की दुनिया वीरमगाम तक सीमित हो गई. अब हार्दिक पटेल का दिखना खबर बनती है. पिछले दिनों पीएम मोदी गुजरात में थे. वहां उनकी हार्दिक पटेल से मुलाकात हुई थी.