कौन हैं बालेन शाह? जिसने 'केपी चोर, गद्दी छोड़' का नारा लगाकर हिला दी नेपाल की सत्ता!  

ललित यादव

Who is Balen Shah: नेपाल इन दिनों ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. सड़कों पर युवाओं की भीड़, भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ गूंजते नारे और सत्ता के गलियारों में हलचल—इस सबके केंद्र में है एक नाम, बालेन शाह.

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Who is Balen Shah: नेपाल इन दिनों ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. सड़कों पर युवाओं की भीड़, भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ गूंजते नारे और सत्ता के गलियारों में हलचल—इस सबके केंद्र में है एक नाम, बालेन शाह. काठमांडू के मेयर, पूर्व रैपर, और स्ट्रक्चरल इंजीनियर बालेन शाह आज नेपाल के युवाओं की आवाज बन चुके हैं. उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि जनता उन्हें अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है. लेकिन क्या है बालेन शाह की कहानी और कैसे राहुल गांधी का नारा नेपाल की सड़कों पर गूंजा? आइए जानते हैं.

राहुल गांधी के नारे का नेपाल में असर

कुछ हफ्ते पहले भारत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक जनसभा में नारा दिया था—"वोट चोर, गद्दी छोड़". यह नारा भारतीय चुनावों में कथित धांधलेबाजी को लेकर था, जिसका निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे. यह नारा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ लेकिन इसका असर भारत से पहले पड़ोसी देश नेपाल में दिखा. नेपाल की सड़कों पर युवाओं ने इसे अपनाते हुए नारा गढ़ा—"केपी चोर, गद्दी छोड़". यह नारा नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ था, जिन्हें 8 सितंबर 2025 को शुरू हुए "जेन जी आंदोलन" के दबाव में इस्तीफा देना पड़ा. इस आंदोलन ने नेपाल की राजनीति में भूचाल ला दिया और इसके पीछे प्रेरणा बने बालेन शाह.

कौन हैं बालेन शाह?

बालेन शाह, जिन्हें लोग प्यार से "बालेन" कहते हैं, काठमांडू के मेयर हैं. 27 अप्रैल 1990 को काठमांडू के नारादेवी में जन्मे बालेन ने अपने करियर की शुरुआत एक रैपर के रूप में की थी. उनके गीत भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सामाजिक मुद्दों पर आधारित थे, जो युवाओं के दिलों को छूते थे. उनका गाना "बलिदान" यूट्यूब पर 70 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. 

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बालेन ने सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन और कर्नाटक के विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया. उन्होंने बालेन कंसल्टिंग एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और पद्म ग्रुप ऑफ कंपनीज में डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में भी काम किया. 2022 में उन्होंने काठमांडू मेयर का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और 61,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की. यह जीत नेपाल की पारंपरिक राजनीति के लिए एक बड़ा झटका थी.

जेन जी आंदोलन में बालेन की भूमिका

8 सितंबर 2025 को नेपाल में "जेन जी आंदोलन" शुरू हुआ था, जो सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ था. सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले के खिलाफ युवा सड़क पर उतर आए. 

प्रदर्शनकारियों, खासकर युवाओं और छात्रों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू की. इस आंदोलन में बालेन शाह ने खुलकर समर्थन दिया. हालांकि, आयोजकों ने आंदोलन को 28 साल से कम उम्र के युवाओं तक सीमित रखा, जिसके कारण बालेन (35 वर्ष) इसमें शामिल नहीं हो सके.

आंदोलन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें 22 से ज्यादा लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी. इस दबाव में केपी शर्मा ओली को 9 सितंबर 2025 को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटा लिया, लेकिन जनता का गुस्सा कम नहीं हुआ. बालेन ने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने की अपील की और कहा, "राष्ट्रीय संसाधनों का नुकसान हमारा सामूहिक नुकसान है. अब आपकी पीढ़ी को देश का नेतृत्व करना होगा."

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बालेन का भारत से कनेक्शन

बालेन शाह भारत में भी चर्चा में रहे, जब उन्होंने फिल्म 'आदिपुरुष' में मां सीता को भारत की बेटी कहे जाने पर आपत्ति जताई थी. नेपाल में मां सीता को जनकपुर की बेटी माना जाता है. बालेन ने काठमांडू में फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी, हालांकि बाद में कोर्ट के आदेश पर यह रोक हट गई थी. बालेन ने इसे भारत के दबाव का नतीजा बताया था. 

कितनी है बालेन की संपत्ति 

रिपोर्ट्स के अनुसार, बालेन की कुल संपत्ति 5-6 करोड़ नेपाली रुपये है. मेयर के रूप में उनकी मासिक सैलरी लगभग 46,000 रुपये है, लेकिन उनकी मुख्य इनकम उनकी कंस्ट्रक्शन कंपनी, यूट्यूब, सोशल मीडिया और रैप परफॉर्मेंस से होती है. उनकी मंथली इनकम 3 लाख रुपये से ज्यादा बताई जाती है. हालांकि बालेन सादगी भरा जीवन जीते हैं 

क्यों बालेन को चाहते हैं नेपाल के युवा?

बालेन शाह ने मेयर के रूप में कचरा प्रबंधन, पारदर्शी शासन और शहरी ढांचे के सुधार पर ध्यान दिया. उनकी नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख ने युवाओं का भरोसा जीता. 2023 में 'TIME मैगजीन' ने उन्हें दुनिया के 100 उभरते नेताओं में शामिल किया. उनकी जीत से नेपाल में युवा काफी प्रभावित हुए.  

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