क्या भारत में नौकरियां देना बंद करेंगे Google और Apple?

न्यूज तक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत में हायरिंग रोकने वाले बयान से भारतीय IT सेक्टर और युवाओं में चिंता बढ़ गई है. अगर अमेरिकी कंपनियों ने ऐसा किया, तो इसका असर भारत और अमेरिका दोनों की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.

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Apple and Microsoft
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने पूरे भारत में हलचल मचा दी है. दरअसल ट्रंप ने अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियों जैसे Google, Apple और Microsoft से कहा है कि वे भारतीयों की जगह अमेरिकी युवाओं को नौकरी दें. 

हालांकि ये कोई आधिकारिक फैसला नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि इस बयान ने भारत के IT सेक्टर और खासकर युवा इंजीनियरों और मैनेजमेंट स्टूडेंट्स में हलचल मचा दी है.

भारतीय युवाओं के लिए सपना बन सकती है चिंता

भारत में हर साल टॉप कॉलेज जैसे IIT और IIM से हजारों होनहार छात्र निकलते हैं. इनमें से कईयों का सपना होता है कि वे गूगल, एपल या माइक्रोसॉफ्ट जैसी ग्लोबल कंपनियों में काम करें, हालांकि अगर ये कंपनियां भारत में सीधी हायरिंग रोक देती हैं, तो इस सपने को झटका लग सकता है. 

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वैसे भी 2023-24 में कई IIT छात्रों ऐसे हैं जिन्हें प्लेसमेंट ही नहीं मिल पाया था. ऐसे में अगर ट्रंप के इस बयान के बाद हालात और बिगड़ते हैं, तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है.

ग्लोबल ऑफिसों पर भी पड़ेगा असर

इतना ही नहीं गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एपल जैसी कंपनियों ने भारत में अपने बड़े ऑफिस बनाए हैं, जिन्हें ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCCs) कहा जाता है. 

ये सेंटर भारत में ही प्रोडक्ट डेवलपमेंट से लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग तक का काम करते हैं, जो दुनिया भर के लिए होता है. गूगल के पास भारत में करीब 10,000 कर्मचारी हैं, माइक्रोसॉफ्ट के 18,000 से ज्यादा और एपल के लगभग 5,000. अगर नई भर्तियों पर ब्रेक लगता है, तो इन सेंटर्स का विस्तार रुक सकता है और वर्तमान स्टाफ पर भी असर आ सकता है.

देश में पहले ही कम हैं मौके

भारत में हर साल लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट निकलते हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 10-15% को ही सही नौकरी मिल पाती है. अब तक गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी विदेशी कंपनियों की वजह से एक संतुलन बना हुआ था, लेकिन अगर ये कंपनियां हायरिंग बंद कर देती है या अमेरिकी लोगों को प्राथमिकता देती है तो देश के अंदर कॉम्पिटिशन और ज्यादा बढ़ जाएगा.

अमेरिका को भी होगा नुकसान?

भले ही ट्रंप ने यह बयान भारतीय युवाओं के नजरिए से नकारात्मक दिया हो, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसका उल्टा असर अमेरिकी कंपनियों पर भी हो सकता है. भारत आज सिर्फ टैलेंट सप्लाई नहीं करता, बल्कि क्वालिटी प्रोडक्ट भी तैयार करता है. अगर कंपनियां भारत से जुड़ाव कम करेंगी, तो उन्हें स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी का सामना करना पड़ सकता है.

क्या वाकई भारत से हायरिंग रुकेगी?

फिलहाल ट्रंप का यह बयान केवल एक राजनीतिक स्टैंड माना जा रहा है. कंपनियों की तरफ से कोई आधिकारिक फैसला नहीं आया है. लेकिन अगर भविष्य में इस तरह की नीति बनती है, तो इसका असर न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका की टेक इंडस्ट्री पर भी पड़ेगा.

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