आखिर मोदी क्यों बोल रहे ‘केवल कमल ही हैं हमारा एकमात्र उम्मीदवार और नेता’ जानिए क्या है इसके पीछे की वजह
चाहे मध्य प्रदेश हो या राजस्थान, बीजेपी की पिछली कुछ रैलियों को देखे तो, हमें एक नया पैटर्न समझ आ रहा हैं. पैटर्न यह है…
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चाहे मध्य प्रदेश हो या राजस्थान, बीजेपी की पिछली कुछ रैलियों को देखे तो, हमें एक नया पैटर्न समझ आ रहा हैं. पैटर्न यह है कि, भाजपा अपने क्षेत्रीय या कहें राज्यों के नेताओं को उतनी तवज्जो नहीं दे रही है, पार्टी आगामी चुनावों में, प्रधानमंत्री मोदी और ‘कमल’ निशान के साथ जाती दिख रही है. आखिर क्या है इसके पीछे की वजह, आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
भाजपा के ऐसी रणनीति अपनाने के पीछे की मुख्य वजह यह है कि, पार्टी को वर्तमान में राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक हर जगह नेतृत्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है, एक तरफ जहां पार्टी राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नाराज चल रही है. वहीं MP में नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं में CM शिवराज का नाम लेने से बच रहे हैं. गौरतलब है कि शिवराज प्रदेश के 3 बार से मुख्यमंत्री हैं, प्रदेश में पार्टी की स्थिति इतनी कमजोर हो गयी है कि, उसे विधानसभा चुनाव में केंद्र से नेताओं को भेजने की जरूरत आन पड़ी है. यहीं फार्मूला पार्टी अन्य राज्यों में भी अपनाने की जुगत में है.
बता दें कि आज कल मोदी स्वयं ग्राउन्ड ज़ीरो पर जा रहे हैं, जनता से सीधे जुड़ रहे हैं, रैलियों में वे साफ कहते नजर आ रहे हैं कि, ‘पार्टी का कमल निशान ही उनका एक मात्र नेता और उम्मीदवार है’. चुनावी रैलियों से लेकर सिमबोलिक चिन्हों तक हर जगह से क्षेत्रीय नेता गायब हो गए हैं, और मोदी छाए हुए हैं. राज्यों में किसी प्रादेशिक नेता के आगे न करने के पार्टी की रणनीति को साफ समझा जा सकता है. पार्टी को राज्यों में प्रभावी नेतृत्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है, उसी के तहत पार्टी पहले से ही सतर्कता बरत रही है.
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